उत्तर प्रदेश के निकाय चुनाव के दौरान कई जगह ईवीएम में गड़बड़ी की शिकायत सामने आई है. कानपुर और मेरठ में लोगों ने हंगामा किया.
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में हो रहे निकाय चुनाव के दौरान एक बार फिर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन यानी ईवीएम पर सवाल उठे हैं. कानपुर और मेरठ में कुछ मतदाताओं ने ऐसी शिकायत की है कि किसी भी पार्टी को वोट देने के लिए बटन दबाने पर वोट कथित तौर पर भाजपा को जाता है.
बुधवार को पहले चरण के मतदान के दौरान ईवीएम में इस कथित गड़बड़ी को लेकर कानपुर और मेरठ में मतदाताओं ने प्रदर्शन भी किया. हालांकि, राज्य चुनाव आयोग ने इसे महज अफवाह बताया है, लेकिन उत्तर प्रदेश की विपक्षी पार्टियों ने इसे लेकर सरकार पर हमला बोला.
न्यूज18 की खबर के मुताबिक, कानपुर के तिवारीपुर वार्ड में बूथ नंबर 58 पर मतदाताओं ने कहा, इससे फर्क नहीं पड़ता कि आप कौन सी बटन दबा रहे हैं, वोट भाजपा के खाते में रजिस्टर हो रहा है. मतदाताओं का आरोप है कि उन्होंने मतदाता अधिकारी से शिकायत की लेकिन वोटिंग जारी रही.
रिपोर्ट में कहा गया कि यह खबर फैलते ही विपक्षी पार्टियों के कार्यकर्ता एकत्र हो गए और नारेबाजी करने लगे. हालांकि, प्रशासन ने कहा कि शिकायत के तत्काल बाद रिटर्निंग अधिकारी बदल दिया गया और ईवीएम भी बदल दी गई.
इसी तरह की घटना कानपुर के नौबस्ता इलाके में दर्ज हुई. बूथ संख्या 66 में मतदाताओं ने शिकायत की कि कोई भी बटन दबाने पर वोट भाजपा को जा रहा है. कुछ ही देर में प्रदर्शन होने लगा और पुलिस ने लाठी चार्ज की.
आजतक की एक खबर में कहा गया, ‘कानपुर में वोटिंग मशीन में गड़बड़ी को लेकर काफी घमासान हुआ. वार्ड नंबर 66 पर ईवीएम में खराबी की शिकायत के बाद वोटरों ने जमकर बवाल काटा. नौबस्ता के पशुपतिनगर इलाके में आक्रोशित भीड़ पर काबू पाने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा. मशीनों में खराबी के अलावा किसी भी पार्टी का बटन दबाने पर बीजेपी को वोट जाने की शिकायत की गई. इस पर मतदाताओं ने जमकर हंगामा किया. ईवीएम में खराबी के चलते कई जगह वोटिंग भी रोकनी पड़ी.’
पत्रिका की खबर के मुताबिक, मतदाताओं ने आरोप लगाया कि बटन कोई दबाओ, वोट सिर्फ एक ही पार्टी को जा रहा है. लोगों का आरोप है कि जिला प्रशासन ने भाजपा को जिताने के लिए ईवीएम से छेड़छाड़ की है. कई जगहों पर मतदाताओं ने इसे लेकर हंगामा किया.
टाइम्स आॅफ इंडिया की रिपोर्ट में कहा गया है कि मेरठ में मतदाओं ने आरोप लगाया कि ईवीएम की कोई भी बटन दबाने पर वोट सिर्फ भाजपा के लिए दर्ज हो रहा है. इसे लेकर लोगों ने प्रदर्शन किया.
रिपोर्ट में कहा गया है, हालांकि, अधिकारियों ने दावा किया कि मशीन में गड़बड़ी थी, जिसे बदल दिया गया. जबकि विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि मशीन के साथ छेड़छाड़ की गई. एडीएम मुकेश कुमार ने कहा, ‘मशीन में गड़बड़ी थी जिसे हमने तुरंत बदल दिया.’
हालांकि चुनाव आयोग ने इन आरोपों को खारिज किया है. बीबीसी हिंदी की रिपोर्ट के मुताबिक, बुधवार शाम को राज्य निर्वाचन आयुक्त एसके अग्रवाल ने संवाददाताओं से कहा, ‘कुछ जगह मशीनों में तकनीकी ख़ामियां ज़रूर थीं जिन्हें तत्काल बदल दिया गया, लेकिन सत्ताधारी पार्टी को ही वोट जाने संबंधी शिकायतों के बारे में कानपुर और मेरठ के ज़िलाधिकारियों से रिपोर्ट मंगाई गई है. रिपोर्ट आने के बाद ही कोई कार्रवाई की जाएगी. मशीनें कई स्तर पर जांच के बाद ही भेजी जाती हैं. उसके बाद भी कई मशीनें इसलिए रिज़र्व में रखी जाती हैं ताकि गड़बड़ी की स्थिति में उन्हें तत्काल बदला जा सके… निर्वाचन आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी जेपी सिंह का कहना था कि इन शिकायतों में कोई दम नहीं है, ये सब सिर्फ़ अफ़वाह है.’
