तीन अक्टूबर, 2021 को लखीमपुर खीरी के तिकुनिया में हुई हिंसा में आठ लोग मारे गए थे, जिनमें से चार किसान थे. ये किसान उत्तर प्रदेश के तत्कालीन उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के क्षेत्र में दौरे का विरोध कर रहे थे. मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ के पुत्र आशीष मिश्रा और उनके दर्जन भर साथियों के ख़िलाफ़ किसानों को थार जीप से कुचलकर मारने और उन पर फायरिंग करने जैसे गंभीर आरोप हैं.
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में 3 अक्टूबर, 2021 को अब निरस्त किए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान आठ लोगों की मौत ने देशव्यापी आक्रोश पैदा कर दिया था. इन 8 लोगों में से चार किसान थे.
लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया में यह घटना तब हुई, जब किसान उत्तर प्रदेश के तत्कालीन उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के क्षेत्र में दौरे का विरोध कर रहे थे.
कथित तौर पर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा ‘टेनी’ की स्वामित्व वाली कार से कुचलकर चार किसानों और एक स्थानीय पत्रकार की मौत (तीन अन्य लोगों की भीड़ ने हत्या कर दी थी) हो गई थी. इस घटना के बाद लोगों का आक्रोश देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जांच की निगरानी अपने हाथ में ले ली थी.
मामले में अजय मिश्रा के पुत्र आशीष मिश्रा और उसके दर्जन भर साथियों के खिलाफ चार किसानों को थार जीप से कुचलकर मारने और उन पर फायरिंग करने जैसे कई गंभीर आरोप हैं.
उत्तर प्रदेश पुलिस की एफआईआर के मुताबिक, एक एसयूवी ने चार किसानों को कुचल दिया था, जिसमें आशीष मिश्रा भी सवार थे. घटना से आक्रोशित किसानों ने एसयूवी के चालक और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दो कार्यकर्ताओं की कथित तौर पर हत्या कर दी थी. किसानों के साथ गाड़ी से कुचलकर एक पत्रकार भी मारे गए थे.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, हिंसा की इस घटना के दो साल पूरे हो गए हैं और मामले की सुनवाई एक स्थानीय अदालत में चल रही है. मामले में अभियोजन पक्ष के 171 गवाहों में से केवल चार की ही अतिरिक्त जिला न्यायाधीश सुनील कुमार वर्मा के समक्ष गवाही हो सकी हैं, जिन्होंने 12 जनवरी को मामले की सुनवाई शुरू की थी.
बचाव पक्ष ने करीब 30 गवाहों की सूची सौंपी है.
2021 में मारे गए किसानों में से एक गुरविंदर सिंह के पिता जगजीत सिंह अभियोजन पक्ष की ओर से उस दिन अदालत में पेश होने वाले पहले गवाह थे. तब से तीन अन्य गवाह अदालत के समक्ष गवाही दे चुके हैं, जबकि पांचवें गवाह की गवाही जारी है.
आशीष मिश्रा और 13 अन्य के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 147 (दंगा), 148 (दंगा, घातक हथियारों से लैस), 149 (गैर-कानूनी सभा), धारा 326 (खतरनाक हथियारों या साधनों से जान-बूझकर गंभीर चोट पहुंचाना), 427 (नुकसान पहुंचाने वाली शरारत), 120बी (आपराधिक साजिश) और मोटर वाहन अधिनियम की धारा 177 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है.
अदालत में किसानों का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील सुरेश सिंह ने कहा कि मामले को हर 8-10 दिनों में एक बार सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जा रहा है.
उन्होंने कहा, ‘सुनवाई इस साल 12 जनवरी को शुरू हुई, क्योंकि अभियोजन और बचाव पक्ष दोनों की ओर से अदालत के सामने बड़ी संख्या में आरोपमुक्त करने के आवेदन आए. मामले की सुनवाई पूरी होने में चार से पांच साल लगने की संभावना है.’
