उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद ज़िले का मामला. पुलिस ने बताया कि जब्बूपुर सरकारी मिडिल स्कूल के शिक्षक ने कथित तौर पर अपने रुके हुए वेतन की मांग करने पर अपमानित किए जाने के कारण आत्महत्या कर ली. इस संबंध में एफआईआर दर्ज कर ब्लॉक शिक्षा कार्यालय के एक क्लर्क और स्कूल के प्रभारी प्रधानाध्यापक को निलंबित कर दिया गया है.
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश फर्रुखाबाद जिले में तैनात एक सरकारी स्कूल के शिक्षक ने कथित तौर पर 96 महीने (8 साल) से रुके हुए अपने वेतन की मांग करने पर अपमानित किए जाने के कारण जहरीला पदार्थ खाकर आत्महत्या कर ली.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने बीते शुक्रवार (29 सितंबर) को बताया कि कायमगंज ब्लॉक के जब्बूपुर में सरकारी मिडिल स्कूल के शिक्षक अनिल कुमार त्रिपाठी (51 वर्ष) ने बीते बुधवार 27 सितंबर को जहरीला पदार्थ खा लिया और गुरुवार को इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई.
पुलिस ने कहा कि त्रिपाठी ने एक सुसाइड नोट छोड़ा है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि ब्लॉक शिक्षा कार्यालय (बीईओ) के क्लर्क सुरेंद्र नाथ अवस्थी, जब्बूपुर मिडिल स्कूल के प्रभारी प्रधानाध्यापक निर्देश कुमार गंगवार और बीईओ (कायमगंज) गिरिराज सिंह ने उन्हें अपमानित किया और जब उन्होंने अपने वेतन की मंजूरी मांगी तो उन्हें आत्महत्या के लिए उकसाया.
पुलिस ने कहा कि शिक्षक के बेटे आशीष त्रिपाठी की शिकायत के आधार पर तीनों के खिलाफ आईपीसी की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) और 504 (शांति भंग करने के इरादे से जान-बूझकर अपमान) के तहत मामला दर्ज किया गया है.
इस बीच, अवस्थी और गंगवार को निलंबित कर दिया गया है, जबकि फर्रुखाबाद के बेसिक शिक्षा अधिकारी गौतम प्रसाद ने गिरिराज सिंह के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की है.
आशीष ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट और बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा वेतन जारी करने के आदेश के बावजूद उनके पिता का वेतन 96 महीने से रोका गया था.
उन्होंने कहा, ‘उन्होंने अपनी शिकायतें बेसिक शिक्षा अधिकारी और सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारी को सौंपी, लेकिन उन पर ध्यान नहीं दिया गया. 27 सितंबर को उन्होंने एबीएसए कार्यालय में अधिकारियों से मुलाकात की और उन्हें आदेशों का पालन करने के लिए कहा, लेकिन उन्हें अपमानित किया गया और आत्महत्या करने के लिए उकसाया गया. 27 सितंबर को शाम 5:40 बजे के आसपास उन्होंने जहर खा लिया और इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई.’