इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में बताती है कि भारत की 5,422 किलोमीटर लंबी तटरेखा पर अडानी की उपस्थिति औसतन हर 500 किमी पर है, जो 10 साल पहले देश के सुदूर पश्चिमी छोर तक ही सिमटी थी. शीर्ष अधिकारियों का कहना है कि अडानी के अभूतपूर्व विस्तार से बंदरगाह उद्योग पर एकाधिकार का ख़तरा है.
नई दिल्ली: एक मीडिया रिपोर्ट में सामने आया है कि देशभर में 14 बंदरगाहों और टर्मिनलों के साथ अडानी समूह भारत के बंदरगाहों से गुजरने वाले सभी कार्गो का एक चौथाई हिस्सा संभालता है.
इंडियन एक्सप्रेस की एक विशेष रिपोर्ट में कहा गया है, ‘भारत की 5,422 किलोमीटर लंबी तटरेखा पर, अडानी की उपस्थिति औसतन हर 500 किमी पर है, जो 10 साल पहले देश के सुदूर पश्चिमी छोर तक सिमटी थी.’
10 वर्षों में अडानी पोर्ट्स द्वारा ढोया जा रहा माल वित्त वर्ष 2023 में लगभग चार गुना बढ़कर 337 मिलियन टन हो गया. बंदरगाह उद्योग की 4 फीसदी वार्षिक वृद्धि की तुलना में यह 14 फीसदी की वृद्धि है.
एक पूर्व प्रतिस्पर्धा नियामक सहित तीन शीर्ष अधिकारियों ने पिछले 10 वर्षों में अडानी के अभूतपूर्व विस्तार पर प्रकाश डालते हुए बंदरगाह उद्योग बाजार पर एकाधिकार के जोखिमों को चिह्नित किया है.
अखबार ने अपनी पड़ताल में कहा है कि अगर अडानी की हिस्सेदारी हटा दी जाए तो उद्योग की वृद्धि का आंकड़ा बमुश्किल 2.7 फीसदी रह जाता है.
कुल माल ढुलाई में समूह की बाजार हिस्सेदारी 2013 के लगभग 9 फीसदी से बढ़कर 2023 में तीन गुना लगभग 24 फीसदी हो गई है. वहीं, केंद्र सरकार द्वारा नियंत्रित बंदरगाहों की संख्या 2013 के 58.5 प्रतिशत से घटकर लगभग 54.5 प्रतिशत हो गई है.
अखबार ने बताया है कि जो बंदरगाह केंद्र सरकार के अधीन नहीं हैं, वहां अडानी की बाजार हिस्सेदारी 50 फीसदी के आंकड़े को पार कर गई है. इसलिए, अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन लिमिटेड (एपीएसईज़ेड) का तटीय नेटवर्क केंद्र सरकार के 12 से अधिक बंदरगाहों के साथ प्रतिस्पर्धा करता है.
अखबार द्वारा कहा गया है, ‘वास्तव में, बंदरगाह क्षेत्र में अडानी समूह की बाजार हिस्सेदारी में वृद्धि का एक हिस्सा केंद्र सरकार द्वारा नियंत्रित बंदरगाहों की कीमत पर आया है, जिनकी माल ढुलाई की हिस्सेदारी में गिरावट आई है.’
आर्थिक मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि ‘यह चिंता का विषय है.’
इंडियन एक्सप्रेस द्वारा विश्लेषण किए गए माल ढुलाई के डेटा से पता चलता है कि कंपनी द्वारा ढोए गए कुल माल का एक तिहाई हिस्सा (337 मिलियन टन में से 123.7 मिलियन टन या 37%) अडानी समूह द्वारा पिछले दशक में अधिग्रहित बंदरगाहों द्वारा ढोया गया था.
उसी अधिकारी ने अख़बार को बताया, ‘इस तरह का विकास मॉडल बढ़ते एकाधिकार के जोखिम को लेकर चिंताओं को बढ़ाता है.’
रिपोर्ट में कहा गया है कि पश्चिम से पूर्व तक पूरे समुद्र तट पर एक ही समूह के बढ़ते प्रभुत्व से शिपिंग कंपनियों के लिए, विशेष रूप से कुछ भौगोलिक क्षेत्रों में, समस्या खड़ी हो जाएगी.
आर्थिक मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी, जिन्होंने नाम न छापने का अनुरोध किया, ने आगे बताया कि शिपिंग जैसे महत्वपूर्ण उद्योग में इस बाजार एकाधिकार के संबंध में जिसने चिंता बढ़ाई है, वो अडानी समूह पर लगे लेखांकन धोखाधड़ी और स्टॉक हेरफेर से संबंधित आरोप हैं.
बता दें कि यह आरोप इस साल जनवरी में अमेरिकी शोध कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने लगाए थे. अडानी समूह ने इन आरोपों से इनकार किया था.
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) के एक पूर्व अध्यक्ष ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ‘इसकी (एपीएसईजेड की) हिस्सेदारी लगातार तेजी से बढ़ रही है. यह निश्चित रूप से चिंता का विषय है यदि एक कंपनी की क्षमता में धीरे-धीरे वृद्धि हो रही है जबकि अन्य कंपनी नीचे जा रही हैं या सुस्त पड़ रही हैं. हो सकता है कि अभी यह बहुत अधिक स्पष्ट न हो, लेकिन आगे चलकर 5-10 सालों में यह एक समस्या हो सकती है. सरकार और सीसीआई को इस पर नजर रखनी चाहिए.’
तेज वृद्धि
इंडियन एक्सप्रेस ने बताया है कि एक दशक पहले वित्त वर्ष 2013 में अडानी समूह की बंदरगाह व्यवसाय माल ढुलाई लगभग 91 मिलियन टन थी, जो सभी बंदरगाहों द्वारा ढोए जा रहे कुल माल का केवल 10 फीसदी था.सभी छोटे बंदरगाहों द्वारा 23 फीसदी माल ढोया जाता था.
रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि कोई बंदरगाह सरकार द्वारा नियंत्रित नहीं है, तो वह छोटा बंदरगाह होता है.
इसमें कहा गया है कि अडानी के स्वामित्व वाले मुंद्रा पोर्ट – जो एक छोटा बंदरगाह है – ने वित्त वर्ष 2023 में सबसे अधिक 155 मिलियन टन माल ढोया, जो कि 12 केंद्र सरकार के स्वामित्व वाले बंदरगाहों में से किसी से भी अधिक है.
वित्त वर्ष 2023 में, छोटे बंदरगाहों ने करीब 650 मिलियन टन माल ढोया. एपीएसईजेड ने लगभग 337 मिलियन टन माल ढोया जो कि 50 फीसदी से अधिक है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि इन 10 वर्षों में एपीएसईजेड की माल ढुलाई की मात्रा अधिकांश वर्षों में प्रमुख बंदरगाहों और छोटे बंदरगाहों से अधिक थी.
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘वित्त वर्ष 2021 में भी, जब भारत की कुल बंदरगाहों की मात्रा, और प्रमुख एवं छोटे बंदरगाहों की मात्रा में महामारी के कारण साल-दर-साल 4 फीसदी से अधिक की कमी आई, वहीं एपीएसईजेड की मात्रा पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 11 फीसदी अधिक थी.’