न्यूज़क्लिक से जुड़े पत्रकारों, कार्यकर्ताओं आदि के यहां छापेमारी, उनके मोबाइल, लैपटॉप आदि को ज़ब्त करने और पूछताछ की कार्रवाई की आलोचना करते हुए पत्रकार संगठनों, कार्यकर्ताओं और विपक्ष ने इसे मीडिया को डराने की कोशिश क़रार दिया है.
नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस द्वारा मंगलवार की सुबह मीडिया आउटलेट न्यूज़क्लिक से जुड़े पत्रकारों, कार्यकर्ताओं, स्टैंड-अप कॉमेडियन आदि के यहां छापेमारी, उनके मोबाइल, लैपटॉप आदि को जब्त करने और पूछताछ की पत्रकार संगठनों और विपक्षी नेताओं ने खासी आलोचना की है.
हालांकि दिल्ली पुलिस ने अब तक छापे और पूछताछ पर आधिकारिक तौर पर बयान नहीं दिया है, लेकिन द वायर को मिली जानकारी के अनुसार ये कार्रवाई 17 अगस्त, 2023 को दर्ज की गई एफआईआर संख्या 224/2023 के संबंध में हैं, जिसमें कड़े यूएपीए अधिनियम की कई धाराओं समेत आईपीसी की 153 (ए) और 120 (बी) धाराएं लगाई गई हैं.
मामला कथित तौर पर भाजपा के एक दावे से संबंधित है, जहां भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा में न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा था कि कांग्रेस नेताओं और न्यूज़क्लिक को ‘भारत विरोधी’ माहौल बनाने के लिए चीन से धन मिला है.
मंगलवार सुबह-सुबह वीडियो पत्रकार अभिसार शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह, अनुभवी पत्रकार उर्मिलेश, समाचार वेबसाइट न्यूज़क्लिक के संपादक प्रबीर पुरकायस्थ और लेखक गीता हरिहरन, प्रसिद्ध पत्रकार और टिप्पणीकार औनिंद्यो चक्रवर्ती, कार्यकर्ता और इतिहासकार सोहेल हाशमी के अलावा स्टैंड-अप कॉमेडियन संजय राजौरा के यहां ‘छापेमारी’ की गई. इसके बाद कइयों को हिरासत में लिया गया था और मंगलवार शाम रिहा किया गया.
जिन पत्रकारों और स्टाफर्स के यहां छापे मारे गए, उन्होंने द वायर को बताया कि उनसे पूछा गया था कि क्या उन्होंने भारत में किसानों के विरोध और कोविड महामारी जैसी घटनाओं पर रिपोर्ट की थी.
इस कार्रवाई की मीडिया संगठनों, सामाजिक कार्यकर्ताओं समेत विपक्ष ने भी निंदा की है.
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, मुंबई प्रेस क्लब, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और नेटवर्क ऑफ विमेन इन मीडिया, इंडिया (एनडब्ल्यूएमआई) ने मीडिया की स्वतंत्रता पर छापों के गंभीर प्रभाव पर चिंता जताई है.
The Mumbai Press Club expresses deep concern regarding the ongoing events in Delhi, where multiple journalists affiliated with Newsclick have been subjected to raids by the Delhi police, confiscating their phones and laptops from their residences.
— Mumbai Press Club (@mumbaipressclub) October 3, 2023
एडिटर्स गिल्ड ने कहा कि गिल्ड 3 अक्टूबर को वरिष्ठ पत्रकारों के घरों पर छापे और उसके बाद उनमें से कई पत्रकारों की हिरासत को लेकर बहुत चिंतित है और वह राज्य से उचित प्रक्रिया का पालन करने और कठोर आपराधिक कानूनों को प्रेस को डराने-धमकाने का औजार न बनाने का आग्रह करता है.
EGI is deeply concerned about the raids at the residences of senior journalists on the morning of October 3, and the subsequent detention of many of those journalists. Urges the state to follow due process, and not to make draconian criminal laws as tools for press intimidation pic.twitter.com/lHwOTi3XcS
— Editors Guild of India (@IndEditorsGuild) October 3, 2023
एनडब्ल्यूएमआई ने कहा, ‘सत्ता के सामने सच बोलने वाले पत्रकारों, कार्यकर्ताओं और कलाकारों को सरकार द्वारा लगातार परेशान और प्रताड़ित किया जा रहा है, जबकि चापलूस मीडियाकर्मियों और मीडिया घरानों को बढ़ावा दिया जा रहा है. असहमति को कुचलने का यह अभियान ख़त्म होना चाहिए.’
