गुजरात के अमरेली ज़िले के एक सरकारी स्कूल का मामला. प्रिंसिपल को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में गांव के सरपंच और शिक्षकों सहित पांच के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया गया है. एक वीडियो में प्रिंसिपल ने आरोप लगाया था कि सरपंच अक्सर उन्हें धमकी देते थे और स्कूल को मिलने वाला अनुदान उन्हें सौंपने के लिए कहते थे.
नई दिल्ली: गुजरात के अमरेली जिले में सरकारी स्कूल के एक दलित प्रिंसिपल ने कथित तौर पर जातिवादी गालियों से परेशान और अपमानित किए जाने के बाद बीते शुक्रवार (20 अक्टूबर) को आत्महत्या कर ली.
यह घटना जिले के बगसरा तालुका के जूना जांजरिया गांव में हुई.
मृतक की पहचान कांति चौहान के रूप में हुई है, जिन्होंने बीते शुक्रवार को स्कूल समय के दौरान जहर खा लिया. जब उन्होंने अपनी पत्नी को यह बात बताई तो उन्हें सरकारी अस्पताल ले जाया गया. फिर उन्हें जूनागढ़ सिविल अस्पताल रेफर कर दिया गया, जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, मृतक द्वारा जहर खाने से पहले तैयार किया गया एक वीडियो संदेश वायरल होने के बाद दलित समुदाय के लोगों में आक्रोश है.
आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर दलित समाज के लोग शनिवार (21 अक्टूबर) सुबह से ही बगसरा थाने पर जमा हो गए और आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं होने तक शव लेने से इनकार कर दिया. हालांकि पुलिस की ओर से आरोपियों को जल्द गिरफ्तार करने के आश्वासन के बाद उन्होंने शव लिया.
सरकारी स्कूल के प्रिंसिपल को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में गांव के सरपंच और शिक्षकों सहित पांच लोगों पर केस दर्ज किया गया है.
पुलिस ने गांव के सरपंच मुकेश बोरीसागर, विपुल क्यादा और जूना जांजरिया गांव के स्कूल के तीन शिक्षकों – रंजन लाठिया, हंसा टांक तथा भावना के खिलाफ केस दर्ज किया है.
कांति चौहान ने जहर खाने से पहले एक वीडियो संदेश प्रसारित किया था, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि आरोपियों ने उन्हें परेशान किया और जातिवादी गालियों से अपमानित किया.
वीडियो संदेश में चौहान ने आरोप लगाया था, ‘सरपंच अक्सर मुझे धमकी देते थे और अनुदान (Grant) उन्हें सौंपने के लिए कहते थे. उन्होंने ग्रामीणों को मेरे खिलाफ भड़काया और बच्चों में भी मेरे बारे में नफरत की भावना पैदा की. इसके अलावा उन्होंने सोशल मीडिया समूहों में भी मेरे और मेरी जाति के बारे में अपमानजनक संदेश प्रसारित किए था.’
चौहान ने अपने संदेश में यह भी कहा, ‘मैं निचली जाति से आता हूं लेकिन मैं पढ़ाने का काम कर रहा हूं. कृपया इसे मुझसे न छीनें. आप हमारी जाति को हथियार के रूप में इस्तेमाल करके हमें बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं और एक सरपंच के रूप में यह आपके लिए शर्मनाक है.’
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि वह स्कूल जाने से डरते थे कि सरपंच उन्हें मरवा देंगे.
प्रिंसिपल के आरोप के अनुसार, ‘उन पर स्कूल के विकास कार्यों के लिए एसएमसी (स्कूल प्रबंधन समिति) के माध्यम से राज्य सरकार द्वारा दिए जा रहे अनुदान को उन्हें देने और इसे गांव में अन्य उद्देश्यों के लिए उपयोग करने का दबाव डाला गया था.’
प्रिंसिपल की पत्नी द्वारा दर्ज पुलिस शिकायत के अनुसार, पूरा मामला तब शुरू हुआ, जब उन्होंने स्कूल के समय से पहले सुबह दो घंटे की अतिरिक्त कक्षाएं लेनी शुरू कर दी और उन कक्षाओं में दो छात्र अनुपस्थित रहे थे. उन्होंने उन दोनों छात्रों को डांटा और जल्दी आने को कहा तो यह उनके माता-पिता को अच्छा नहीं लगा था. उन पर अतिरिक्त कक्षाएं न लेने का दबाव बढ़ने लगा था.
अमरेली के पुलिस उपाधीक्षक डीएसपी जेपी भंडेरी ने कहा, ‘हमने आईपीसी की धारा 306 और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज कर लिया है. आरोपियों को पकड़ने के लिए 90 पुलिसकर्मियों के साथ 10 टीमें बनाई गई हैं.’