आरोप है कि वडोदरा के मयंक तिवारी नाम के व्यक्ति ने प्रधानमंत्री कार्यालय का निदेशक (सरकारी सलाहकार) होने का दावा किया. वह लोगों को धमकाकर या ‘विवादों को निपटाने’ के लिए पीएमओ के नाम का इस्तेमाल करके करोड़ों रुपये इकट्ठा कर रहा था.
नई दिल्ली: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने एक व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज किया है जिसने प्रधानमंत्री कार्यालय का उच्चस्तरीय अधिकारी बनकर कथित रूप से एक अस्पताल समूह पर दबाव बनाने की कोशिश की कि वह एक अस्पताल पर उसके 16 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया ‘भूल जाए.
रिपोर्ट के अनुसार, वडोदरा के मयंक तिवारी नामक व्यक्ति ने खुद को एक निदेशक (सरकारी सलाहकार) होने का दावा किया और वह लोगों को धमकाकर या ‘विवादों को निपटाने’ के लिए पीएमओ के नाम का इस्तेमाल करके करोड़ों रुपये इकट्ठा कर रहा था.
पीएमओ में अवर सचिव चिराग पांचाल ने इसकी सूचना सीबीआई को दी, जिसने तिवारी के खिलाफ मामला दर्ज किया है. तिवारी ने डॉ. अग्रवाल के प्रबंध निदेशक को धमकी दी और उन्हें इंदौर के दो डॉक्टरों के साथ 16.43 करोड़ रुपये से अधिक का विवाद निपटाने के लिए मजबूर किया.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, डॉ. अग्रवाल ने फ्रेंचाइजी में शामिल होने के लिए इंदौर स्थित अस्पताल चलाने वाले दो डॉक्टरों के साथ एक समझौता किया, जिसके लिए 16 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया गया था. इंदौर के अस्पताल ने कथित तौर पर समझौते की शर्तों का उल्लंघन करना शुरू कर दिया जिसके परिणामस्वरूप विवाद हुआ और डॉ. अग्रवाल अपने पैसे वापस चाहते थे और समझौते को समाप्त करना चाहते थे.
उच्च न्यायालय ने समझौता करने के लिए एक मध्यस्थ नियुक्त किया और मध्यस्थ ने अंतरिम निषेधाज्ञा में इंदौर स्थित अस्पताल को चार सप्ताह के भीतर 16.43 करोड़ रुपये जमा करने को कहा.
पीटीआई की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘विवाद के दौरान डॉ. अग्रवाल के प्रमोटरों को कथित बकाया राशि भूलने और इंदौर अस्पताल चलाने वाले डॉक्टरों के साथ मामला सुलझाने के लिए तिवारी की ओर से संदेश और कॉल आने लगे.’
100 दिनों से भी कम समय में यह दूसरी बार है जब मयंक तिवारी ने खुद को पीएमओ का शीर्ष अधिकारी बताया है. जून में उन्होंने वडोदरा में एक निजी विश्वविद्यालय के ट्रस्टी को धमकी दी और एक प्रतिष्ठित स्कूल पर उन दो बच्चों को प्रवेश देने के लिए दबाव डालने की कोशिश की, जिनके बारे में उनका दावा था कि वे उनके दोस्त के बच्चे थे.
उस वक्त उन्होंने अपना नाम मयंक बताया था. ताजा मामले में उन्होंने अपने पहले नाम में ‘ए’ जोड़ लिया है.
स्कूल के ट्रस्टी को शक हुआ तो उसने पुलिस को सूचना दी. गुजरात पुलिस ने जून में तिवारी को गिरफ्तार किया था और कहा था कि वह दाखिले के लिए पैसे वसूल रहा था और खुद को पीएमओ का अधिकारी बताकर स्कूलों और कॉलेज मालिकों को धमका रहा था.
यह पीएमओ का नाम लेकर फायदा उठाने का पहला मामला नहीं है.
अहमदाबाद निवासी किरण पटेल की तुलना में मयंक के कारनामे मामूली हैं. पटेल ने खुद को पीएमओ के अतिरिक्त निदेशक (रणनीति और अभियान) के रूप में पेश किया था, अपने आरएसएस कनेक्शन के बारे में डींगें मारी और जम्मू-कश्मीर में आधिकारिक दौरे करने के लिए जेड सुरक्षा का लाभ उठाया. उनकी पत्नी ने भी ऐसे ही दावे किए. यह दंपत्ति फिलहाल जेल में है.
किरण पटेल और उनकी पत्नी के खिलाफ पीएमओ नाम का इस्तेमाल कर लोगों को धमकाने और पैसे वसूलने की आठ शिकायतें हैं. पटेल और उनकी पत्नी पर कई भूमि धोखाधड़ी मामलों में भी आरोप लगाए गए थे.
एक मामले में उसने कथित तौर पर एक व्यक्ति से भूमि विवाद निपटाने का दावा करके कमीशन के रूप में 80 लाख रुपये की धोखाधड़ी की. उन्होंने जमीन और निर्माण गतिविधियों के लिए एक पूर्व भाजपा विधायक को धोखा दिया. पटेल ने छह महीने में चार बार जम्मू-कश्मीर का दौरा किया और दावा किया कि वह आधिकारिक ड्यूटी पर थे. उन्होंने शीर्ष सुरक्षा और अन्य सरकारी सुविधाओं का भी दौरा किया.
बीते मई महीने में भी महाराष्ट्र की पुणे पुलिस की अपराध शाखा ने खुद को प्रधानमंत्री कार्यालय में तैनात आईएएस अधिकारी बताने वाले एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया था.
गिरफ्तार किए गए व्यक्ति की पहचान 54 वर्षीय वासुदेव निवरुत्ति तायड़े के रूप में हुई थी, जो खुद को पीएमओ में उपसचिव के पद पर तैनात डॉ. विनय देव बताता था. उसका दावा था कि वह खुफिया कामों में शामिल था.
इससे पहले बीते 26 अप्रैल को उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने संजय राय ‘शेरपुरिया’ नाम के एक व्यवसायी को लखनऊ से गिरफ्तार किया था. इस शख्स और उसके सहयोगियों पर पीएमओ से जुड़े होने का दावा करते हुए कई लोगों और संगठनों से धन एकत्र करने का आरोप लगा था.
जांच में पता चला था शेरपुरिया ने 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले जम्मू कश्मीर के मौजूदा उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को 25 लाख रुपये उधार दिए थे.
(वाइब्स ऑफ इंडिया के इनपुट के साथ)