हरियाणा: सरकारी स्कूल की 50 से अधिक छात्राओं ने प्रिंसिपल पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया

हरियाणा राज्य महिला आयोग ने कहा कि जींद ज़िले के एक सरकारी स्कूल की 50 से अधिक नाबालिग छात्राओं ने वहां के प्रिंसिपल पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है. आयोग ने कहा कि उन्होंने छात्राओं की शिकायतें 14 सितंबर को पुलिस को भेजी थीं लेकिन कार्रवाई 30 अक्टूबर को हुई.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: Pixabay)

हरियाणा राज्य महिला आयोग ने कहा कि जींद ज़िले के एक सरकारी स्कूल की 50 से अधिक नाबालिग छात्राओं ने वहां के प्रिंसिपल पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है. आयोग ने कहा कि उन्होंने छात्राओं की शिकायतें 14 सितंबर को पुलिस को भेजी थीं लेकिन कार्रवाई 30 अक्टूबर को हुई.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: Pixabay)

नई दिल्ली: हरियाणा राज्य महिला आयोग ने शुक्रवार को कहा कि जींद जिले के एक सरकारी स्कूल की 50 से अधिक छात्राओं ने अपने प्रिंसिपल पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है. आयोग ने शिकायतों के प्रति उदासीन रवैये के लिए पुलिस की खिंचाई की.

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, आयोग ने कहा कि उन्होंने स्कूल की कुछ छात्राओं की शिकायतें 14 सितंबर को पुलिस को भेज दी थीं लेकिन कार्रवाई 30 अक्टूबर को की गई.

विद्यार्थियों के यौन उत्पीड़न के आरोप में जींद प्रशासन द्वारा निलंबित किए जाने के कुछ दिनों बाद हरियाणा पुलिस ने सोमवार को स्कूल प्रिंसिपल के खिलाफ मामला दर्ज किया. जिले के एक पुलिस अधिकारी ने शुक्रवार को कहा कि जींद पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए टीमों का गठन किया है, जिसमें बताया गया है कि 55 वर्षीय प्रिंसिपल गिरफ्तारी से बच रहे हैं.

पंचकुला में पत्रकारों से बात करते हुए राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रेनू भाटिया ने कहा, ‘हमें छात्राओं से प्रिंसिपल के खिलाफ 60 लिखित शिकायतें मिली हैं. इनमें से 50 लड़कियों ने आरोपी द्वारा शारीरिक शोषण की बात कही है. दस अन्य लड़कियों ने अपनी शिकायत में कहा कि वे जानती थीं कि प्रिंसिपल ऐसी हरकतें करता था.’

भाटिया ने कहा कि सभी शिकायतकर्ता नाबालिग हैं. उन्होंने कहा, ‘पीड़ितों ने आरोप लगाया कि आरोपी उन्हें अपने कार्यालय में बुलाता था और अश्लील हरकतें करता था.’

भाटिया ने मामले में जींद पुलिस के लापरवाही भरे रुख का जिक्र करते हुए कहा, ‘शुरुआत में हमें 13 सितंबर को कुछ छात्राओं से शिकायत मिली थी और अगले ही दिन इसे पुलिस को भेज दिया गया. 14 सितंबर से 29 अक्टूबर तक उनकी ओर से कोई कार्रवाई नहीं हुई.’

उन्होंने कहा, ‘लड़कियों ने बाद में हमसे दोबारा संपर्क किया. हमने पुलिस अधीक्षक से बात की जिसके बाद एफआईआर दर्ज की गई.’

भाटिया ने यह भी सवाल किया कि एफआईआर दर्ज होने के बाद आरोपी को तुरंत गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया, जिससे उसे फरार होने का समय मिल गया.

भाटिया ने कहा कि एक महिला जिला शिक्षा अधिकारी की कथित चूक की भी आयोग द्वारा जांच की जा रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि शिकायतें मिलने पर उन्होंने कार्रवाई क्यों नहीं की.

उन्होंने बताया कि कथित तौर पर प्रिंसिपल का समर्थन करने वाली एक महिला शिक्षक की भूमिका की भी जांच की जा रही है.

उन्होंने कहा कि कुछ लड़कियों ने गुरुवार शाम को आयोग से संपर्क किया और आरोप लगाया कि उन्हें अज्ञात व्यक्तियों से फोन आए जिन्होंने उन पर अपना बयान वापस लेने के लिए दबाव डाला।

आयोग के अध्यक्ष ने हरियाणा के डीजीपी और जींद के पुलिस अधीक्षक से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि आरोपी को तुरंत गिरफ्तार किया जाए. उन्होंने कहा, ‘ऐसे लोगों को तुरंत सलाखों के पीछे भेजा जाना चाहिए.’

भाटिया ने कहा कि आयोग के पास सबूत है कि प्रिंसिपल कुछ लड़कियों को उनके फोन पर कॉल करता था और उनके साथ बातचीत करने की कोशिश करता था. उन्होंने कहा कि उन्होंने कम से कम तीन मोबाइल फोन रखे थे, जिनके बारे में उनके परिवार या किसी और को पता नहीं था.

भाटिया ने कहा कि प्रिंसिपल का अन्य स्कूलों, जहां वो तैनात रहे थे, में भी अच्छा रिकॉर्ड नहीं था. उन्होंने कहा कि दो अन्य स्कूलों में उनके खिलाफ छात्राओं के साथ दुर्व्यवहार की शिकायतें थीं.

जींद जिले की पुलिस ने सोमवार को प्रिंसिपल के खिलाफ आईपीसी की धारा 354-ए (यौन उत्पीड़न), 341 (गलत तरीके से रोकना) और 342 (गलत तरीके से कैद करना) और पॉक्सो के तहत मामला दर्ज किया.

जिस थानाक्षेत्र में स्कूल आता है, उसके एसएचओ ने कहा कि जींद जिला प्रशासन ने पहले कहा था कि स्कूल प्रिंसिपल को 27 अक्टूबर को हरियाणा सरकार ने निलंबित कर दिया है.

सूत्रों ने बताया कि हाल ही में  स्कूल की छात्राओं के एक समूह ने कथित तौर पर प्रधानमंत्री कार्यालय और राष्ट्रीय महिला आयोग को पत्र लिखकर अपनी आपबीती बताई थी.