न्यूज़क्लिक केस: दिल्ली पुलिस की एफआईआर में चीनी फर्म शाओमी, वीवो का नाम, अज्ञात वकील का ज़िक्र

एफआईआर में न्यूज़क्लिक के संपादक में प्रबीर पुरकायस्थ, गौतम नवलखा और अमेरिकी कारोबारी नेविल रॉय सिंघम के ख़िलाफ़ यूएपीए की पांच धाराएं लगाई गई हैं. साथ ही शाओमी और वीवो द्वारा 'अवैध फंडिंग' और किसी 'गौतम भाटिया' द्वारा इन टेलीकॉम कंपनियों के 'क़ानूनी मामलों में बचाव' की बात कही गई है. कंपनियों से जुड़े अदालती रिकॉर्ड में किसी गौतम भाटिया के उनके वकील होने के प्रमाण नहीं हैं.

[प्रतीकात्मक फोटो साभार: Ivan Lian/Flickr (CC BY-NC-ND 2.0)]

एफआईआर में न्यूज़क्लिक के संपादक में प्रबीर पुरकायस्थ, गौतम नवलखा और अमेरिकी कारोबारी नेविल रॉय सिंघम के ख़िलाफ़ यूएपीए की पांच धाराएं लगाई गई हैं. साथ ही शाओमी और वीवो द्वारा ‘अवैध फंडिंग’ और किसी ‘गौतम भाटिया’ द्वारा इन टेलीकॉम कंपनियों के ‘क़ानूनी मामलों में बचाव’ की बात कही गई है. कंपनियों से जुड़े अदालती रिकॉर्ड में किसी गौतम भाटिया के उनके वकील होने के प्रमाण नहीं हैं.

[प्रतीकात्मक फोटो साभार: Ivan Lian/Flickr (CC BY-NC-ND 2.0)]
नई दिल्ली: न्यूज़क्लिक और इसके संपादक प्रबीर पुरकायस्थ के खिलाफ दिल्ली पुलिस की एफआईआर, जो  उनकी गिरफ्तारी और लगभग 50 अन्य पत्रकारों, लेखकों और न्यूज़ पोर्टल से जुड़े अन्य लोगों पर छापे का कारण बनी, में एक ‘बड़ी आपराधिक साजिश’ का भी आरोप लगाया गया है. इसमें चीन की कंपनियों शाओमी और वीवो द्वारा ‘अवैध फंडिंग देने’ और किसी ‘गौतम भाटिया’ द्वारा इन टेलीकॉम कंपनियों के खिलाफ ‘कानूनी मामलों में बचाव करने’ की बात भी कही गई है, और इन्हीं भाटिया को ‘प्रमुख व्यक्ति’ बताया गया है.

रिपोर्ट के मुताबिक, एफआईआर में भाटिया के बारे में अन्य कोई विवरण नहीं है और जिन दो चीनी कंपनियों का नाम लिया गया है, उनसे जुड़े अदालती रिकॉर्ड में किसी भी गौतम भाटिया के उनके वकील होने के प्रमाण नहीं हैं.

इस नाम वाले सबसे प्रसिद्ध वकील संविधान और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर व्यापक रूप से सराही गई किताबें लिख चुके हैं और उनकी अदालती प्रैक्टिस मानवाधिकारों से संबंधित मामलों पर ही केंद्रित रही है. चीनी कंपनियों को छोड़ भी दें, ऐसी कोई जानकारी नहीं है जो बताती हो कि उनका किसी भी टेलीकॉम कंपनी के साथ कोई नाता रहा है.

17 अगस्त 2023 को दर्ज की गई एफआईआर में पुरकायस्थ, मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा और अमेरिकी व्यवसायी नेविल रॉय सिंघम का नाम है और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की 13/16/17/18/22 – यानी गैरकानूनी गतिविधि, आतंकवाद, आतंकवाद के लिए धन जुटाना, साजिश करना और गवाहों को धमकाना की कई धाराएं लगाई गई हैं- इसके अलावा भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 153ए (समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) और 120बी (आपराधिक साजिश) के तहत भी आरोप लगाए गए हैं.

