गुजरात: ग्रामीणों के दलित व्यक्ति से राशन न लेने पर कलेक्टर ने उनके राशन कार्ड ट्रांसफर किए

घटना गुजरात के पाटन ज़िले में स्थित कानोसन गांव की है, जहां ठाकोर समुदाय का वर्चस्व है. इस गांव को सामाजिक सद्भाव के लिए ‘समरस ग्राम’ का दर्जा प्राप्त है, बावजूद इसके गांव के 436 राशन कार्ड धारक एक दलित व्यक्ति की उचित मूल्य की दुकान से राशन ख़रीदना नहीं चाहते हैं. कलेक्टर ने इन लोगों को पास के गांव से राशन ख़रीदने की अनमुति दे दी है.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: organicgyaan.com)

घटना गुजरात के पाटन ज़िले में स्थित कानोसन गांव की है, जहां ठाकोर समुदाय का वर्चस्व है. इस गांव को सामाजिक सद्भाव के लिए ‘समरस ग्राम’ का दर्जा प्राप्त है, बावजूद इसके गांव के 436 राशन कार्ड धारक एक दलित व्यक्ति की उचित मूल्य की दुकान से राशन ख़रीदना नहीं चाहते हैं. कलेक्टर ने इन लोगों को पास के गांव से राशन ख़रीदने की अनमुति दे दी है.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: organicgyaan.com)

नई दिल्ली: गुजरात के पाटन कलेक्टर ने निर्देश दिया है कि जिले की सरस्वती तहसील के कानोसन गांव के सभी 436 राशन कार्ड धारक अब पड़ोसी गांव एडला से राशन खरीद सकते हैं और उन्हें उनके गांव में किसी दलित द्वारा संचालित उचित मूल्य की दुकान (एफपीएस) से राशन नहीं खरीदना होगा.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, कलेक्टर अरविंद विजयन ने 12 सितंबर के एक आदेश में कानोसन के 436 परिवारों के राशन कार्डों को एडला के एफपीएस में स्थानांतरित कर दिया है.

यह आदेश तब आया है जब ठाकोर समुदाय (गैर-दलित) के वर्चस्व वाले कानोसन गांव के अधिकांश राशन कार्ड धारकों ने करीब डेढ़ साल पहले दलित कांति परमार द्वारा संचालित एफपीएस से राशन खरीदना बंद कर दिया था.

कानोसन गुजरात के समरस गांवों में से एक है. राज्य सरकार की समरस योजना के तहत ग्रामीण अपने वार्ड सदस्यों और सरपंच को सर्वसम्मति से चुनते हैं और चुनाव में नहीं जाते हैं. ऐसे गांवों को राज्य की ओर से विशेष प्रोत्साहन मिलता है. समरस का दर्जा गांव में ‘सामाजिक सद्भाव’ होने का भी संकेत देता है.

अन्य आरोपों के अलावा ठाकोर समुदाय ने कांति पर आरोप लगाया है कि वह उन्हें अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत झूठे मामलों में फंसाने की धमकी देता था. कांति और उनके परिवार ने आरोपों का खंडन किया है और अब कलेक्टर के आदेश को अदालत में चुनौती देने पर विचार कर रहे हैं.

कलेक्टर के आदेश से पहले जिला प्रशासन ने कानोसन के 268 निवासियों के बयान दर्ज किए. उनमें से 260 ने पड़ोसी गांव के एफपीएस से राशन खरीदने की इच्छा व्यक्त की, जबकि केवल आठ निवासियों ने कांति के एफपीएस से राशन लेने की बात कही.

आदेश में यह भी दर्ज किया गया कि सरस्वती तहसील के मामलातदार ने बीते मार्च में कानोसन निवासियों की एक बैठक आयोजित की थी, जिसमें लगभग 300 राशन कार्ड धारकों ने कांति के एफपीएस से राशन प्राप्त करने की अनिच्छा व्यक्त की और मांग की कि उन्हें दूसरे गांव से राशन खरीदने की अनुमति दी जाए.

कलेक्टर के आदेशानुसार कांति के एफपीएस द्वारा राशन वितरण में धीरे-धीरे कमी दर्ज की गई है. आदेश में कहा गया है कि इसके द्वारा इस साल मार्च, अप्रैल, मई और जून में क्रमश: 36.84 प्रतिशत, 30.14 प्रतिशत, 9.18 प्रतिशत और 8.18 प्रतिशत राशन वितरित किया गया.

