दुनिया भर के 1300 से अधिक लेखकों और प्रकाशकों ने एक पत्र जारी किया है, जिसमें ख्याति प्राप्त फिलीस्तीनी लेखक अदानिया शिबली समेत अन्य उदाहरण प्रस्तुत करते हुए कहा गया है कि कई यूरोपीय देशों में फिलिस्तीनी कला, आवाज़ और कहानियों को आगे लाने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों को रद्द कर दिया गया है.
नई दिल्ली: दुनिया भर से 1,300 से अधिक लेखकों और प्रकाशकों ने फिलिस्तीनी साहित्यिक आवाजों, जिनमें लेखक अदानिया शिबली भी शामिल हैं, के लिए एक समर्थन पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं. यह कदम दुनिया भर से ऐसी खबरें सामने आने के बाद उठाया गया है, जिनमें इजरायल पर हमास के आतंकी हमले को ध्यान में रखते हुए फिलिस्तीनी कला, आवाजों और कहानियों संबंधी कार्यक्रमों को रद्द कर दिया गया है.
यह पत्र अरबलिट का प्रयास है. यह संगठन अरबलिट त्रैमासिक पत्रिका प्रकाशित करता है, जिसमें अरबी से अनुवादित कई कार्य शामिल होते हैं.
अरबलिट ने अपनी वेबसाइट पर लिखा है, ‘इन हालिया भयानक दिनों में कई यूरोपीय देशों में फिलिस्तीनी कला, आवाज और कहानियों को आगे लाने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों को बंद कर दिया गया है.’
पत्र में पुरस्कार विजेता फिलिस्तीनी लेखक अदानिया शिबली का विशेष संदर्भ दिया गया है. उन्हें एक प्रतिष्ठित पुरस्कार समारोह में पुरस्कृत किया जाना था, लेकिन इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष के मद्देनजर उसे रद्द कर दिया गया.
शिबली, जो अपनी किताब माइनर डिटेल (न्यू डायरेक्शन्स/फिट्ज़काराल्डो, एलिज़ाबेथ जैक्वेट द्वारा अनुवादित) के लिए 2020 के राष्ट्रीय पुस्तक पुरस्कार के लिए फाइनलिस्ट थीं, को उसी किताब के लिए जर्मनी का 2023 का लिबरेचरप्रीस पुरस्कार प्राप्त करना था. जर्मन भाषा में यह किताब एइन नेबेंसचे (Eine Nebensache) (गुंथर ऑर्थ द्वारा अनुवादित) के नाम से प्रकाशित हुई है, जिसे 2023 के फ्रैंकफर्ट पुस्तक मेले में प्रकाशित किया जाना था, जो 18 से 22 अक्टूबर तक है.
हालांकि, पुरस्कार के आयोजक लिटप्रॉम, जिसे जर्मन सरकार और फ्रैंकफर्ट पुस्तक मेले द्वारा आंशिक रूप से वित्त पोषित किया जाता है, ने 13 अक्टूबर को जारी एक बयान में कहा कि शिबली अब पुस्तक मेले के दौरान पुरस्कार प्राप्त नहीं करेंगी.
इसके अलावा, पुस्तक मेले में शिबली और उनके अनुवादक गुंथर ऑर्थ के साथ एक सार्वजनिक चर्चा भी रद्द कर दी गई है.
लिटप्रॉम के मूल बयान में गलत दावा किया गया था कि फैसले से पहले शिबली से चर्चा की गई थी. हालांकि, शिबली ने कहा कि बयान जारी होने से पहले उनके साथ इस पर चर्चा नहीं की गई थी, बल्कि निर्णय हो जाने के बाद ही उन्हें यह जानकारी दी गई थी.
लिटप्रॉम को फंड देने वाले फ्रैंकफर्ट बुक फेयर में भी कहा गया है कि वह ‘इजरायल के पक्ष में पूरी एकजुटता’ के साथ खड़ा है और वे यहूदी और इजरायली आवाजों को ‘विशेष रूप से मेले में दिखाना’ चाहते हैं.
पत्र में फ्रांस में रद्द किए गए हसन अब्दुलरज्जाक के नाटक ‘एंड हियर आई ऐम’ की भी निंदा की गई है. अब्दुलरज्जाक के नाटक में फिलीस्तीन के पहले इंतिफादा (विद्रोह) के दौरान जन्मे अभिनेता-निर्देशक अहमद तोबासी के जीवन की कहानी है.