Journalists, activists and artists who speak truth to power are being unrelentingly harassed and persecuted by the government, while pliant and sycophantic mediapersons and media houses are being nurtured. This campaign to quell dissent has to stop. (2/2)
— NWMIndia (@NWM_India) October 3, 2023
नेशनल अलायंस ऑफ जर्नलिस्ट्स, दिल्ली यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स और केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स (दिल्ली यूनिट) ने भी इसी तरह के बयान जारी किए हैं.
उन्होंने कहा, ‘हम मानते हैं कि यह केंद्र द्वारा प्रेस की आज़ादी को ख़त्म करने का एक और प्रयास है. किसी मीडिया संगठन में लगभग सभी कर्मचारियों पर छापा मारने और उन्हें डराने-धमकाने की ऐसी कार्रवाई अनसुनी है. न्यूज़क्लिक प्रबंधन यह कहता रहा है कि उन्हें जो भी धन प्राप्त हुआ है वह कानूनी स्रोतों के माध्यम से प्राप्त हुआ है और इसके साक्ष्य दिल्ली हाईकोर्ट में पेश किए गए हैं.’
अखिल भारतीय लोकतांत्रिक महिला संघ (ऐडवा) ने भी मंगलवार को पत्रकारों के खिलाफ हुई कार्रवाई की निंदा की है. उनके बयान में कहा गया, ‘यह बेहद अलोकतांत्रिक, अनुचित, दमनकारी कार्रवाई स्पष्ट रूप से स्वतंत्र और निडर पत्रकारों और अन्य लोगों को डराने के लिए की गई है जो सरकारी नीतियों के आलोचक रहे हैं. भाजपा सरकार ने अब इन छापों को अंजाम देने और संबंधित व्यक्तियों के लैपटॉप और मोबाइल सहित इलेक्ट्रॉनिक सामानों को जब्त करने के लिए आईपीसी की अन्य धाराओं के साथ कठोर यूएपीए का उपयोग करने का विकल्प चुना है.’
दिल्ली पुलिस की कार्रवाई इतिहासकार सोहेल हाशमी के यहां भी हुई. उनकी बहन और सामाजिक कार्यकर्ता शबनम हाशमी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा कि इस सरकार में पत्रकारों, बुद्धिजीवियों, कलाकारों और आम नागरिकों की लोकतांत्रिक आवाज़ों को दबाया जाना बदस्तूर जारी है.
Today, early morning at 6 am, Delhi Police's special cell raided Sohail Hashmi's residence. 6 people barged into the house and the bedroom . Questioned him for two hours . The cops have seized his computer, phone, hard disc and flash drives. His residence was one among many…
— Shabnam Hashmi (@ShabnamHashmi) October 3, 2023
उन्होंने लिखा, ‘कानूनी कार्यवाही के नाम पर आज आम लोगों को सरकार द्वारा सरासर धमकी, उत्पीड़न और डर का सामना करना पड़ रहा है. नागरिकों को संवैधानिक अधिकारों का प्रयोग करने से रोकने के लिए सरकार की ऐसी डराने-धमकाने वाली रणनीति से हम चुप नहीं रहेंगे.’
विपक्ष ने की आलोचना, कहा- ध्यान भटकाने की तरकीब
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने लिखा कि पत्रकारों के खिलाफ यह कार्रवाई बिहार के जाति-आधारित सर्वे के नतीजों और देशभर में बढ़ती जाति जनगणना की मांग से ध्यान भटकाने का नया तरीका है.
The early morning raids on contributing journalists at Newsclick comes as fresh distraction from the explosive findings of caste census in Bihar and the growing demand for caste census across the country. When he faces questions from out of syllabus, he resorts to the only…
— Pawan Khera 🇮🇳 (@Pawankhera) October 3, 2023
विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन ने भी एक बयान जारी कर पत्रकारों के यहां हुए छापों की कड़ी निंदा की है और कहा है कि वह मीडिया और संविधान द्वारा संरक्षित बोलने और और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के साथ ‘दृढ़ता से खड़ा’ है.
इसने मीडिया के संबंध में सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) नियमों के विनाशकारी प्रभावों का ज़िक्र किया है.
