एनसीईआरटी की किताबों में इंडिया की जगह भारत लिखने की सिफ़ारिश समेत अन्य ख़बरें

द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.

(फोटो: द वायर)

द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.

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राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के एक पैनल ने बारहवीं कक्षा तक की सामाजिक विज्ञान की स्कूली पाठ्यपुस्तकों में ‘इंडिया’ की जगह ‘भारत’ लिखने की सिफारिश की है. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, यह सुझाव सामाजिक विज्ञान समिति के अध्यक्ष प्रोफेसर और पद्मश्री से सम्मानित इतिहासकार प्रोफेसर सीआई आइज़ैक की तरफ से आए हैं और उन्हें उम्मीद है कि इसे अगले शैक्षणिक वर्ष से लागू किया जाएगा. समिति ने ‘प्राचीन इतिहास’ (Ancient History) को ‘भारतीय इतिहास के शास्त्रीय काल’ (classical period of Indian history) से बदलने का भी सुझाव भी दिया है. इस बीच, मीडिया में इस बारे खबर आने के बाद एनसीईआरटी ने कहा है कि चूंकि नए पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तकों को तैयार करने की जारी है और डोमेन विशेषज्ञों से बात की जा रही है, इसलिए संबंधित मुद्दे पर चल रही खबरों पर टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी.

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए राज्य की लगभग सभी सीटों के नाम फाइनल करने के बाद कांग्रेस ने 4 सीटों पर उम्मीदवार बदल दिए हैं. एनडीटीवी के अनुसार, इन चार निर्वाचन क्षेत्रों में मुरैना जिले की सुमावली सीट, नर्मदापुरम (होशंगाबाद) जिले की पिपरिया (एससी) सीट, उज्जैन जिले की बड़नगर सीट और रतलाम जिले की जावरा सीट शामिल हैं. इससे पहले कांग्रेस ने 85 उम्मीदवारों की अपनी दूसरी सूची की घोषणा की थी और पहले घोषित उम्मीदवारों में से तीन को बदल दिया था. द वायर  ने पार्टी की दूसरी सूची में 230 विधानसभा सीटों में से 229 पर इसके प्रत्याशियों के नाम साफ़ होने के बाद प्रकाशित रिपोर्ट में बताया था कि पार्टी ने दलबदलुओं पर भरोसा दिखाया है, साथ ही टिकट वितरण को लेकर विरोधी स्वर भी उठ रहे हैं. इसके अलावा, पार्टी द्वारा ‘सर्वे कर टिकट बांटने’ के दावे पर भी सवाल उठाए गए हैं.

अहमदाबाद में ‘असमानता’ का हवाला देते हुए लगभग 400 हिंदुओं ने बौद्ध धर्म अपना लिया. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, धर्म परिवर्तन करने वालों में अधिकतर लोग दलित समुदाय से थे. मंगलवार को दशहरे के अवसर पर गुजरात बौद्ध अकादमी द्वारा आयोजित करवाए जाने वाले एक सालाना कार्यक्रम में राज्य भर से लोग पहुंचे थे. वडोदरा के 38 वर्षीय प्रवीणभाई परमार ने अख़बार से बात करते हुए अपने फैसले के लिए हिंदू धर्म की असमानता का हवाला दिया. उन्होंने कहा कि बौद्ध धर्म में समानता, प्रेम और करुणा है, कोई भेदभाव नहीं. ये हिंदू धर्म के उलट है, जहां हर जगह भेदभाव होता है और दलितों पर दिन-ब-दिन अत्याचार बढ़ रहे हैं.

संयुक्त राष्ट्र (यूएन) प्रमुख के गाज़ा युद्धविराम का आह्वान करने के बाद इजरायल ने कहा है कि उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए. डॉयचे वेले के मुताबिक, यूएन में इज़रायल के राजदूत गिलाद एर्दान ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटारेस पर हमास द्वारा इजरायल पर हमलों को लेकर  ‘आतंकवाद और हत्याओं’ के प्रति हमदर्दी जताने का आरोप लगाते हुए इस्तीफा देने को कहा. उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि ‘उन लोगों से बात करने का कोई औचित्य नहीं है जो इज़रायल के नागरिकों और यहूदी लोगों के खिलाफ हुए सबसे भयानक अत्याचारों पर दया जाहिर करते हैं.’ इससे पहले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में गुटारेस ने तत्काल संघर्ष विराम का आह्वान करते हुए कहा था कि ‘हम गाज़ा में अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों का स्पष्ट उल्लंघन’ देख रहे हैं. उनका कहना था कि फ़िलिस्तीनियों ने दशकों से उनकी जमीन पर कब्जे का सामना किया है. यह भी समझना भी जरूरी है कि हमास द्वारा किए गए हमले अचानक नहीं हुए हैं.’ बता दें कि हमास को इज़रायल और अमेरिका के साथ-साथ जर्मनी और यूरोपीय संघ सहित कई देशों द्वारा आतंकवादी संगठन माना जाता है.

महाराष्ट्र में सभी मराठाओं को आरक्षण देने के लिए राज्य सरकार को दी गई समयसीमा बीत जाने के बाद इसके लिए प्रदर्शन कर रहे एक्टिविस्ट मनोज जारांगे-पाटिल ने फिर भूख हड़ताल शुरू कर दी है. हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, जालना जिले के अंतरवाली सराती में  आंदोलन शुरू करने वाले मनोज ने जारांगे-पाटिल ने सरकार के अपनी बात से पीछे हटने पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा, ‘आपने 30 दिन मांगे थे. हमने 41 दिन दिए. अब क्या मसला है? सरकार अपनी बात रखने में क्यों विफल हुई?’ ज्ञात हो कि 14 सितंबर को उन्होंने अपनी पिछली 17 दिनों की भूख हड़ताल मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की मौजूदगी में इस आश्वासन के बाद खत्म की थी कि सरकार इस मामले पर 30 दिनों में फैसला करेगी. बताया गया है कि मनोज जारांगे-पाटिल ने शपथ ली है कि वे पानी या कोई भी मेडिकल उपचार नहीं लेंगे और आरक्षण दिए जाने तक नेताओं, विशेष रूप से निर्वाचित प्रतिनिधियों को राज्यभर के गांवों में प्रवेश करने नहीं दिया जाएगा.

मणिपुर में जारी हिंसा के 175 दिन पूरे होने पर कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि वे मणिपुर संकट को पूरी तरह नज़रअंदाज़ कर जवाबदेही और ज़िम्मेदारी से बच नहीं सकते. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने मणिपुर हिंसा के 175वें दिन (मंगलवार को ट्विटर (अब एक्स) पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए 5 सवालों का एक सेट पोस्ट किया जिसमें उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री ने राज्य के लोगों को तब छोड़ा जब उन्हें उनके हस्तक्षेप की सबसे ज़्यादा ज़रूरत थी. उन्होंने सवाल भी किया कि एन. बीरेन सिंह को अब भी राज्य का मुख्यमंत्री बने रहने की अनुमति क्यों दी जा रही है. उन्होंने प्रधानमंत्री के राज्य का दौरा न करने और हिंसा के बारे में सार्वजनिक रूप से विस्तार में न बोलने को लेकर भी सवाल उठाए.