पुरकायस्थ, न्यूज़क्लिक और सिंघम- एक अमेरिकी कारोबारी, जिनकी खुले बैंकिंग चैनलों के जरिये न्यूज़ पोर्टल की फंडिंग अब पुलिस मामले का आधार है- के खिलाफ अपने प्रमुख दावों के बाद एफआईआर कहती है:

‘यह भी पता चला है कि बड़ी चीनी टेलीकॉम कंपनियों जैसे शाओमी, वीवो आदि ने इस साजिश को आगे बढ़ाने के लिए भारत में अवैध रूप से विदेशी फंड लाने के लिए पीएमएलए/फेमा का उल्लंघन करते हुए भारत में हजारों शेल कंपनियों को शामिल किया.’

आगे लिखा है,

‘इसके अलावा प्रबीर पुरकायस्थ, नेविल रॉय सिंघम, गीता हरिहरन, गौतम भाटिया (प्रमुख व्यक्ति) ने बदले में उक्त चीनी टेलीकॉम कंपनियों से मिलने वाले लाभ के एवज में इन कंपनियों के खिलाफ कानूनी मामलों को लेकर अभियान चलाने और बढ़-चढ़कर उनका बचाव करने के लिए भारत में एक लीगल कम्युनिटी नेटवर्क बनाने की साजिश रची.’

ज्ञात हो कि भारत में शाओमी और वीवो की न केवल मोबाइल फोन सप्लायर हैं, बल्कि निवेशकों के रूप में भी उनकी बड़ी उपस्थिति है. शाओमी ने शेयरचैट (ShareChat), क्रेडिटबी (KreditBee), ज़ेस्टमनी (ZestMoney) जैसे भारतीय स्टार्टअप्स में भी काफी पैसा निवेश किया है. दोनों कंपनियां वर्तमान में मनी लॉन्ड्रिंग में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच के दायरे में हैं और भारत में उनकी वित्तीय संपत्तियों का एक बड़ा हिस्सा जब्त किया जा चुका है.

शाओमी के वकील उदय होला ने इस साल की शुरुआत में कर्नाटक हाईकोर्ट में कंपनी का बचाव किया था, हालांकि वे कंपनी के फ्रीज़ किए गए फंड को जारी करवाने में सफल नहीं हुए. दिल्ली हाईकोर्ट में वीवो का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा और सिद्धार्थ अग्रवाल ने किया है.

उल्लेखनीय है कि साल 2020 में कोविड महामारी के दौरान शाओमी ने पीएम केयर्स फंड में 10 करोड़ रुपये दान किए थे और वर्तमान में ‘भारत में बड़े पैमाने पर प्रोडक्शन इकाइयों की योजना बना रहा है.’ वहीं, भारत में पहले ही 2,400 करोड़ रुपये का निवेश कर चुकी वीवो कुल 7,500 करोड़ रुपये के निवेश की योजना बना रही है.

हालांकि, भारत में विस्तार की इन योजनाओं पर सवालिया निशान लगना तय है क्योंकि दिल्ली पुलिस ने अब दोनों चीनी कंपनियों को भारत को अस्थिर करने की अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी साजिश के केंद्र में रखा है.

 भारत सरकार की नीतियों की आलोचना

एफआईआर मेंएक जगह पुलिस का कहना है कि चीनी फंडिंग से आई ‘बड़ी राशि’ का इस्तेमाल ‘पेड न्यूज’ प्रकाशित करने के लिए किया गया था, जिसमें भारत सरकार की नीतियों की आलोचना की गई थी और चीनी नीतियों को बढ़ावा दिया गया था, हालांकि एफआईआर में इनका कोई विवरण नहीं दिया गया है.

जैसा कि 4 अक्टूबर के पुलिस के रिमांड अनुरोध में भी कहा गया था, एफआईआर में एक बंद हो चुके वॉट्सऐप ग्रुप का भी नाम है, जिसे लेकर आरोप लगाया गया है कि इसे 2019 के लोकसभा चुनाव में ‘गड़बड़ी फैलाने’ के इरादे से पुरकायस्थ के साथ एक साजिश के तहत कई साल पहले बनाया गया था. एफआईआर में लिखा है:

‘यह पता चला है कि प्रबीर पुरकायस्थ ने 2019 के आम चुनावों के दौरान चुनावी प्रक्रिया को बाधित करने के लिए पीपुल्स अलायंस फॉर डेमोक्रेसी एंड सेकुलरिज्म (पीएडीएस) नाम के एक ग्रुप के साथ साजिश रची थी. इस ग्रुप में शामिल प्रमुख लोग, जो इस साजिश में साझीदार थे, वे बत्तीनी राव (संयोजक, पीएडीएस), दिलीप सीमियन, दीपक ढोलकिया, हर्ष कपूर, जमाल किदवई, किरण शाहीन, संजय कुमार, असित दास आदि हैं.’

