मणिपुर: मेईतेई छात्रों के हत्यारोपियों की रिहाई के लिए कुकी-ज़ोमी समूहों का अनिश्चितकालीन बंद

इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम ने चुराचांदपुर ज़िले में अनिश्चितकालीन बंद की शुरुआत करते हुए केंद्रीय एजेंसियों द्वारा दो छात्रों की हत्या के संबंध में की गईं गिरफ़्तारियों को जल्दबाजी में की गई चयनित कार्रवाई क़रार दिया. दूसरी ओर कांगपोकपी ज़िले में भी एक अन्य कुकी-ज़ोमी संगठन कमेटी ऑन ट्राइबल यूनिटी ने गिरफ़्तार किए गए लोगों की रिहाई की मांग के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग पर आपातकालीन बंद किया है.

(फाइल फोटो: द वायर)

इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम ने चुराचांदपुर ज़िले में अनिश्चितकालीन बंद की शुरुआत करते हुए केंद्रीय एजेंसियों द्वारा दो छात्रों की हत्या के संबंध में की गईं गिरफ़्तारियों को जल्दबाजी में की गई चयनित कार्रवाई क़रार दिया. दूसरी ओर कांगपोकपी ज़िले में भी एक अन्य कुकी-ज़ोमी संगठन कमेटी ऑन ट्राइबल यूनिटी ने गिरफ़्तार किए गए लोगों की रिहाई की मांग के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग पर आपातकालीन बंद किया है.

(फाइल फोटो: द वायर)

नई दिल्ली: पिछले कुछ दिनों में हुईं दो घटनाओं के संबंध में पांच कुकी-ज़ोमी व्यक्तियों की गिरफ्तारी के विरोध में सोमवार (2 अक्टूबर) से मणिपुर के चुराचांदपुर जिले में ‘अनिश्चितकालीन बंद’ शुरू हो गया. बंद की शुरुआत इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम ने की, जिसने गिरफ्तारियों को ‘केंद्रीय जांच एजेंसियों की चयनात्मक जल्दबाजी’ बताया.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, कांगपोकपी जिले के एक अन्य कुकी-ज़ोमी संगठन कमेटी ऑन ट्राइबल यूनिटी ने गिरफ्तार किए गए लोगों की रिहाई की मांग के लिए सिलचर और इंफाल को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग 37 पर ‘आपातकालीन बंद’ लगाया. संस्था ने धमकी दी है कि अगर उन्हें 48 घंटे के भीतर रिहा नहीं किया गया तो वह कांगपोकपी जिले में भी अनिश्चितकालीन बंद लागू कर देंगे.

टेलीग्राफ ने बताया है कि शनिवार (30 सितंबर) से सीबीआई और एनआईए द्वारा 7 लोगों की चुराचांदपुर जिले में गिरफ्तारी हुई है.

इस बीच, पिछले हफ्ते राज्य के घाटी के इलाकों में तनाव बढ़ने के बाद राज्य में स्कूलों और कॉलेजों को बंद करने की घोषणा की गई थी, जिसे अब 5 अक्टूबर तक बढ़ा दिया गया है.

बता दें कि इंफाल में 6 जुलाई से अपने घरों से लापता दो मेईतेई छात्रों (एक लड़का और एक लड़की) की हत्या के मामले में बीते 1 अक्टूबर को सीबीआई ने चार लोगों को गिरफ्तार किया था. ये गिरफ्तारियां लापता दोनों छात्रों के शव दिखाने वाली तस्वीरें पिछले हफ्ते सामने आने के बाद मेईतेई बहुल घाटी इलाकों में व्यापक और उग्र विरोध प्रदर्शन के बाद हुईं थीं.

द टेलीग्राफ ने बताया है कि इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) के अनुसार गिरफ्तारियां केंद्र द्वारा असहाय आदिवासी, जिनमें महिलाएं भी शामिल हैं, लोगों पर सख्ती करके मुख्यमंत्री को मेईतेई समुदाय के क्रोध से बचाने का एक प्रयास है.

चुराचांदपुर के एक निवासी ने द टेलीग्राफ को बताया कि सोमवार को बंद का पहला दिन पूरी तरह शांतिपूर्ण रहा और दुकानें, बाजार, वाणिज्यिक प्रतिष्ठान, स्कूल और कार्यालय बंद रहे और सड़कें सुनसान रहीं.

वहीं, राज्य सरकार ने दुष्प्रचार को फैलने से रोकने के लिए रविवार को मोबाइल इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध 6 अक्टूबर शाम तक बढ़ा दिया था.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, एक अन्य व्यक्ति सेमिनलुन गंगटे (51) को एनआईए ने 30 सितंबर को बिष्णुपुर के क्वाक्टा से 21 जून को एक आईईडी कार विस्फोट के सिलसिले में गिरफ्तार किया था और प्रारंभिक जांच के दौरान म्यांमार-बांग्लादेश के उग्रवादी समूहों द्वारा अंतरराष्ट्रीय साजिश का मामला पाया गया था.

राज्य में हिंसा भड़कने से पहले गंगटे क्वाक्टा के एक निजी स्कूल में अंग्रेजी शिक्षक के रूप में काम करते थे. सोमवार को वीएन मॉडल इंग्लिश हाई स्कूल के प्रिंसिपल ने एक बयान जारी कर कहा कि गंगटे 2 फरवरी 2018 से 2 मई 2023 तक स्कूल के कर्मचारी थे.

बयान में कहा गया है, ‘जहां तक मेरी जानकारी है, उनकी किसी भी प्रकार की असामाजिक गतिविधियों में कोई संलिप्तता नहीं है और उनका राष्ट्रविरोधी गतिविधियों का कोई रिकॉर्ड नहीं है.’

गंगटे की पत्नी मंगसी ने कहा कि 3 मई को हिंसा भड़कने के बाद उनका परिवार चुराचांदपुर भाग गया था और तब से एक राहत शिविर में रह रहा है.

उन्होंने कहा, ‘चूंकि वहां कोई और स्कूल नहीं था, इसलिए वह पैसे कमाने के लिए चुराचांदपुर में एक हार्डवेयर की दुकान पर काम करने लगे थे.’

उन्होंने कहा, ‘जब उन्हें गिरफ्तार किया गया, तो वह क्वाक्टा स्थित स्कूल मालिक की एक हार्डवेयर की दुकान से सामान लेने के लिए टोरबंग गए थे, जिसे वह चुराचांदपुर में बेचने के लिए वापस ले जा रहे थे. मुझे नहीं पता कि उनके पास उसके खिलाफ क्या मामला है.’