द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके गुट के शिवसेना विधायकों के खिलाफ दायर अयोग्यता याचिकाओं पर फैसले के लिए एक सप्ताह के भीतर समयसीमा बताने को कहा है. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने शिवसेना के उद्धव ठाकरे धड़े की शिंदे गुट के 16 विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग की याचिका सुनते हुए कहा कि इसके फै़सले की तारीख (11 मई) को कई महीने बीत चुके हैं और अब तक केवल नोटिस जारी किया गया है. पीठ ने यह कहते हुए कि स्पीकर को शीर्ष अदालत की गरिमा का सम्मान करते हुए उसके फैसले का पालन करना होगा जोड़ा कि कार्यवाही पूरी करने के लिए एक समयसीमा निर्धारित करते हुए स्पीकर द्वारा हफ्तेभर के अंदर प्रक्रियात्मक निर्देश जारी किए जाएंगे.
एआईएडीएमके की तरफ से कहा गया है कि तमिलनाडु में पार्टी का भाजपा के साथ कोई गठबंधन नहीं है. हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, पार्टी सचिव डी. जयकुमार ने कहा कि अन्नाद्रमुक पार्टी कैडर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के. अन्नामलाई द्वारा की गई आलोचनाओं को बर्दाश्त नहीं करेगा. वह गठबंधन धर्म का सम्मान नहीं करते हैं (और) इसलिए मैं कह रहा हूं कि कोई गठबंधन नहीं है. उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह उनकी निजी राय नहीं बल्कि पार्टी की राय है. किसी भी गठबंधन के बारे में चुनाव के दौरान निर्णय लिया जाएगा. इससे पहले जून महीने में अन्नामलाई की एक टिप्पणी के बाद भी पार्टी ने कहा था कि भाजपा ने उन पर निशाना साधा तो वे गठबंधन पर पुनर्विचार करेंगे.
मणिपुर में चार महीने से अधिक समय से जारी हिंसा के बीच एक सैन्यकर्मी की अपहरण करने के बाद हत्या कर दी गई. रिपोर्ट के अनुसार, बीते शनिवार (16 सितंबर) की सुबह डिफेंस सर्विस कॉर्प्स के सैनिक सर्टो थांगथांग कोम का इंफाल पश्चिम जिले के तरुंग में उनके घर से अपहरण कर लिया गया था. इसके अगले दिन उनका शव इंफाल पूर्वी जिले में सड़क किनारे मिला. घटना सामने आने के बाद कमेटी फॉर ट्राइबल यूनियन भारत सरकार से इंफाल घाटी में फिर आफस्पा लागू करने की मांग की है. बयान में कहा गया है, ‘दिनदहाड़े किए गए ऐसे बर्बर कृत्य से पता चलता है कि कैसे सशस्त्र मेईतेई बदमाशों को इंफाल घाटी में बिना किसी हिचकिचाहट के आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए स्वतंत्र रूप से घूमने की इजाजत दी गई है. एक बार फिर यह साबित होता है कि मणिपुर अब लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार द्वारा संचालित राज्य नहीं है, बल्कि सांप्रदायिक सोच वाले निरंकुश शासकों द्वारा चलाया जा रहा है.’
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह टीवी न्यूज़ चैनलों के लिए स्व-नियामक तंत्र को ‘सख्त’ करना चाहता है. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ बॉम्बे हाईकोर्ट के 2021 के एक फैसले को चुनौती देने वाली न्यूज ब्रॉडकास्टर्स और डिजिटल एसोसिएशन (एनबीडीए) की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें टीवी चैनलों के स्व-नियमन के अप्रभावी होने के बारे में प्रतिकूल टिप्पणियां की गई थीं. शीर्ष अदालत ने एनबीडीए को नए दिशानिर्देश लाने के लिए चार और सप्ताह का समय दिया है. इससे पहले कोर्ट ने टीवी न्यूज़ चैनलों निगरानी के लिए मौजूदा स्व-नियामक तंत्र को अपर्याप्त बताते हुए केंद्र से प्रतिक्रिया मांगी थी और कहा था कि वह इसे ‘अधिक प्रभावी’ बनाना चाहती है, लेकिन उसका इरादा मीडिया पर कोई सेंसरशिप लगाना नहीं है.
कर्नाटक के मांड्या जिले में कथित ‘ऊंची जाति’ के परिवार द्वारा दलितों की बस्ती में जाने वाली सड़क को बंद करने की घटना सामने आई है. हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, डिप्टी कमिश्नर को सौंपे गए ज्ञापन में मद्दूर तालुक के हूथगेरे गांव के ग्रामीणों ने कथित ऊंची जाति के परिवार द्वारा अतिक्रमण की गई सड़क को खाली कराने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा कि सड़क अवरूद्ध कर दिए जाने से उनके दैनिक जीवन और आवश्यक बुनियादी जरूरतों तक पहुंच प्रभावित हो रही है.
एक आरटीआई आवेदन के जवाब में मिली जानकारी में सामने आया है कि वित्त मंत्रालय में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) से कहा था कि वह वित्त मंत्रालय की मंज़ूरी के बिना ब्याज दर सार्वजनिक न करे. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, यह आदेश ईपीएफओ के केंद्रीय न्यासी बोर्ड द्वारा वर्ष 2022-23 के लिए ब्याज दर में बढ़ोतरी की सिफ़ारिश करने के बाद जारी किया गया था. ईपीएफओ श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अंतर्गत आता है और अपने करीब 6 करोड़ ग्राहकों के लिए कर्मचारी भविष्य निधि और कर्मचारी पेंशन योजना का प्रबंधन करता है.