प्रेस काउंसिल ने महामारी के दौरान पत्रकारों की छंटनी के अध्ययन के लिए समिति गठित की

भारतीय प्रेस परिषद ने मार्च 2020 से लेकर फरवरी 2021 की अवधि के दौरान नौकरी से निकाले गए पत्रकारों को एक ऑनलाइन फॉर्म भरने या विवरण के साथ ईमेल भेजने के लिए कहा है.

(इलस्ट्रेशन: द वायर)

भारतीय प्रेस परिषद ने मार्च 2020 से लेकर फरवरी 2021 की अवधि के दौरान नौकरी से निकाले गए पत्रकारों को एक ऑनलाइन फॉर्म भरने या विवरण के साथ ईमेल भेजने के लिए कहा है.

(इलस्ट्रेशन: द वायर)

नई दिल्ली: भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) ने कोविड-19 महामारी के दौरान पत्रकारों की छंटनी के बारे में अध्ययन करने के लिए एक उप-समिति का गठन किया है.

रिपोर्ट के अनुसार, परिषद ने मार्च 2020 से लेकर फरवरी 2021 की अवधि के दौरान नौकरी से निकाले गए पत्रकारों को एक ऑनलाइन फॉर्म भरने या विवरण के साथ इस ईमेल आईडी [email protected] पर मेल भेजने के लिए कहा है.

पीसीआई द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘ध्यान दिया जाए कि डेटा इकट्ठा करने की यह कवायद पूरी तरह से अकादमिक है और एक रिपोर्ट का हिस्सा होगा. यह स्पष्ट किया जाता है कि अकादमिक होने के कारण अध्ययन का उद्देश्य कोई राहत देना नहीं है. इसके अलावा, ऐसे मामलों पर किसी तरह की कोई राहत देना प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के अधिकार और दायरे में नहीं आता है.’

उप-समिति में पीसीआई सदस्य गुरबीर सिंह, एलसी भारतीय, प्रजनानंद चौधरी, जेएस राजपूत के साथ-साथ पत्रकार पी. साईनाथ और स्नेहाशीष सुर भी शामिल हैं.

पीसीआई एक अर्ध-न्यायिक वैधानिक प्राधिकरण है जिसे संसदीय अधिनियम के माध्यम से स्थापित किया गया है, जिसका उद्देश्य ‘प्रेस की स्वतंत्रता को बचाए रखना और भारत में अख़बारों और समाचार एजेंसियों के मानकों को बनाए रखना और सुधारना है.’

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