कांग्रेस का दावा- मिज़ो संस्कृति की रक्षा करने वाला अनुच्छेद 371 जी ख़तरे में है

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा कि एक सरकार और एक पार्टी जिसने अनुच्छेद 370 को हटाया, वह 371 'जी' को भी हटा सकती है. यह अधिनियम मिज़ो समुदाय की धार्मिक या सामाजिक प्रथाओं, मिज़ो प्रथागत क़ानून, नागरिक और आपराधिक न्याय प्रशासन, भूमि स्वामित्व आदि की रक्षा करता है.  

मिज़ोरम में कांग्रेस की चुनावी जनसभा. (फोटो साभार: फेसबुक/@INCMizoram)

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा कि एक सरकार और एक पार्टी जिसने अनुच्छेद 370 को हटाया, वह 371 ‘जी’ को भी हटा सकती है. यह अधिनियम मिज़ो समुदाय की धार्मिक या सामाजिक प्रथाओं, मिज़ो प्रथागत क़ानून, नागरिक और आपराधिक न्याय प्रशासन, भूमि स्वामित्व आदि की रक्षा करता है.

मिज़ोरम में कांग्रेस की चुनावी जनसभा. (फोटो साभार: फेसबुक/@INCMizoram)

नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने शुक्रवार (27 अक्टूबर) को मिजोरम में भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 371जी, जो मिजो संस्कृति की रक्षा करता है, आज ‘खतरे’ में है.

अनुच्छेद 371 जी में कहा गया है कि मिज़ो की धार्मिक या सामाजिक प्रथाओं, मिज़ो प्रथागत कानून, नागरिक और आपराधिक न्याय प्रशासन, भूमि के स्वामित्व और हस्तांतरण के संबंध में संसद का कोई भी कार्य मिज़ोरम राज्य पर तब तक लागू नहीं होगा जब तक कि वहां का विधानसभा किसी प्रस्ताव द्वारा ऐसा निर्णय नहीं लेती.

शनिवार (28 अक्टूबर) को जयराम रमेश ने कहा कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है तो मिजोरम में भूमि, वन, आदिवासियों के अधिकारों की सुरक्षा की गारंटी वाला विधेयक पारित करेगी.

40 सदस्यीय मिजोरम विधानसभा के लिए 7 नवंबर को मतदान होगा और वोटों की गिनती 3 दिसंबर को होगी.

द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, शुक्रवार को आइजोल में एक प्रेस वार्ता में जयराम रमेश ने कहा, ‘एक सरकार और एक पार्टी जिसने अनुच्छेद 370 को हटाया, वह 371जी को भी हटा सकती है.’

रमेश ने जोर देकर कहा कि अनुच्छेद 371 (जी), मिजोरम के लिए विशेष प्रावधान, फरवरी 1987 में संविधान में शामिल किया गया था जब राजीव गांधी मिजो जीवन शैली की रक्षा के लिए प्रधानमंत्री थे.

उन्होंने कहा, ‘यह मिजोरम के लिए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का सबसे बड़ा योगदान है जो आज खतरे में है. यह केवल संवेदनशीलता का हाथ (कांग्रेस पार्टी का प्रतीक) है जो पूर्वोत्तर की आकांक्षाओं को समझता है जबकि भाजपा वह पार्टी है जो एक राष्ट्र चाहती है, एक भाषा, एक राष्ट्र. एक संस्कृति, एक राष्ट्र; एक धर्म; और एक राष्ट्र; एक आयोजन; यह भाजपा की नीति है.’

ज्ञात हो कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने 5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करने वाले अनुच्छेद 370 को हटा दिया था.

जम्मू-कश्मीर की विशेष दर्जे को खत्म करने से मिजोरम सहित पूर्वोत्तर के आठ राज्यों में से छह में भविष्य में अनुच्छेद 371 (ए से जे) के संभावित निरस्तीकरण के बारे में डर पैदा हो गया है. यह अनुच्छेद इन राज्यों को विशेष संवैधानिक सुरक्षा प्रदान करता है.

जून में हितधारकों से समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर विचार मांगने के विधि आयोग के कदम से पूर्वोत्तर, , जो अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता के लिए जाना जाता है, में अनुच्छेद 371 को लेकर आशंकाएं खड़ी हो गई थीं.

ज्ञात हो कि  मिजोरम एक ईसाई बहुल राज्य है. मिजोरम राज्य विधानसभा ने वर्ष की शुरुआत में (14 फरवरी) यूसीसी को लागू करने के किसी भी प्रयास का विरोध करते हुए एक सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित किया था और कहा था कि यह ‘देश को विघटित कर देगा.’

यूसीसी सभी पर लागू कानूनों का एक सामान्य समूह है, जहां हर नागरिक, चाहे वे किसी भी धर्म के हों, विवाह, तलाक, विरासत और गोद लेने से संबंधित कायदे समान रूप से लागू होते हैं.

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, शनिवार को कांग्रेस ने वादा किया कि अगर वह मिजोरम में सरकार बनाती है तो वह नई विधानसभा के पहले ही सत्र में राज्य के आदिवासियों की भूमि, जंगलों और अधिकारों की सुरक्षा की गारंटी देने वाला एक नया विधेयक पारित करेगी.

एक्स पर एक पोस्ट में कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि मोदी सरकार ने संसद के मानसून सत्र के दौरान वन संरक्षण अधिनियम में ‘बुलडोजर’ संशोधन किया, जिससे पूरे देश में जबरदस्त विरोध और आक्रोश पैदा हुआ, खासकर पूर्वोत्तर में.

उन्होंने कहा, ‘भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का वादा है कि कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार मिजोरम की नई विधानसभा के पहले सत्र में एक नया विधेयक पारित करेगी, जो राज्य के आदिवासी लोगों की भूमि, जंगलों और अधिकारों की रक्षा की गारंटी देता होगा. वन समवर्ती सूची का हिस्सा हैं, इसलिए इस विधेयक को अनुच्छेद 254(2) के प्रावधान के तहत सहमति के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा.’

रमेश ने आरोप लगाया, ‘यह वही है जो मिज़ो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) सरकार को संसद के मानसून सत्र के तुरंत बाद करना चाहिए था, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया क्योंकि वह भाजपा के इशारों पर नाचती है.’

कांग्रेस नेता ने कहा कि ज़ोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेपीएम) भी इस तरह का विधेयक पारित नहीं करेगा क्योंकि वे मिज़ोरम के लोगों के लिए बिना किसी विचारधारा, बिना किसी कार्यक्रम या संगठन के एक पार्टी हैं, और कुछ ही समय में भाजपा के साथ समझौता करेंगे.’