दिलीप एक प्रसिद्ध इतिहासकार हैं, जो कुछ साल पहले दिल्ली विश्वविद्यालय से रिटायर हुए हैं, वहीं दीपक ढोलकिया स्कॉलर और सामाजिक कार्यकर्ता हैं. दोनों के यहां 3 अक्टूबर को दिल्ली पुलिस की विशेष सेल ने छापा मारा था और उनके इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों जब्त किए थे.

यहां भी एफआईआर में इन गंभीर आरोपों को साबित करने के लिए कोई विवरण या पुष्टि करने वाली जानकारी नहीं दी गई है.

‘घरेलू फार्मा उद्योग के खिलाफ झूठे नैरेटिव’ का आरोप

पुरकायस्थ और सिंघम के साथ-साथ लेखक विजय प्रसाद के खिलाफ एक और आरोप यह है कि उन्होंने अन्य लोगों के साथ मिलकर ‘कोविड-19 महामारी को रोकने के लिए भारत सरकार के प्रयासों को बदनाम करने के लिए सक्रिय रूप से झूठे नैरेटिव फैलाए.’ यह आरोप रिमांड अनुरोध में भी शामिल है, एफआईआर में एक और आरोप शामिल है कि:

‘इसके अलावा, उन्होंने घरेलू फार्मा उद्योग और राष्ट्र-विरोधी ताकतों के साथ मिलकर लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई भारत सरकार की नीति और पहल के बारे में भ्रामक और झूठे नैरेटिव को बढ़ावा देकर राष्ट्रीय हित के खिलाफ काम किया है.’

हालांकि, इसके बारे में कोई विवरण नहीं दिया गया है.

दिलचस्प बात यह है कि एफआईआर में पुलिस रिमांड रिपोर्ट में शामिल अधिक गंभीर (पर अप्रमाणित) आरोपों में से एक का जिक्र नहीं किया गया है, जैसे कि ‘आरोपी व्यक्तियों ने आरोपी नेविल रॉय सिंघम के साथ मिलकर समाज के विभिन्न वर्गों के बीच असंतोष पैदा करने की साजिश रची और वे ‘प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन से सक्रिय रूप से सहानुभूति रखते पाए गए ताकि देश की एकता, अखंडता, सुरक्षा और संप्रभुता को खतरा हो.’

अभी तक पुलिस ने इस बात की पहचान नहीं दी है कि वे किस प्रतिबंधित आतंकी संगठन का जिक्र कर रहे हैं.

एफआईआर में मुख्य आरोप ‘नक़्शे बनाने संबंधी आतंकवाद’ का 

एफआईआर में पुरकायस्थ और सिंघम पर एकदूसरे को ऐसे ईमेल भेजने का भी आरोप लगाया गया है जो ‘कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश को भारत का हिस्सा न दिखाने के उनके इरादे को उजागर करता है.’ पुलिस का कहना है कि इससे ‘वैश्विक और घरेलू स्तर पर एक नैरेटिव फैलाने की उनकी साजिश का पता चलता है कि कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश विवादित क्षेत्र हैं. भारत की उत्तरी सीमाओं के साथ छेड़छाड़ करने और कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश को भारत के नक़्शे में न दिखाने की उनकी कोशिशें भारत की एकता और क्षेत्रीय अखंडता को कमजोर करने के उद्देश्य से किया गया कृत्य है.’

हालांकि, एफआईआर में इस आरोप को साबित करने के लिए कोई विवरण नहीं दिया गया है, लेकिन ऐसा लगता है कि अधिकारियों ने 5 अगस्त, 2023 को सिंघम पर न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में न्यूज़क्लिक का संदर्भ शामिल होने के तुरंत बाद मीडिया के एक वर्ग को इस कथित ईमेल के अंश लीक कर दिए.

इंडिया टुडे पत्रिका की 9 अगस्त 2023 की एक खबर में इसका जिक्र है. इसी दिन आरएसएस के मुखपत्र ‘ऑर्गनाइज़र’ ने भी इसी तरह का जिक्र किया था.

हालांकि, दोनों ही रिपोर्ट्स में इस बात का कोई उल्लेख नहीं है कि नक्शों से संबंधित ईमेल को लेकर प्रबीर द्वारा कोई मेल भेजा गया हो.

सिंघम से पूछताछ के लिए भारत क्या कदम उठा रहा है, इसकी कोई जानकारी नहीं