अमेरिका ने भारत से निज्जर हत्याकांड संबंधी कनाडा की जांच में शामिल होने को कहा

ह्वाइट हाउस ने उस मीडिया रिपोर्ट का भी खंडन किया है, जिसमें दावा किया गया था कि अमेरिका ने इस मुद्दे पर कनाडा के उस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था, जिसमें उसने अपने सहयोगियों से संयुक्त बयान जारी करने का आग्रह किया था. भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि जांच में ‘पारंपरिक मित्र और साझेदार सहयोग करेंगे’ और ज़िम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराएंगे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी. (फोटो साभार: एक्स/@USAmbIndia)

ह्वाइट हाउस ने उस मीडिया रिपोर्ट का भी खंडन किया है, जिसमें दावा किया गया था कि अमेरिका ने इस मुद्दे पर कनाडा के उस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था, जिसमें उसने अपने सहयोगियों से संयुक्त बयान जारी करने का आग्रह किया था. भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि जांच में ‘पारंपरिक मित्र और साझेदार सहयोग करेंगे’ और ज़िम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराएंगे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी. (फोटो साभार: एक्स/@USAmbIndia)

नई दिल्ली: ह्वाइट हाउस के एक शीर्ष अधिकारी द्वारा भारत से खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या की जांच में शामिल होने का आह्वान करने के बाद, भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने इस बात पर जोर दिया है कि उन्हें उम्मीद है कि जांच में ‘पारंपरिक मित्र और साझेदार सहयोग करेंगे’ और जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराएंगे.

इस बीच, ह्वाइट हाउस ने उस मीडिया रिपोर्ट का खंडन किया है, जिसमें दावा किया गया था कि अमेरिका ने इस मुद्दे पर अपने सहयोगियों से संयुक्त बयान के कनाडाई प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था.

अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता एड्रिएन वॉटसन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व नाम ट्विटर) पर कहा, ‘ऐसी खबरें कि हमने इस (मुद्दे) पर कनाडा को किसी भी तरह से खारिज कर दिया, बिल्कुल झूठी हैं. हम इस मुद्दे पर कनाडा के साथ निकटता से समन्वय और परामर्श कर रहे हैं.’

वह वाशिंगटन पोस्ट की एक खबर का जवाब दे रही थीं, जिसमें बताया गया था कि कनाडा हाल के महीनों में अपने निकटतम सहयोगियों पर एक संयुक्त बयान जारी करने के लिए दबाव डाल रहा था, लेकिन अमेरिका समेत कई देशों ने इससे इनकार कर दिया.

वॉटसन ने कहा, ‘यह एक गंभीर मामला है और हम कनाडा के वर्तमान कानूनी प्रयासों का समर्थन करते हैं. हम भारत सरकार से भी बातचीत कर रहे हैं.’

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा यह विस्फोटक आरोप लगाए जाने के बाद कि एक कनाडाई नागरिक की हत्या (हरदीप सिंह निज्जर) में भारत सरकार का हाथ था, इसके सहयोगियों – विशेष तौर पर अमेरिका – की प्रतिक्रिया पर करीबी नजर बनी हुई है.

कनाडा, अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के साथ फाइव आईज इंटेलिजेंस-शेयरिंग प्लेटफॉर्म का भी हिस्सा है. वहीं, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया भारत के साथ एक अन्य राजनयिक नेटवर्क क्वाड के भी साझेदार हैं.

अमेरिका की ओर से पहली प्रतिक्रिया सोमवार (18 सितंबर) रात को आई, जब ह्वाइट हाउस की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की प्रवक्ता एड्रिएन वॉटसन ने आरोपों पर गहरी चिंता जताते हुए अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाने की जरूरत पर बात की. ट्रूडो ने भारत सरकार से ‘इस मामले की तह तक जाने के लिए कनाडा के साथ सहयोग करने’ का आह्वान किया था.

ऑस्ट्रेलिया ने इससे आगे बढ़ते हुए इसकी विदेश मंत्री पेनी वोंग ने कहा कि उन्होंने भारत के साथ ‘यह मुद्दा उठाया’ था.

मंगलवार (19 सितंबर) रात ह्वाइट हाउस की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के रणनीतिक संचार निदेशक जॉन किर्बी ने सीएनएन को बताया, ‘हमारा मानना है कि पूरी तरह से पारदर्शी व्यापक जांच सही दृष्टिकोण है, ताकि हम सभी जान सकें कि वास्तव में क्या हुआ था और निश्चित रूप से हम भारत को इसमें सहयोग करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं.’

यह पहली बार था कि अमेरिका ने भारत से हरदीप सिंह निज्जर, जिसे भारत खालिस्तानी आतंकवादी मानता है, की हत्या की कनाडा की जांच में शामिल होने के लिए कहा. भारत ने ट्रूडो के आरोपों को ‘प्रायोजित और पक्षपातपूर्ण’ बताकर खारिज किया है.

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले सप्ताह दिल्ली में जी-20 शिखर सम्मेलन के मौके पर एक बैठक की थी. (फोटो साभार: ट्विटर)

यही रुख भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने फिर से रेखांकित किया है, उन्होंने भी परोक्ष रूप से भारत से जांच में शामिल होने का आह्वान किया है.

उन्होंने अनंत एस्पेन सेंटर द्वारा आयोजित एक बातचीत में एक सवाल के जवाब में कहा, ‘मैं बस दो बातें कहूंगा. एक, जो लोग जिम्मेदार हैं, उन्हें जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए. हमें उम्मीद है कि पारंपरिक मित्र और साझेदार इसकी तह तक जाने में सहयोग कर सकते हैं.’

गार्सेटी ने कहा कि अमेरिका और भारत 1971 के युद्ध जैसे कठिन दौर से गुजरे हैं. उन्होंने बताया कि अमेरिका में भी यह धारणा बन गई है कि भारत परमाणु प्रसार पर अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का हिस्सा नहीं बनना चाहता.

उन्होंने कहा, ‘कनाडा एक प्रिय मित्र, सहयोगी, भागीदार और पड़ोसी है, हम कनाडा की उतनी ही अधिक परवाह करते हैं, जितनी हम भारत की करते हैं और मुझे लगता है कि इस तरह के क्षण हमारे रिश्ते को परिभाषित नहीं करते हैं, लेकिन वे निश्चित रूप से प्रगति को धीमा कर सकते हैं.’

उन्होंने कहा कि ‘इस तरह के किसी भी आरोप से किसी को भी परेशानी होनी चाहिए.’

गार्सेटी ने कहा, ‘लेकिन मुझे उम्मीद है कि एक सक्रिय आपराधिक जांच से हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाया जाए.’

उन्होंने किसी और के निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले इस पर जांच की बात कही. उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि ‘हम में से हर एक के लिए संप्रभुता बहुत महत्वपूर्ण सिद्धांत है.’

यह पूछे जाने पर कि क्या अमेरिका इस राजनयिक विवाद में मध्यस्थता कर सकता है, उन्होंने कहा कि यह ‘जल्दबाजी’ होगी.

इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. 

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