कलेक्टर ने आदेश दिया है कि कानोसन निवासियों के सभी राशन कार्ड कानोसन से लगभग 1.5 किमी दूर एडला गांव में विसाभाई रबारी द्वारा संचालित एफपीएस में स्थानांतरित किए जाएंगे. उन्होंने यह भी आदेश दिया है कि रबारी को यह सुनिश्चित करना होगा कि निवासियों को उनका राशन कानोसन में ही मिले.

आदेश में कांति का बयान भी दर्ज किया गया है, जिसमें उन्होंने अपने ऊपर लगे आरोपों का खंडन किया है.

कांति के अनुसार, विवाद लगभग दो साल पहले शुरू हुआ जब उन्होंने एक ठाकोर को राशन देने से इनकार कर दिया.

कांति ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘लगभग दो-तीन साल पहले गांव के ठाकोर नेताओं में से एक मेरी दुकान से राशन खरीदने आए थे. चूंकि उनका कार्ड पात्र नहीं था, इसलिए मैंने उन्हें राशन देने से इनकार कर दिया. तब से ही वह और समुदाय के अन्य नेता मेरे खिलाफ अभियान चला रहे हैं और अपने समुदाय के अन्य सदस्यों से मेरी दुकान का बहिष्कार करने का आग्रह कर रहे हैं या धमकी दे रहे हैं.’

उन्होंने आगे कहा, ‘वे यह कहते हुए बहिष्कार को उचित ठहराते हैं कि मैंने उनके खिलाफ एससी/एसटी अधिनियम के तहत झूठी शिकायतें दर्ज की हैं. यह सच नहीं है. मैं पिछले 30 सालों से यह दुकान चला रहा हूं, लेकिन पिछले दो-तीन सालों में ही उन्हें मुझमें खामियां नजर आने लगीं.’

कांति ने कहा कि गांव में दलितों के खिलाफ अत्याचार हुए हैं और उन्होंने एवं कुछ अन्य लोगों ने ठाकोर समुदाय के लोगों के खिलाफ लगभग पांच-छह शिकायतें दर्ज की हैं. एक को छोड़कर, हमने अन्य सभी मामलों में समझौता कर लिया है.

कांति के मुताबिक, जिस एक शिकायत में समझौता नहीं हुआ है वो उनके द्वारा आत्महत्या करने के प्रयास से संबंधित है. जिसमें जहरीला पदार्थ खाने के बाद कांति मरने से तो बच गए लेकिन जहर के प्रभाव से अपना बायां पैर गंवा दिया. इसके बाद उनके बेटे ने ठाकोर समुदाय के चार लोगों के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराते हुए आरोप लगाया था कि उन्होंने ग्रामीणों से उनकी दुकान का बहिष्कार करने का आग्रह करके उनके पिता को आत्महत्या के लिए मजबूर किया था. मामले में चारों आरोपियों की गिरफ्तारी भी हुई थी, अब वे जमानत पर हैं.

कानोसन के सरपंच रघु ठाकोर ने कहा, ‘ग्रामीणों की शिकायतें थीं कि उन्हें उचित मात्रा में राशन नहीं मिल रहा है. इसके अलावा उनके (कांति) द्वारा लोगों को एससी/एसटी एक्ट के तहत झूठे मामलों में फंसाने की भी शिकायतें थीं. इसलिए, हमने उनके (कांति के) एफपीएस से राशन कार्डों को पास के गांव में स्थानांतरित करने की मांग की थी.’

पाटन कलेक्टर अरविंद विजयन ने कहा कि आंतरिक जांच और ग्रामीणों के विरोध के बाद यह आदेश पारित किया गया. उन्होंने कहा कि अधिक जानकारी के लिए जिला आपूर्ति अधिकारी (डीएसओ) से संपर्क कीजिए.

पाटन डीएसओ डीएस निनामा ने कहा कि कलेक्टर ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद आदेश पारित किया है. साथ ही उन्होंने कहा कि कांति की दुकान का लाइसेंस रद्द करने से पहले उन्हें अपना पक्ष रखने का पर्याप्त मौका दिया जाएगा. वहीं, कांति ने अदालत जाने की बात कही है.

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