लखीमपुर खीरी के जिला सरकारी वकील आशीष त्रिपाठी ने कहा, ‘सुनवाई अपनी गति से चल रही है. गवाह अपने बयान दर्ज कराने के लिए अदालत में उपस्थित हो रहे हैं. हम केस जीतने को लेकर आश्वस्त हैं.’
2021 में लखीमपुर खीरी में तैनात कई लोक सेवक मामले के गवाहों में से हैं. किसानों की ओर से पेश वकील सुरेश सिंह ने कहा कि जिला मजिस्ट्रेट, उपखंड मजिस्ट्रेट, अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट, पुलिस अधीक्षक (एसपी), अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) और सब-इंस्पेक्टर सभी गवाहों की सूची में हैं.
वकील सुरेश सिंह ने कहा कि मुकदमे के दौरान गवाहों को एक विशेष तारीख पर उपस्थित होने के लिए समन जारी किया जाता है, लेकिन इसकी कोई गारंटी नहीं है कि गवाह उपस्थित होगा. ऐसे में दोबारा नोटिस जारी किया जाता है और नई तारीख तय की जाती है.
हिंसा के बाद दो एफआईआर दर्ज की गई है. पहली चार किसानों और पत्रकार की मौत से संबंधित है, जबकि दूसरी कार में सवार दो लोगों और ड्राइवर को भीड़ द्वारा मार डालने से संबंधित है. पहली एफआईआर जिसमें आशीष मिश्रा मुख्य आरोपी हैं, इससे संबंधित सभी 14 आरोपी जमानत पर बाहर हैं.
दूसरे मामले में, जहां चार किसान आरोपी हैं, 10 गवाह अदालत के सामने पेश हुए हैं. इस मामले में सुनवाई जनवरी 2023 में शुरू हुई.
विशेषज्ञों ने संकेत दिया है कि जांच में वर्षों लगने की संभावना है. इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के वकील के वकील जीएस चौहान ने कहा, ‘लखीमपुर खीरी घटना जैसे मामलों में जहां बड़ी संख्या में गवाहों को अदालत में अपने बयान दर्ज कराने होते हैं, सुनवाई पूरी होने में कई साल लग जाते हैं.’
पीड़ितों के परिजनों के लिए अभी भी न्याय का लंबा इंतजार चिंताजनक है. इस घटनाक्रम से यह चिंता और बढ़ गई है कि मुकदमा लंबा खिंचेगा. परिजनों ने कहा, ‘न्याय में देरी न्याय न मिलने के समान है. हम चाहते हैं कि सुनवाई में तेजी लाई जाए. अगर यह इसी गति से चलता रहा, तो इसे निष्कर्ष तक पहुंचने में कई साल लग जाएंगे.’
सिंह के लिए, जिन्होंने इस जनवरी में तीन दिनों के लिए स्थानीय अदालत में गवाही दी, ने कहा, ‘कोई नहीं जानता कि मुकदमा कब खत्म होगा और कब फैसला आएगा. लेकिन हम हार नहीं मानेंगे, भले ही मामला सालों तक खिंच जाए. जब तक दोषियों को सजा नहीं मिल जाती, मैं आराम से नहीं बैठूंगा.’
मालूम हो कि बीते 26 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने किसानों की हत्या मामले में आरोपी आशीष मिश्रा पर लगाई गईं जमानत शर्तों में ढील देते हुए उन्हें अपनी अस्वस्थ मां और बेटी की देखभाल के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीटी) में प्रवेश करने और रहने की अनुमति दे दी.
आदेश में कहा गया है, ‘याचिकाकर्ता, उसके परिवार या समर्थकों द्वारा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से गवाहों को प्रभावित करने या धमकी देने का कोई भी प्रयास किया गया तो अंतरिम जमानत रद्द कर दी जाएगी.’
अदालत ने निर्देश दिया था कि उन्हें दिल्ली में किसी भी सार्वजनिक समारोह में शामिल नहीं होना चाहिए या विचाराधीन मामले के संबंध में मीडिया को संबोधित नहीं करना चाहिए.