दिल के दौरे के बढ़ते मामलों पर स्वास्थ्य मंत्री बोले- गंभीर कोविड रोगी को अधिक काम से बचना चाहिए

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि आईसीएमआर ने एक विस्तृत अध्ययन कर पाया है कि जो लोग गंभीर कोविड-19 संक्रमण से पीड़ित रहे हैं, उन्हें कुछ समय के लिए कड़ी मेहनत या कठिन व्यायाम नहीं करनी चाहिए. इसे एक या दो साल के लिए स्थगित कर देना चाहिए. उनका यह बयान देश में बढ़ते दिल के दौरे के मामलों के बीच आया है.

मनसुख मंडाविया. (फोटो साभार: फेसबुक)

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि आईसीएमआर ने एक विस्तृत अध्ययन कर पाया है कि जो लोग गंभीर कोविड-19 संक्रमण से पीड़ित रहे हैं, उन्हें कुछ समय के लिए कड़ी मेहनत या कठिन व्यायाम नहीं करनी चाहिए. इसे एक या दो साल के लिए स्थगित कर देना चाहिए. उनका यह बयान देश में बढ़ते दिल के दौरे के मामलों के बीच आया है.

मनसुख मंडाविया. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: देश में बढ़ते दिल के दौरे के मामलों के बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा है कि जो लोग गंभीर कोविड-19 संक्रमण से पीड़ित रहे हैं, उन्हें दिल के दौरे से बचने के लिए कुछ समय के लिए कड़ी मेहनत या कठिन व्यायाम नहीं करना चाहिए.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के एक शोध का हवाला दिया है.

मंडाविया ने कहा, ‘आईसीएमआर ने एक विस्तृत अध्ययन किया है और पाया है कि जो लोग गंभीर कोविड-19 संक्रमण से पीड़ित रहे हैं, उन्हें कुछ समय के लिए कड़ी मेहनत नहीं करनी चाहिए. इसे एक या दो साल के लिए स्थगित कर देना चाहिए.’

रिपोर्ट के अनुसार, गुजरात में दिल के दौरे से मौतों का सिलसिला थम नहीं रहा है. राज्य भर में युवा और मध्यम आयु वर्ग के लोग मर रहे हैं. खासकर सौराष्ट्र में हार्ट अटैक के मामले चिंताजनक रूप से बढ़ रहे हैं. युवा लोग दिल के दौरे के मुख्य शिकार बन रहे हैं.

मालूम हो कि बीते 22 अक्टूबर को खेड़ा जिले के कपडवंज कस्बे में गरबा खेलते समय अचानक दिल का दौरा पड़ने से एक 17 वर्षीय लड़के की मौत हो गई थी.

पूरे गुजरात में गरबा आयोजनों के दौरान 24 घंटों में दिल का दौरा पड़ने से कम से कम 10 लोगों की मौत होने की खबर आई थी, जिसमें सबसे कम उम्र 17 वर्षीय लड़के की थी.

समाचार एजेंसी एएनआई के साथ घटना का विवरण साझा करते हुए एमडी (मेडिसिन) डॉ. आयुष पटेल ने कहा था, ‘एक 17 वर्षीय लड़का वीर शाह, कपडवंज के गरबा मैदान में गरबा खेल रहा था, जब उसने चक्कर आने की शिकायत की और बेहोश हो गया. घटनास्थल पर स्वयंसेवकों की एक टीम ने तुरंत उसकी देखभाल की. हमने उसके महत्वपूर्ण अंगों की निगरानी की, लेकिन कोई पल्स नहीं मिली. कोई प्रतिक्रिया नहीं थी और सांस लेने के कोई संकेत नहीं थे. उसे कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) के तीन चक्र दिए गए. फिर हमने उसे एंबुलेंस से अस्पताल पहुंचाया. हालांकि, अस्पताल में लड़के को मृत घोषित कर दिया गया.’

इस बीच बीते 22 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश की राज्यपाल और गुजरात की पूर्व मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल ने गुजरात में दिल का दौरे पड़ने से होने वाली मौतों की बढ़ती संख्या पर चिंता जताते हुए उन अटकलों को खारिज किया था कि ऐसी मौतें कोविड-19 के कारण हो रही हैं.

उन्होंने कहा था, ‘हम (लोग) दिल के दौरे से होने वाली ऐसी मौतों के पीछे का कारण कोरोना वायरस बताते हैं कि ऐसा वायरस के कारण होता है. नहीं, मैंने मनसुखभाई (केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया) से वायरस के कारण दिल का दौरा पड़ने से होने वाली मौतों की बात के बारे में पूछा था. उन्होंने न केवल सर्वे कराया, बल्कि शोध भी कराया. लेकिन इसमें कोरोना वायरस को इसके पीछे का कारण नहीं दिखाया गया है. फिर क्या कारण हैं कि यह सब हो रहा है?’