‘पिछले नौ सालों में भाजपा सरकार ने जानबूझकर मीडिया पर अत्याचार और दमन किया है और जांच एजेंसियों को तैनात करके ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन, न्यूज़लॉन्ड्री, दैनिक भास्कर, भारत समाचार, द कश्मीर वाला, द वायर आदि और हाल ही में न्यूज़क्लिक की आवाज़ दबाने की कोशिश की है.
भाजपा सरकार ने पूंजीपतियों द्वारा मीडिया संगठनों पर कब्ज़ा करने की सुविधा देकर मीडिया को अपने पक्षपातपूर्ण और वैचारिक हितों के लिए मुखपत्र में बदलने की भी कोशिश की है. सरकार और उसके विचारधारा से जुड़े संगठनों दोनों ने सत्ता के सामने सच बोलने वाले पत्रकारों के खिलाफ प्रतिशोध का सहारा लिया है. इसके अलावा, भाजपा सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी नियम 2021 जैसी प्रतिगामी नीतियों को भी आगे बढ़ाया है जो मीडिया को निष्पक्ष रूप से रिपोर्टिंग करने से रोकती है. ऐसा करके, भाजपा न केवल भारत के लोगों से अपने पापों को छिपा रही है, बल्कि यह एक परिपक्व लोकतंत्र के रूप में भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा से भी समझौता कर रही है.
यह भी देखा गया कि भाजपा सरकार की दमनकारी कार्रवाइयां ‘निश्चित रूप से केवल उन मीडिया संगठनों और पत्रकारों के खिलाफ हैं जो सत्ता के खिलाफ सच बोलते हैं.
विडंबना यह है कि जब देश में नफरत और विभाजन को भड़काने वाले पत्रकारों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात आती है तो भाजपा सरकार पंगु हो जाती है. भाजपा सरकार के लिए राष्ट्रीय हित में यह उचित होगा कि वह देश और जनता के वास्तविक मुद्दों पर ध्यान लगाए और अपनी विफलताओं से ध्यान भटकाने के लिए मीडिया पर हमला करना बंद करे.’
इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जब्त करने पर उठे सवाल
इस कार्रवाई के बीच इंटरनेट स्वतंत्रता की पैरवी करने वाले कार्यकर्ताओं ने डिजिटल उपकरणों की जब्ती को चिंताजनक बताया है और कहा कि यह एक तरह का चलन बन गया है.
Seizure of a journalists phone and digital devices is a wider trend that requires reform and safeguards. Important for us to remember earlier this year the raid at the BBC India offices. At the time I wrote on it in the Hindu. I am quoting from it below:
“Since 2018, there have…
— Apar (@apar1984) October 3, 2023
इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन के अपार गुप्ता ने लिखा कि किसी पत्रकार के फोन और डिजिटल उपकरणों को जब्त करना एक बढ़ता चलन है जिसमें सुधार और सेफगार्ड देने की ज़रूरत है.
If the government can raid and seize devices of journalists and activists with so much alacrity basis foreign newspaper reports, then where was this action when the Washington Post revealed ample evidence of planting and fabrication of evidence by those connected with the state…
— Saurav Das (@OfficialSauravD) October 3, 2023
इनवेस्टिगेटिव पत्रकार सौरव दास ने सवाल उठाया, ‘अगर सरकार इतनी तत्परता से विदेशी अखबारों की रिपोर्ट्स के आधार पर पत्रकारों और कार्यकर्ताओं पर छापा मार सकती है और उनके डिवाइस जब्त कर सकती है, तो यह कार्रवाई तब कहां थी जब वाशिंगटन पोस्ट ने भीमा-कोरेगांव में सरकार से जुड़े लोगों द्वारा साजिश रचने के पर्याप्त सबूतों का खुलासा किया था. क्या ताकत का चुनिंदा का इस्तेमाल हुआ है?’
We are concerned about the raids and seizure of digital devices at the houses of prominent journalists. Such arbitrary practices violate the right to privacy and negatively impact #pressfreedom in derogation of due process of law. https://t.co/UJfBNocqty
— Internet Freedom Foundation (IFF) (@internetfreedom) October 3, 2023
इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन का कहना है कि वह पत्रकारों के घरों पर छापेमारी और डिजिटल उपकरणों जब्त करने को लेकर चिंतित हैं. इस तरह की मनमाने तरीके निजता के अधिकार का उल्लंघन हैं और कानून की उचित प्रक्रिया का अपमान करते हुए प्रेस की स्वतंत्रता पर नकारात्मक असर डालते हैं.