बीते साल अक्टूबर में नवरात्रि उत्सव के दौरान गुजरात के खेड़ा ज़िले के उंधेला गांव में एक गरबा कार्यक्रम पर मुस्लिम समुदाय के सदस्यों की भीड़ ने कथित तौर पर पथराव किया था. इसके बाद सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में कुछ पुलिसकर्मी मुस्लिम युवकों को सार्वजनिक तौर पर खंभे से बांधकर लाठियों से पिटाई करते हुए दिखे थे.
नई दिल्ली: पिछले साल अक्टूबर में गुजरात के खेड़ा जिले में पुलिस द्वारा पांच मुस्लिम युवकों को खंभे से बांधकर सार्वजनिक रूप से पीटने का मामला सामने आया था. अब इन युवकों ने हाईकोर्ट को बताया है कि उन्होंने चार आरोपी पुलिसकर्मियों से मुआवजा लेने से इनकार कर दिया है.
संबंधित पुलिसकर्मियों पर पिछले साल 4 अक्टूबर को तीन मुस्लिम युवकों की गिरफ्तारी के बाद उन्हें खंभे से बांधकर सार्वजनिक रूप से लाठियों से पीटने का आरोप था. गिरफ्तार किए गए लोगों पर राज्य के खेड़ा जिले के उंधेला गांव में नवरात्रि उत्सव के दौरान गरबा कार्यक्रम में पथराव करने का आरोप था.
जब मामला इस महीने की शुरुआत में अदालत में पहुंचा, तो उसने डीके बसु बनाम पश्चिम बंगाल राज्य मामले में सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने के लिए दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अदालत की अवमानना के आरोप तय किए. मालूम हो कि इस फैसले में कोर्ट ने गिरफ्तारी और हिरासत के दौरान पुलिस के आचरण के लिए नियम निर्धारित किए थे.
पुलिसकर्मियों ने अदालत को बताया था कि लोगों के कूल्हों पर मारना हिरासत में यातना नहीं है.
आरोपी पुलिसकर्मी – एवी परमार (इंस्पेक्टर), डीबी कुमावत (सब-इंस्पेक्टर), के.एल. दाभी (हेड कॉन्स्टेबल) और राजू डाभी (कॉन्स्टेबल) ने अदालत से आग्रह किया था कि उन्हें उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों के बदले पीड़ितों को मुआवजा देने की अनुमति दी जाए, क्योंकि इससे उनके पेशेवर रिकॉर्ड पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.
आरोपी पुलिसकर्मियों का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील प्रकाश जानी ने बीते सोमवार (16 अक्टूबर) को गुजरात हाईकोर्ट की पीठ को बताया, ‘पीड़ितों का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील आईएच सैयद के साथ हमारी बहुत ही सार्थक और गहन बैठक हुई. दरअसल, कुछ याचिकाकर्ता मौजूद थे. हालांकि, सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद मुझे खबर मिली है कि पीड़ितों ने अपने परिवार या समुदाय के सदस्यों से बात करने के बाद किसी भी समझौते और मुआवजे को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है.’
अदालत ने कहा कि कोई समझौता नहीं हो सका है. अब वह 19 अक्टूबर को अपना फैसला सुनाएगी.
मालूम हो कि पिछले साल तीन अक्टूबर को नवरात्रि उत्सव के दौरान खेड़ा जिले के उंधेला गांव में एक गरबा नृत्य कार्यक्रम पर मुस्लिम समुदाय के सदस्यों की भीड़ ने कथित तौर पर पथराव किया था, जिसमें कुछ ग्रामीण और पुलिसकर्मी घायल हो गए थे. इसके एक दिन बाद सोशल मीडिया पर कुछ वीडियो सामने आए, जिनमें पुलिसकर्मी कथित तौर पर पथराव करने के आरोप में गिरफ्तार किए गए लोगों की पिटाई करते दिखे.
इन वीडियो के सामने आने के बाद लोगों ने बड़े पैमाने पर ऑनलाइन आकर आक्रोश जताया था. इसके बाद पुलिस ने 7 अक्टूबर 2022 को इस घटना में शामिल पुलिस अधिकारियों के खिलाफ जांच के आदेश दिए थे.
इससे पहले गुजरात हाईकोर्ट में अपने हलफनामे में खेड़ा ज़िले के पुलिस अधीक्षक (एसपी) राजेश कुमार गढ़िया ने अक्टूबर 2022 में उंधेला गांव में मुस्लिम युवकों को सार्वजनिक रूप से पीटने वाले पुलिस अधिकारियों के कृत्य को सही ठहराया था.
गौरतलब है कि पुलिस की हिंसा के तुरंत बाद गुजरात के गृह मंत्री हर्ष सांघवी ने इसे ‘अच्छा कार्य’ बताते हुए पुलिसकर्मियों की प्रशंसा की थी.
जैसा कि द वायर ने एक रिपोर्ट में बताया था कि उंधेला के मुस्लिम निवासियों ने इस कथित क्रूरता का विरोध करने के लिए 2022 के विधानसभा चुनावों का बहिष्कार किया था. हालांकि, उनका विरोध प्रशासन और राजनीतिक दलों द्वारा नजरअंदाज कर दिया गया था.
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