बीबीसी की उक्त रिपोर्ट में भी कानपुर और मेरठ में ईवीएम में गड़बड़ी पाए जाने के बाद हंगामे की बात कही गई है. रिपोर्ट में मेरठ के एक मतदाता के हवाले से कहा गया है, ‘सुबह कुछ लोगों ने ये शिकायत की तो विभिन्न दलों के उम्मीदवार समेत कई लोग मतदान स्थल पर पहुंच गए. मतदान अधिकारी ने जब ख़ुद चेक किया, तो उन्होंने पहले हाथी निशान के सामने वाला बटन दबाया, लेकिन हाथी के साथ कमल के सामने वाली लाइट भी जलने लगी. फिर उन्होंने एक अन्य निशान को दबाया तो फिर ऐसा ही हुआ. लेकिन जब कमल को दबाया तो सिर्फ़ कमल के सामने वाली लाइट जली… लगभग यही शिकायत तमाम लोगों की थी.’
ईवीएम में गड़बड़ी के 77 मामलों का दस्तावेजीकरण हुआ
समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक, आम आदमी पार्टी ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर राज्य के नगरीय निकाय चुनाव के पहले चरण में इस्तेमाल हुई इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों में गड़बड़ी बताते हुए अगले चरणों में सभी चुनाव मतपत्र से कराने का आग्रह किया है.
आप के प्रांतीय प्रवक्ता वैभव माहेश्वरी ने राज्य निर्वाचन आयुक्त एसके अग्रवाल को लिखे पत्र में कहा है कि बुधवार को हुए नगरीय निकाय चुनाव के पहले चरण के मतदान के दौरान अनेक स्थानों पर ईवीएम में गड़बड़ी पाई गई. उनमें से 77 मामलों का दस्तावेजीकरण हुआ. इतने बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां एक बार फिर सवाल उठाती हैं कि कहीं ईवीएम के साथ छेड़छाड़ तो नहीं की गई है.
उन्होंने पत्र में कहा कि राज्य निर्वाचन आयुक्त ने पूर्व में खुद कहा था कि इस वक्त उपलब्ध ईवीएम वर्ष 2006 की हैं और वे काफी पुरानी और विश्वास के लायक नहीं हैं. इसके बावजूद मतदान के लिए उन्हीं ईवीएम का इस्तेमाल किया गया. अगर यह राज्य की भाजपा सरकार के दबाव में किया गया तो यह वाकई दुर्भाग्यपूर्ण और लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है.
माहेश्वरी ने आयोग से मांग की कि नगरीय निकाय चुनावों के आगामी दोनों चरणों के चुनाव मतपत्रों से ही कराएं, ताकि सारी आशंकाएं दूर हों और आयोग पर लोगों का विश्वास बहाल हो सके.
खराबी का फायदा एक ही पार्टी को क्यों मिल रहा है
आप प्रवक्ता ने संवाददाताओं को बताया कि कई जगह ऐसी ईवीएम पकड़ी गईं जिनमें किसी भी बटन को दबाने पर उसका वोट भाजपा के पक्ष में जा रहा था. सवाल यह है कि मशीन खराब होने पर उसका फायदा एक ही पार्टी को क्यों मिल रहा है, किसी भी अन्य पार्टी को वोट कभी क्यों नहीं जाता.
माहेश्वरी ने कहा कि पूर्व में भी कई बार ईवीएम की गड़बड़ियां सामने आई हैं जिस पर आम आदमी पार्टी ने सबसे मुखर हो कर आवाज उठाई है, लेकिन चुनाव आयोग ने शंका समाधान की दिशा में कोई पुख्ता कदम नहीं उठाया.
उन्होंने चुनाव में कानपुर समेत कई स्थानों पर ईवीएम में गड़बड़ी की शिकायतों पर आयोग की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए कहा कि इतने खुले रूप से धांधलिया सामने आने के बाद भी अगर चुनाव आयोग कोई कार्रवाई नहीं करता, तो ये समझा जाना चाहिए कि वह भाजपा को फायदा पहुंचाने की इस साजिश में शामिल है.
ईवीएम में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी को लेकर कांग्रेस ने भी सवाल उठाया कि ‘ईवीएम में गड़बड़ी के आरोप बीजेपी पर ही क्यों लगते हैं? क्यों शिकायत में ये आता है कि बटन दबाने पर वोट बीजेपी को ही जाता है? क्या इस बार भी आरोपों पर बीजेपी चुप्पी साधे रहेगी? कांग्रेस ने मांग की कि किसी रिटायर्ड जज की निगरानी में ऐसे मामलों और ईवीएम की जांच होनी चाहिए.
सपा ने भी उठाए सवाल
उत्तर प्रदेश के मुख्य विपक्षी दल सपा ने भी राज्य के नगरीय निकाय चुनाव के पहले चरण में इस्तेमाल हुई इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों में गड़बड़ी को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग से सवाल किए.
सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा कि बुधवार को नगरीय निकाय चुनाव के पहले चरण में प्रदेश के कई जिलों में ईवीएम को लेकर शिकायतें आ रही हैं. सपा आयोग से जानना चाहती है कि ईवीएम में वीपीपैट की व्यवस्था क्यों नहीं की गई. जब ईवीएम को लेकर पर्याप्त तैयारी नहीं थी, तब मतपत्रों के जरिये चुनाव क्यों नहीं कराया जा रहा है.
चौधरी ने बताया कि प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के मंत्री नगरीय निकाय चुनाव में सरकारी तंत्र के दुरुपयोग की मंशा से अधिकारियों पर दबाव बना रहे हैं. साथ ही मतदाताओं को प्रलोभन भी दे रहे हैं. इस सिलसिले में कार्यवाही के लिए सपा ने राज्य निर्वाचन आयुक्त एसके अग्रवाल को पत्र लिखा है.