न्यूज़क्लिक के संस्थापक व संपादक प्रबीर पुरकायस्थ और पोर्टल के एचआर विभाग के प्रमुख अमित चक्रवर्ती को मंगलवार को यूएपीए के तहत गिरफ़्तार किया गया था, लेकिन पुलिस ने उनके वकीलों को एफआईआर की प्रति देने से इनकार कर दिया. इसके बाद उन्होंने अदालत का रुख़ किया है.
नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने गुरुवार (5 अक्टूबर) को न्यूज़क्लिक के संस्थापक और संपादक प्रबीर पुरकायस्थ की उस याचिका को स्वीकार कर लिया, जिसमें उन्होंने उस एफआईआर की एक प्रति प्रदान करने की मांग की थी, जिसके तहत उन्हें गिरफ्तार किया गया है. इससे पहले दिन में, दिल्ली पुलिस ने पुरकायस्थ की याचिका का विरोध किया था.
स्क्रॉल के अनुसार, विशेष लोक अभियोजक अतुल श्रीवास्तव ने आवेदन को ‘अपरिपक्व’ बताया और कहा कि आरोपी को अदालत के बजाय पुलिस आयुक्त के पास जाना चाहिए.
पुरकायस्थ और पोर्टल के एचआर विभाग के प्रमुख अमित चक्रवर्ती को मंगलवार देर रात कठोर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था, जब दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने लगभग 46 पत्रकारों और अन्य लोगों के आवासों पर छापेमारी की और उनके सभी उपकरणों को जब्त कर लिया. कुछ पत्रकारों से कई घंटों तक पूछताछ भी की गई थी.
पोर्टल के खिलाफ कार्रवाई गुरुवार को भी जारी रही, जब दिल्ली पुलिस न्यूजक्लिक के कार्यालय में काम कर चुके एक ठेकेदार के घर पहुंची और उन्हें थाने ले गई.
बड़े पैमाने पर कार्रवाई और गिरफ्तारियों के बावजूद दिल्ली पुलिस ने न्यूज़क्लिक के वकीलों को एफआईआर की प्रति देने से इनकार कर दिया. इसके बाद पुरकायस्थ ने बुधवार को एफआईआर की प्रति उपलब्ध कराने के लिए पटियाला हाउस कोर्ट में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश हरदीप कौर के समक्ष याचिका दायर की. तब अदालत ने याचिका पर पुलिस को नोटिस जारी किया.
जहां न्यूज़क्लिक के वकील एफआईआर प्राप्त करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, वहीं मीडिया के कुछ वर्गों को दस्तावेज़ पाने में कोई परेशानी नहीं हुई- जो बताता है कि पुलिस ने एफआईआर को चुनिंदा लोगों को लीक करने का विकल्प चुना है.
जैसा कि स्क्रॉल ने अपनी खबर में बताया है कि एक आरोपी को उन आधारों के बारे में सूचित किए जाने का मौलिक अधिकार प्राप्त है जिनके तहत उसे गिरफ्तार किया गया है:
‘भारतीय संविधान के अनुच्छेद 22(1) में कहा गया है: ‘गिरफ्तार किए गए किसी भी व्यक्ति को ऐसी गिरफ्तारी के आधार के बारे में यथाशीघ्र सूचित किए बिना हिरासत में नहीं रखा जाएगा’. यह लगभग पूर्ण मौलिक अधिकार है, जो वर्तमान मामले में लागू नहीं है.’
न्यूज़क्लिक के वकीलों ने एफआईआर की वैधता को अदालत में चुनौती देने की योजना बनाई है, लेकिन एफआईआर की प्रति के बिना ऐसा करने में असमर्थ हैं.
न्यूज़क्लिक और इसके कर्मचारियों और इससे जुड़े लोगों के खिलाफ कार्रवाई की देशभर के मीडिया अधिकार निकायों द्वारा आलोचना की गई है. अठारह मीडिया संगठनों ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को भी पत्र लिखकर प्रेस की आज़ादी पर हो रहे हमलों पर चिंता व्यक्त की है.