हिंसा के साथ मणिपुर डेंगू और अफ्रीकी स्वाइन फीवर जैसे स्वास्थ्य संकट से भी जूझ रहा है

एक रिपोर्ट के अनुसार, पांच महीने से अधिक समय से जातीय हिंसा से प्रभावित मणिपुर में डेंगू के कारण पांच लोगों की मौत होने का संदेह है. राज्य में 13 अक्टूबर तक 1,338 मामले दर्ज किए गए थे, जो हाल के दिनों में दर्ज किया गया सबसे अधिक संक्रमण है. इसके अलावा यहां अफ्रीकी स्वाइन फीवर के प्रकोप की भी पुष्टि की गई है.

एडीज एजिप्टी नामक मच्छर डेंगू और चिकनगुनिया फैलाते हैं. (फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स)

एक रिपोर्ट के अनुसार, पांच महीने से अधिक समय से जातीय हिंसा से प्रभावित मणिपुर में डेंगू के कारण पांच लोगों की मौत होने का संदेह है. राज्य में 13 अक्टूबर तक 1,338 मामले दर्ज किए गए थे, जो हाल के दिनों में दर्ज किया गया सबसे अधिक संक्रमण है. इसके अलावा यहां अफ्रीकी स्वाइन फीवर के प्रकोप की भी पुष्टि की गई है.

एडीज एजिप्टी नामक मच्छर डेंगू और चिकनगुनिया फैलाते हैं. (फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स)

नई दिल्ली: मणिपुर कई संकटों से जूझ रहा है, यहां डेंगू और अफ्रीकन स्वाइन फीवर (एएफएस) का प्रकोप फैला हुआ है, जबकि पिछले पांच महीने से अधिक समय से जातीय हिंसा का दौर जारी है.

इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, डेंगू के कारण पांच लोगों की मौत होने का संदेह है और 13 अक्टूबर तक 1,338 मामले दर्ज किए गए थे, जो राज्य में हाल के दिनों में दर्ज किया गया सबसे अधिक संक्रमण है.

रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल की संख्या 2022 में दर्ज किए गए मामलों से लगभग तीन गुना और 2021 में दर्ज मामलों की तुलना में पांच गुना है.

राज्य के स्वास्थ्य निदेशालय ने 1 जनवरी से 13 अक्टूबर, 2023 तक पुष्टि किए गए डेंगू के मामलों और मौतों की स्थिति रिपोर्ट जारी की. जहां डेंगू की मृत्यु दर अब तक शून्य है, डेंगू से संबंधित पांच संदिग्ध मौतें दर्ज की गई हैं.

इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार, इंफाल पश्चिम 898 मामलों के साथ सबसे अधिक प्रभावित जिला है, जिसमें 3 संदिग्ध मौतें भी शामिल हैं.

इस बीच, राज्य के पशु चिकित्सा और पशुपालन विभाग ने राज्य में अफ्रीकन स्वाइन फीवर के प्रकोप की भी पुष्टि की और इंफाल पश्चिम में केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय (सीएयू) के सूअर फार्म को अत्यधिक संक्रामक बीमारी का केंद्र घोषित किया है.

यह प्रकोप एक सप्ताह के भीतर सूअर पालकों द्वारा घाटी के जिलों में बुखार, भूख न लगना, भुखमरी जैसे लक्षणों के साथ सूअरों की मौत की सूचना देने के बाद आया है.

एनडीटीवी के रिपोर्ट के मुताबिक, इंफाल पश्चिम जिले के उपायुक्त और पशु चिकित्सा एवं पशुपालन विभाग के निदेशक ने संयुक्त रूप से आदेश जारी कर इंफाल पश्चिम से सूअरों की आवाजाही और परिवहन पर रोक लगा दी है और इसे प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित किया गया है. आदेश में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति अधिसूचित प्रजाति के किसी भी जानवर को मृत या जीवित प्रतिबंधित क्षेत्र से बाहर नहीं ले जाएगा.

अधिकारी ने कहा कि पशुओं में संक्रामक और संक्रामक रोग की रोकथाम और नियंत्रण अधिनियम, 2009 के तहत कोई भी व्यक्ति जो अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करता है या किसी अधिकारी को उसके कर्तव्यों में बाधा डालता है, अपराध का दोषी होगा और कानून के तहत दंडनीय होगा.

विशेषज्ञों के अनुसार, अफ्रीकन स्वाइन फीवर का प्रकोप पड़ोसी देश म्यांमार, बांग्लादेश और पूर्वोत्तर के निकटवर्ती राज्यों से लाए गए सूअरों या सूअर के मांस के कारण हुआ हो सकता है.

गौरतलब है कि बीते 3 मई को मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की ब​हुसंख्यक मेईतेई समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में जनजातीय एकजुटता मार्च के आयोजन के बाद जातीय हिंसा भड़क गई थी. हिंसा की घटनाओं में अब तक 180 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों लोग घायल हुए हैं. साथ ही 50,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं.

इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.