मणिपुर में लगभग पांच महीनों से जारी हिंसा के बीच राष्ट्रीय जांच एजेंसी के एक प्रवक्ता ने कहा है कि वे म्यांमार के आतंकी संगठनों द्वारा मणिपुर में मौजूदा अशांति का फायदा उठाकर केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ युद्ध छेड़ने की एक अंतरराष्ट्रीय साज़िश की जांच कर रहे हैं.
नई दिल्ली: मणिपुर में जातीय हिंसा शुरू होने के पांच महीने होने वाले हैं. इस बीच एक अलगाववादी समूह पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के एक प्रशिक्षित कार्यकर्ता को गिरफ्तार करने के बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) का कहना है कि मणिपुर के प्रतिबंधित संगठन राज्य में सुरक्षा बलों और विरोधी जातीय समूहों के सदस्यों पर हमला करने के लिए कार्यकर्ताओं की भर्ती कर रहे हैं.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, एनआईए ने शुक्रवार को पीएलए के कार्यकर्ता मोइरांगथेम आनंद सिंह को मणिपुर अदालत से जमानत मिलने के कुछ घंटों बाद गिरफ्तार कर लिया था. 16 सितंबर को सिंह को चार लोगों के साथ कथित तौर पर सुरक्षा बलों जैसी पोशाक पहनने और अत्याधुनिक हथियार आदि रखने के आरोप में इंफाल पूर्व से गिरफ्तार किया गया था.
उन सभी पांच लोगों पर यूएपीए और आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के प्रावधानों के तहत आपराधिक साजिश का मामला दर्ज किया गया था. इन सभी को शुक्रवार को जमानत मिल गई, लेकिन सिंह को एनआईए ने फिर से गिरफ्तार कर लिया गया. इसके बाद उन्हें दिल्ली लाया गया और शनिवार को राष्ट्रीय राजधानी की एक अदालत में पेश किया गया, जिसने उन्हें पांच दिनों की पुलिस हिरासत में भेज दिया है.
एनआईए के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘मणिपुर में मौजूदा जातीय अशांति का फायदा उठाकर केंद्र सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए म्यांमार के आतंकी संगठनों के नेतृत्व द्वारा एक अंतरराष्ट्रीय साजिश से संबंधित मामले में शुक्रवार को एनआईए ने सिंह को गिरफ्तार किया है. यह मामला 19 जुलाई को दिल्ली में एनआईए द्वारा स्वत: संज्ञान लेते हुए दर्ज किया गया था.’
प्रवक्ता ने कहा, ‘अब तक की जांच से पता चला है कि म्यांमार के नेतृत्व द्वारा रची गई साजिश को आगे बढ़ाने के लिए… प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन मौजूदा अशांति का फायदा उठाकर सुरक्षा बलों और विरोधी जातीय समूहों पर हमले करने के लिए अपनी ताकत बढ़ाने हेतु जमीनी कार्यकर्ता, कैडर और सहानुभूति रखने वालों की भर्ती कर रहे हैं.’
उन्होंने आगे कहा, ‘… और इस उद्देश्य के लिए म्यांमार का नेतृत्व गैरकानूनी तरीकों से हथियार, गोला-बारूद और विस्फोटक इकट्ठा कर रहा है, जिसमें सरकारी सुविधाओं और संसाधनों से लूट भी शामिल है.’
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, सिंह ने 1991 में मेईतेई अलगाववादी समूह पीएलए के साथ काम करना शुरू किया था और संगठन के लिए सैन्य प्रशिक्षण लिया था. बाद में वह कांगलीपाक कम्युनिस्ट पार्टी समूह में शामिल हो गए और 1997 से 2010 के बीच सात बार गिरफ्तार किए गए.
जुलाई में एनआईए ने मणिपुर हिंसा के संबंध में बड़ी साजिश की जांच के लिए गृहमंत्री द्वारा निर्देश दिए जाने के बाद एक एफआईआर दर्ज की थी. एक सूत्र ने कहा, ‘हमें जानकारी मिली थी कि मणिपुर हिंसा में कई उग्रवादी समूह भी शामिल थे और हमने एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी.’
यह दूसरा मामला है जिसकी जांच एनआईए कर रही है, जबकि अन्य मामले केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दिए गए थे. जुलाई में, बिष्णुपुर जिले में एक संदिग्ध आईईडी विस्फोट मामले की जांच गृह मंत्रालय द्वारा मणिपुर पुलिस से लेकर एनआईए को सौंप दी गई थी.
गौरतलब है कि राज्य में मई महीने से जातीय संघर्ष जारी है. बीते दिनों राज्य सरकार ने बताया था कि 3 मई को हिंसा भड़कने के बाद से 175 लोग मारे गए हैं, 1,118 घायल हुए हैं और 33 अभी भी लापता हैं. पुलिस द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, हिंसा की शुरुआत के बाद से राज्य के शस्त्रागारों से 5,668 हथियार लूटे गए हैं, जिसमें से सुरक्षा बलों ने 1,329 को बरामद किया है.