इसी तरह, नाथन थ्राल की किताब ‘अ डे इन द लाइफ ऑफ अबेद सलामा’ का लॉन्च भी ‘सुरक्षा चिंताओं’ के कारण रद्द कर दिया गया है.
समर्थन पत्र पर नोबेल पुरस्कार विजेता अब्दुलरज़ाक गुरनाह, एनी एर्नाक्स और ओल्गा टोकरज़ुक; बुकर पुरस्कार विजेता ऐनी एनराइट, रिचर्ड फ़्लान्गन और इयान मैकइवान; 2021 लिटप्रॉम पुरस्कार के विजेता पिलर क्विंटाना और 2015 विजेता मेडेलीन थिएन; दर्जनों प्रकाशक और साहित्यिक एजेंट; साथ ही दुनिया भर के कई चिंतिंत लेखकों के अलावा अन्य ने हस्ताक्षर किए हैं.
पत्र में शिबली के अमेरिकी प्रकाशक न्यू डायरेक्शंस के बारबरा इपलर द्वारा न्यूयॉर्क टाइम्स को लिखे पत्र के अंशों का भी उल्लेख किया गया है.
पत्र में लिखा था कि समारोह को रद्द करना और इस तरह अदानिया शिबली की आवाज को चुप कराने की कोशिश करना – ‘इजरायल में युद्ध के कारण’ – कायरतापूर्ण है. लेकिन यह कहना कि शिबली सहमत थीं (गाजा में तमाम कष्टों के बीच) और भी बुरा है.
पत्र में लिखा गया है, ‘ऐसे समय में जब मेले ने एक बयान जारी कर कहा है कि वह इजरायली आवाजों को ‘विशेष रूप से मेले में दिखाना’ चाहता है, वे फिलिस्तीनी आवाजों के लिए दरवाजे बंद कर रहे हैं.’
पत्र में कहा गया है कि शिबली की ‘माइनर डिटेल’ किताब को दो पत्रकारों और साहित्यिक संपादकों द्वारा यहूदी विरोधी के रूप में बदनाम किया गया है, जबकि अन्य गंभीर साहित्यिक आलोचकों ने जर्मन प्रेस और अन्य जगहों पर इसका स्पष्ट रूप से खंडन किया है.
यह किताब 1949 में इजरायली सेना द्वारा एक बेडुइन लड़की के बलात्कार से संबंधित घटनाओं का संदर्भ प्रस्तुत करती है.
पत्र में शिबली के ब्रिटेन के प्रकाशक फिट्ज़काराल्डो के जैक्स टेस्टार्ड के भी बयान का उल्लेख है, जिनके द्वारा कहा गया है कि ‘साहित्य का एक उद्देश्य संस्कृतियों के बीच समझ और संवाद को प्रोत्साहित करना है. ऐसी भयावह हिंसा और दिल तोड़ने वाली घटनाओं के समय में, दुनिया के सबसे बड़े पुस्तक मेले का कर्तव्य फिलिस्तीन और इजरायल की साहित्यिक आवाजों का समर्थन करना है. हम अदानिया शिबली और उनके जर्मन प्रकाशक बेरेनबर्ग वेरलाग के साथ एकजुटता से खड़े हैं.’
पत्र में यह याद करते हुए कि कैसे अतीत में फ्रैंकफर्ट पुस्तक मेले ने तुर्की प्रकाशकों का समर्थन किया था और यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की के विचारों को पिछले साल जगह दी थी, कहा गया है, ‘लेखन, अनुवाद और प्रकाशन कार्य से जुड़े हम लोग दृढ़ता से दावा करते हैं कि सांस्कृतिक कार्यक्रमों को रद्द करना आगे बढ़ने का रास्ता नहीं है. एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय पुस्तक मेले के रूप में फ्रैंकफर्ट पुस्तक मेले की जिम्मेदारी है कि वह फिलीस्तीनी लेखकों के लिए इस भयानक, क्रूर समय में साहित्य पर अपने विचारों, भावनाओं, चिंतन को साझा करने के लिए जगह बनाए, न कि उनकी आवाज दबाए.’
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