मणिपुर: छात्रों ने इंटरनेट सेवा बहाल करने की मांग पर सरकारी कार्यालयों में ताला लगाया

मणिपुर के शांतिपूर्ण इलाकों में इंटरनेट सेवाओं की तत्काल बहाली की मांग को लेकर ऑल नगा स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने राज्य के नगा-बसाहट वाले इलाकों में 24 अक्टूबर से सरकारी कार्यालयों पर धरना शुरू किया है. छात्रों का कहना है कि जब अशांति कुछ विशिष्ट क्षेत्रों तक सीमित है तब भी मोबाइल इंटरनेट पर प्रतिबंध अनुचित है.

हिंसाग्रस्त मणिपुर की एक सड़क. (फोटो: द वायर)

मणिपुर के शांतिपूर्ण इलाकों में इंटरनेट सेवाओं की तत्काल बहाली की मांग को लेकर ऑल नगा स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने राज्य के नगा-बसाहट वाले इलाकों में 24 अक्टूबर से सरकारी कार्यालयों पर धरना शुरू किया है. छात्रों का कहना है कि जब अशांति कुछ विशिष्ट क्षेत्रों तक सीमित है तब भी मोबाइल इंटरनेट पर प्रतिबंध अनुचित है.

हिंसाग्रस्त मणिपुर की एक सड़क. (फोटो: द वायर)

नई दिल्ली: मणिपुर के शांतिपूर्ण इलाकों में इंटरनेट सेवाओं की तत्काल बहाली की मांग को लेकर ऑल नगा स्टूडेंट्स एसोसिएशन मणिपुर (एएनएसएएम) के धरने के कारण राज्य के नगा-बसाहट वाले इलाकों में सरकारी कार्यालय मंगलवार (24 अक्टूबर) से काम नहीं कर पा रहे हैं.

इस महीने यह दूसरी बार है जब छात्रों ने राज्य में मोबाइल इंटरनेट सेवाओं पर जारी पूर्ण प्रतिबंध का विरोध किया है.

द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, एएनएसएएम की एक इकाई सेनापति जिला छात्र संघ ने नगा-बहुल सेनापति जिले में इंटरनेट प्रतिबंध के विस्तार के विरोध में 5 और 6 अक्टूबर को महत्वपूर्ण दीमापुर-सेनापति-इंफाल राष्ट्रीय राजमार्ग पर आर्थिक नाकेबंदी लगा दी थी. वहां ‘कानून-व्यवस्था की स्थिति ठीक’ है.

एएनएसएएम की ओर से किए जा रहे विरोध का विस्तार अन्य नगा बसाहट वाले क्षेत्रों तक हो गया है और आने वाले दिनों में इसके और तेज होने की संभावना है.

इंटरनेट सेवाओं पर लगातार पूर्ण प्रतिबंध से नाखुश एएनएसएएम के सदस्यों ने बीते मंगलवार को सरकारी कार्यालयों पर धरना देना शुरू कर दिया है. उनके अनुसार, इंटरनेट पर प्रतिबंध ने छात्र समुदाय और अन्य लोगों को प्रभावित किया है, जो चिकित्सा, बैंकिंग और पेशेवर जरूरतों के लिए ऑनलाइन कनेक्टिविटी पर निर्भर रहते हैं.

उन्होंने कार्यालयों के प्रवेश द्वारों पर ताला लगा दिया है और यहां तक कि पोस्टर भी लगा दिए हैं, जिन पर लिखा है, ‘इंटरनेट प्रतिबंध के कारण कार्यालय बंद – एएनएसएएम’.

नगा बसाहट वाले क्षेत्रों में छात्रों के बीच भावना यह है कि जब अशांति विशिष्ट क्षेत्रों तक ‘सीमित’ थी तब भी मोबाइल इंटरनेट सेवाओं पर पूर्ण प्रतिबंध अनुचित था और उनके मूल अधिकारों का उल्लंघन था. नगा समुदाय अधिकांशत: कुकी-जो समुदाय की तरह ही पहाड़ी क्षेत्रों में रहता है, मौजूदा संघर्ष में तटस्थ बना हुआ है.

बीते 3 मई को राज्य में जातीय हिंसा भड़कने के बाद इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. यह हिंसा तब भड़की थी, जब बहुसंख्यक मेईतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किया गया था.

कानून और व्यवस्था की बेहतर स्थिति के कारण 23 अक्टूबर को 143 दिनों के बाद राज्य में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं पूरी तरह से बहाल कर दी गईं, लेकिन दो मेईतेई छात्रों की तस्वीरें – जो 6 जुलाई को इंफाल से लापता हो गए थे – सोशल मीडिया पर आने के बाद इंफाल घाटी में व्यापक विरोध प्रदर्शन के बाद 26 अक्टूबर को इस पर फिर से प्रतिबंध लगा दिया गया.

एएनएसएएम मांग कर रही है कि भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार तुरंत इंटरनेट पर प्रतिबंध हटाए और राज्य के शांतिपूर्ण (पूर्ण) क्षेत्र में इंटरनेट कनेक्टिविटी बहाल करे.

उनकी अन्य मांग सरकारी कॉलेजों में सहायक प्रोफेसर के 190 पदों पर नियुक्ति के लिए सितंबर 2021 में आयोजित साक्षात्कार के परिणामों की तत्काल घोषणा है.

छात्र संगठन ने बीते 17 अक्टूबर को घोषणा की थी कि अगर सरकार पांच दिनों के भीतर उनकी दो मांगों का जवाब देने में विफल रही तो मंगलवार से दो दिवसीय धरना कार्यक्रम शुरू किया जाएगा.

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने 18 अक्टूबर को कहा था कि अगले कुछ दिनों में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं बहाल कर दी जाएंगी, क्योंकि वह प्रतिबंध के कारण जनता को होने वाली समस्याओं को समझते हैं. हालांकि, अब तक कोई बहाली नहीं हुई है.