छात्र साल में एक या दो बार 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा देना चुन सकते हैं: शिक्षा मंत्री

अगस्त में शिक्षा मंत्रालय द्वारा घोषित न्यू करिकुलम फ्रेमवर्क (एनसीएफ) के अनुसार, बोर्ड परीक्षाएं साल में कम से कम दो बार आयोजित की जाएंगी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि छात्रों के पास अच्छा प्रदर्शन करने के लिए पर्याप्त अवसर हो. केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा है कि 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं में साल में दो बार शामिल होना अनिवार्य नहीं होगा.

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान. (फोटो साभार: फेसबुक)

अगस्त में शिक्षा मंत्रालय द्वारा घोषित न्यू करिकुलम फ्रेमवर्क (एनसीएफ) के अनुसार, बोर्ड परीक्षाएं साल में कम से कम दो बार आयोजित की जाएंगी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि छात्रों के पास अच्छा प्रदर्शन करने के लिए पर्याप्त अवसर हो. केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा है कि 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं में साल में दो बार शामिल होना अनिवार्य नहीं होगा.

New Delhi: Petroleum & Natural Gas Minister Dharmendra Pradhan speaks during a cabinet briefing, in New Delhi, Wednesday, Sept 12, 2018. (PTI Photo/Shahbaz Khan) (PTI9_12_2018_000092B)
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान. (फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा है कि कक्षा 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं में साल में दो बार शामिल होना अनिवार्य नहीं होगा और एक ही अवसर मिलने के डर से होने वाले तनाव को घटाने के लिए यह विकल्प पेश किया जा रहा है.

समाचार एजेंसी ‘पीटीआई’ को दिए एक विशेष साक्षात्कार में प्रधान ने कहा कि ‘डमी स्कूलों’ के मुद्दे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है और इस पर गंभीर चर्चा करने का समय आ गया है.

अगस्त में शिक्षा मंत्रालय द्वारा घोषित न्यू करिकुलम फ्रेमवर्क (एनसीएफ) के अनुसार, बोर्ड परीक्षाएं साल में कम से कम दो बार आयोजित की जाएंगी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि छात्रों के पास अच्छा प्रदर्शन करने के लिए पर्याप्त समय और अवसर हो. उन्हें सर्वश्रेष्ठ स्कोर बरकरार रखने का विकल्प भी मिलेगा.

यह पूछे जाने पर कि कैसे यह कदम नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) में प्रस्तावित बोर्ड परीक्षाओं को ‘कम जोखिम’ वाला बना देगा, प्रधान ने कहा, ‘छात्रों के पास इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा जेईई की तरह ही साल में दो बार परीक्षा में बैठने का विकल्प होगा. वे सर्वश्रेष्ठ स्कोर चुन सकते हैं, लेकिन यह पूरी तरह से वैकल्पिक होगा, कोई बाध्यता नहीं होगी.’

केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘छात्र अक्सर यह सोचकर तनावग्रस्त हो जाते हैं कि उनका एक साल बर्बाद हो गया, उनका मौका चला गया या वे बेहतर प्रदर्शन कर सकते थे. एक ही अवसर मिलने के डर से होने वाले तनाव को घटाने के लिए यह विकल्प पेश किया जा रहा है. अगर किसी छात्र को लगता है कि उसकी तैयारी पूरी है और वह परीक्षा के एक सेट के स्कोर से पूरी तरह संतुष्ट है, तो वह अगली परीक्षाओं में शामिल नहीं होने का विकल्प चुन सकता है.

उन्होंने कहा कि कुछ भी अनिवार्य नहीं किया जाएगा.

प्रधान, जो केंद्रीय कौशल विकास मंत्री भी हैं, ने कहा कि उन्हें वर्ष में दो बार बोर्ड परीक्षा आयोजित करने की योजना पर छात्रों से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है.

उन्होंने कहा, ‘एनसीएफ की घोषणा के बाद मैं छात्रों से मिला. उन्होंने इसकी सराहना की है और इस विचार से खुश हैं. हम 2024 से साल में दो बार परीक्षा आयोजित करने का प्रयास कर रहे हैं.’

हालांकि, बोर्ड परीक्षा में सुधार का यह पहला प्रयास नहीं है. सतत और व्यापक मूल्यांकन (सीसीई) को 2009 में 10वीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए पेश किया गया था, लेकिन 2017 में इसे रद्द कर दिया गया और बोर्ड साल के अंत में परीक्षा के पुराने मॉडल पर वापस लौट आया था.

कोविड-19 महामारी के दौरान 10वीं और 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाओं को एक बार के उपाय के तहत दो चरणों में विभाजित कर दिया गया था, लेकिन साल के अंत में आयोजित की जाने वाली परीक्षा का पुराना प्रारूप इस साल फिर से शुरू किया गया है.

परीक्षा का तनाव

प्रधान ने कहा, ‘ऐसे देश में जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद अपने वार्षिक कार्यक्रम ‘परीक्षा पे चर्चा’ में छात्रों को परीक्षा के दौरान तनाव मुक्त रहने की सलाह देते हैं, वहां इस तरह का परीक्षा सुधार जरूरी है. वह छात्रों से कहते हैं कि परीक्षा से डरो नहीं, बल्कि परीक्षा की परीक्षा लो.’

इस साल राजस्थान के कोटा में छात्र आत्महत्याओं में बढ़ोतरी के बारे में पूछे जाने पर मंत्री ने कहा, ‘यह एक बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है. किसी की जान नहीं जानी चाहिए. वे हमारे बच्चे हैं. यह सुनिश्चित करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि छात्र तनाव मुक्त रहें.’

इंजीनियरिंग के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) और मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (एनईईटी/नीट) जैसी प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं की तैयारी के लिए सालाना दो लाख से अधिक छात्र कोटा जाते हैं.

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, इस साल कोटा में 26 छात्रों की आत्महत्या से मौत हो गई, जो देश के कोचिंग हब के लिए अब तक की सबसे अधिक संख्या है. पिछले साल यह आंकड़ा 15 था.

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