बिहार सरकार को जाति सर्वे डेटा के इस्तेमाल से रोकने से सुप्रीम कोर्ट के इनकार समेत अन्य ख़बरें

द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.

(फोटो: द वायर)

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सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बिहार सरकार को इसके जाति सर्वे का इस्तेमाल करने से रोकने वाला कोई आदेश देने से इनकार कर दिया है. लाइव लॉ के अनुसार, यह याचिका दो एनजीओ- ‘यूथ फॉर इक्वलिटी’ और ‘एक सोच एक प्रयास’ की थी, जिन्होंने पटना हाईकोर्ट के बिहार के जाति सर्वे करने के फैसले को चुनौती दी थी. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवीएन भट्टी ने मौखिक टिप्पणी करते हुए  कहा कि वे बिहार या किसी भी सरकार को कोई निर्णय लेने से नहीं रोक सकते. अदालत ने इस मामले की सुनवाई को जनवरी 2024 तक स्थगित कर दिया है.

वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश ने कहा है कि ख़बरों में उनका वकील बताए जा रहे व्यक्ति असल में उनके वकील नहीं हैं. 3 अक्टूबर को न्यूज़क्लिक को लेकर हुई दिल्ली पुलिस की छापेमारी और पूछताछ का हिस्सा रहे वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश ने गुरुवार द वायर  को बताया कि उन्होंने किसी वकील की सेवाएं नहीं ली हैं. उन्होंने उन ख़बरों का खंडन किया है, जिसमें गौरव यादव को उनका वकील बताया गया है. मंगलवार को प्रकाशित हुई कई ख़बरों में गौरव यादव को उर्मिलेश का वकील बताते हुए कहा गया था कि उन्हें अपने मुवक्किल (उर्मिलेश) से मिलने की अनुमति नहीं दी गई.

केंद्र सरकार ने अलगाववादी शब्बीर शाह के नेतृत्व वाली जम्मू-कश्मीर डेमोक्रेटिक फ्रीडम पार्टी पर प्रतिबंध लगा दिया है. हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, शाह को ईडी ने साल 2017 को मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में गिरफ़्तार किया था. वह टेरर-फंडिंग मामले में भी आरोपी हैं और दिल्ली की एक जेल में बंद हैं. गृह मंत्रालय ने उनके नेतृत्व वाली जम्मू-कश्मीर डेमोक्रेटिक फ्रीडम पार्टी पर भारत विरोधी और पाकिस्तान समर्थक गतिविधियों का आरोप लगाते हुए यूएपीए के तहत प्रतिबंध लगाया है.

ईरान की मानवाधिकार कार्यकर्ता नरगिस मोहम्मदी को इस साल का नोबेल शांति पुरस्कार देने की घोषणा की गई है. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, वे जेल में बंद हैं. नोबेल पुरस्कार देने वाली समिति ने कहा कि उन्हें ईरान में ‘औरतों के दमन के विरुद्ध उनके संघर्ष और सभी के लिए मानवाधिकारों और आज़ादी की पैरवी करने के लिए’ चुना गया है. बीते साल नवंबर में गिरफ्तार किए जाने से पहले नरगिस वहां प्रतिबंधित किए गए ह्यूमन राइट्स सेंटर की उपाध्यक्ष के तौर पर काम कर रही थीं.

कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा है कि आवारा कुत्तों के प्रति सहानुभूति अव्यवस्था पैदा या जनता के लिए खतरा पैदा करने की कीमत पर नहीं होनी चाहिए. एनडीटीवी के अनुसार, अदालत पशु कल्याण बोर्ड के दिशानिर्देशों को लागू करने में राज्य सरकार की कथित देरी पर एक जनहित याचिका सुन रही थी. इसने कहा कि कहा कि ऐसे नागरिकों (जो आवारा कुत्तों को खाना देते हैं का फर्ज है कि वे यह सुनिश्चित करें कि यह गतिविधि उसके साथी नागरिकों के लिए बाधा या कोई खतरा पैदा नहीं करेगी. अनिर्धारित स्थानों पर आवारा कुत्तों को खाना खिलाने से निश्चित रूप से बच्चों के मन में कुछ आशंकाएं पैदा होंगी और कुछ आवारा कुत्तों के बच्चों की ओर दौड़ने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.