मणिपुर में 3 मई को शुरू हुए मेईतेई और कुकी समुदायों के बीच जातीय संघर्ष के दौरान पुलिस और राज्य के शस्त्रागारों से चुराए गए हथियारों और गोला-बारूद की बरामदगी से संबंधित एक रिपोर्ट बताती है कि लूटे गए लगभग 5,600 हथियारों में से लगभग 1,500 ही बरामद हो पाए हैं.
नई दिल्ली: बीते मई महीने में मणिपुर में जातीय हिंसा भड़के लगभग छह महीने हो गए हैं. राज्य सरकार छह महीने बाद भी हिंसा के चरम के दौरान चुराए गए हथियारों में केवल एक चौथाई हथियार और 5 प्रतिशत से भी कम गोला-बारूद बरामद कर पाई है. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में इस संबंध में जानकारी दी गई है.
सूत्रों के अनुसार, लूटे गए लगभग 5,600 हथियारों में से लगभग 1,500 बरामद कर लिए गए हैं और गायब हुए लगभग 6.5 लाख कारतूस में से लगभग 20,000 अब तक पुलिस के पास वापस आ गए हैं. ऐसी स्थिति मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह द्वारा अवैध हथियारों के साथ पाए जाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की बार-बार धमकी देने के बावजूद है.
राज्य सरकार ने मई से शुरू हुए मेईतेई और कुकी समुदायों के बीच जातीय संघर्ष के मद्देनजर पुलिस और राज्य के शस्त्रागारों से चुराए गए हथियारों और गोला-बारूद की बरामदगी पर सितंबर में एक स्थिति रिपोर्ट भी प्रस्तुत की थी.
लूटे गए हथियारों में से लगभग 80 फीसदी हथियार तीन जिलों – इंफाल पूर्व, चुराचांदपुर और बिष्णुपुर में स्थित पुलिस और राज्य शस्त्रागार से लूटे गए थे.
इन तीन जिलों के बीच, इंफाल पूर्व 3,500 से अधिक चोरी हुए हथियारों (कुल 5,600 में से) और लगभग 4 लाख लूटे गए गोला-बारूद (लगभग 6.5 लाख में से) के साथ सबसे आगे है. मणिपुर राइफल्स की 7वीं बटालियन, 8वीं इंडिया रिजर्व बटालियन (दोनों खाबेइसोई गांव में) और मणिपुर पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज (पांगेई गांव में) के परिसर इंफाल पूर्वी जिले में स्थित हैं.
बिष्णुपुर और चुराचंदपुर जिलों के शस्त्रागारों से लगभग 1,000 हथियार (5,600 में से) चुराए गए थे.
यह देखते हुए कि लूटे गए अधिकांश हथियार इंफाल पूर्व से हैं, इसलिए ऐसा अनुमान है कि अब तक बरामद किए गए अधिकांश हथियार भी इंफाल पूर्व जिले (650 से अधिक) से हैं.
सूत्रों के मुताबिक, हथियार और गोला-बारूद की लूट ज्यादातर मई महीने में हुई, जब हिंसा चरम पर थी. एक सूत्र ने कहा, ‘कुछ छिटपुट घटनाओं को छोड़कर, मई के बाद कोई लूटपाट नहीं हुई.’
लूटपाट की घटनाओं के बाद से राज्य सरकार ने सभी शस्त्रागारों की सुरक्षा के लिए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवानों को तैनात किया है. सूत्र ने बताया, ‘संवेदनशील और तनावपूर्ण क्षेत्रों में स्थित शस्त्रागारों में जहां सीआरपीएफ कर्मचारियों को तैनात करना संभव नहीं था, वहां से हथियार पूरी तरह से हटा दिए गए हैं.’
मालूम हो कि बीते 3 मई को राज्य में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से 180 से अधिक लोगों की जान चली गई है. यह हिंसा तब भड़की थी, जब बहुसंख्यक मेईतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किया गया था.
मणिपुर की आबादी में मेईतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं, जबकि आदिवासी, जिनमें नगा और कुकी समुदाय शामिल हैं, 40 प्रतिशत हैं और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं.