पीएम मणिपुर संकट को पूरी तरह नज़रअंदाज़ कर जवाबदेही और ज़िम्मेदारी से बच नहीं सकते: कांग्रेस

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने मणिपुर में हिंसा के 175वें दिन कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मणिपुर के लोगों को तब छोड़ा जब उन्हें उनके हस्तक्षेप की सबसे ज़्यादा ज़रूरत थी. उन्होंने सवाल भी किया कि एन. बीरेन सिंह को अब भी राज्य का मुख्यमंत्री बने रहने की अनुमति क्यों दी जा रही है.

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(प्रतीकात्मक फोटो साभार: ट्विटर/@manipur_police)

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने मणिपुर में हिंसा के 175वें दिन कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मणिपुर के लोगों को तब छोड़ा जब उन्हें उनके हस्तक्षेप की सबसे ज़्यादा ज़रूरत थी. उन्होंने सवाल भी किया कि एन. बीरेन सिंह को अब भी राज्य का मुख्यमंत्री बने रहने की अनुमति क्यों दी जा रही है.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: ट्विटर/@manipur_police)

नई दिल्ली: पांच महीने से अधिक समय से मणिपुर में जारी हिंसा को लेकर कांग्रेस ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर राज्य को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया और कहा कि वह अपनी जवाबदेही एवं जिम्मेदारी से नहीं बच सकते.

हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने मणिपुर में हिंसा के 175वें दिन ट्विटर (अब एक्स) पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए 5 सवालों का एक सेट पोस्ट किया जिसमें पूछा गया कि एन. बीरेन सिंह को अभी भी राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में क्यों बने रहने की अनुमति दी जा रही है.

रमेश ने आरोप लगाया कि पीएम मोदी ने मणिपुर के लोगों को तब छोड़ा जब उन्हें उनके हस्तक्षेप और पहुंच की सबसे ज्यादा जरूरत थी.

उन्होंने लिखा, ‘मणिपुर और पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र के लोग देख रहे हैं कि कैसे प्रधानमंत्री ने मणिपुर राज्य को ऐसे समय में उसके हाल पर छोड़ दिया है जब उनके दखल और सहारे की सबसे अधिक आवश्यकता थी. इस संकट को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ करके वह अपनी जवाबदेही और ज़िम्मेदारी से बच नहीं सकते.’

उन्होंने आगे कहा, ‘जिस मुख्यमंत्री को मणिपुर के समाज के सभी वर्गों में इतनी बदनामी मिली है, उसे अभी भी पद पर बने रहने की अनुमति क्यों दी जा रही है?’

रमेश ने दावा किया कि केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री (आरके रंजन सिंह) जो लोकसभा में मणिपुर का प्रतिनिधित्व करते हैं, प्रधानमंत्री मोदी से नहीं मिल पाए.

उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री मोदी हिंसा के विषय पर सार्वजनिक तौर पर सिर्फ पांच मिनट बोले हैं. रमेश ने कहा, ‘सभी विषयों पर प्रवचन देने वाले प्रधानमंत्री ने मणिपुर पर सार्वजनिक रूप से 4-5 मिनट से अधिक बोलना क्यों उचित नहीं समझा? वह बोले भी तो विपक्ष के भारी दबाव के बाद सिर्फ़ औपचारिकता निभाने के लिए.’

उन्होंने सवाल किया, ‘जिस प्रधानमंत्री को कहीं भी दौरा करना पसंद है, उन्होंने मणिपुर को लेकर अपनी सहानुभूति या चिंता प्रदर्शित करने के लिए राज्य में कुछ घंटे भी बिताना उचित क्यों नहीं समझा?’

मालूम हो कि बीते 3 मई को राज्य में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से 180 से अधिक लोगों की जान चली गई है. यह हिंसा तब भड़की थी, जब बहुसंख्यक मेईतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किया गया था.

विपक्ष पांच महीने से अधिक समय से हिंसा पर नियंत्रण न कर पाने के कारण मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह को बर्खास्त करने की मांग कर रहा है.

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, इसी बीच, मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने मंगलवार को कहा कि मई के बाद से राज्य में जो घातक हिंसा देखी गई है, उसके पीछे ‘विदेशी ताकतों का हाथ’ है.

एक सार्वजनिक समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने हिंसा को ‘भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने’ जैसा बताते हुए कहा कि यह राज्य में स्थित आतंकवादी संगठनों के साथ मिलकर विदेशी संस्थाओं द्वारा संचालित किया जा रहा है. भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने की विदेशी साजिश शुरू होने से पहले राज्य में 34 विभिन्न जनजातियां सौहार्दपूर्ण ढंग से एक साथ रह रही थीं.