द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
पंजाब सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित के खिलाफ विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों पर कार्रवाई न करने को लेकर दायर याचिका सुनते हुए सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि राज्यपालों को समझना चाहिए कि वे निर्वाचित प्रतिनिधि नहीं हैं. लाइव लॉ के अनुसार, राज्यपाल की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से कहा था कि पुरोहित ने विधेयकों पर ‘उचित निर्णय’ लिया है. इस पर सीजेआई ने सवाल किया कि राज्यपाल ऐसे मामले सुप्रीम कोर्ट में पहुंचने के बाद ही कार्रवाई क्यों कर रहे हैं. उन्होंने जोड़ा कि ऐसा नहीं होना चाहिए. अदालत ने विधानसभा सत्र को अस्थाई रूप से स्थगित किए जाने को लेकर भी सवाल उठाए. पीठ ने राज्यपाल द्वारा विधेयकों पर की गई कार्रवाई की अपडेटेड रिपोर्ट तलब की है और कहा है कि वह इस मामले की अगली सुनवाई केरल और तमिलनाडु सरकारों द्वारा दायर समान याचिकाओं के साथ शुक्रवार को करेगी.
केंद्र सरकार ने हीरालाल सामरिया को मुख्य सूचना आयुक्त (सीआईसी) नियुक्त किया है. रिपोर्ट के अनुसार, केंद्रीय सूचना आयोग को निष्क्रिय होने से बचाने के लिए ऐसा किया गया है क्योंकि बीते 3 अक्टूबर को पिछले सीआईसी यशवर्धन कुमार सिन्हा के रिटायर होने के बाद से यह पद खाली था. 7 नवंबर 2020 से सूचना आयुक्त के बतौर जिम्मेदारी संभाल रहे सामरिया का इस पद पर कार्यकाल मंगलवार को पूरा होता. अब सीआईसी के तौर पर पदोन्नत हुए सामरिया 13 सितंबर 2025 तक इस पद पर रहेंगे. बताया गया है कि आयोग में दो सूचना आयुक्तों- सरोज पुन्हानी और उदय माहुरकर का कार्यकाल सोमवार को समाप्त हो जाएगा. इस केंद्रीय सूचना आयोग में एक सीआईसी और दो सूचना आयुक्त हो गए हैं, जबकि नियमानुसार एक मुख्य सूचना आयुक्त के साथ 10 सूचना आयुक्त होने चाहिए.
दिल्ली में बढ़े प्रदूषण और वायु गुणवत्ता के ‘गंभीर’ श्रेणी में बने रहने के बीच दिल्ली सरकार 13 से 20 नवंबर तक ऑड-ईवन योजना फिर से शुरू की है. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, इसके साथ ही स्कूलों को 10 नवंबर तक कक्षा 10 और 12 को छोड़कर अन्य सभी कक्षाओं को निलंबित करने का निर्देश दिया गया है. पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा है कि ऑड-ईवन योजना योजना लागू होने के एक सप्ताह के दौरान प्रदूषण के स्तर को देखने के बाद आगे कोई निर्णय लिया जाएगा. उन्होंने यह भी जोड़ा कि दीपावली के बाद प्रदूषण का स्तर बढ़ने की संभावना को देखते हुए यह फैसला लिया गया है. 2016 में वाहनों से होने वाले प्रदूषण से निपटने के लिए यह योजना लाई गई थी, जिसकी सिफारिश ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) के चौथे चरण या ‘गंभीर प्लस’ श्रेणी के तहत की गई थी. यह प्लान रविवार को शुरू हुआ है. सोमवार को दिल्ली की वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में रही, जहां दोपहर 1 बजे का एक्यूआई 429 दर्ज किया गया.
मद्रास हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा कि देश में किसी को भी विभाजनकारी विचारों का प्रचार करने और किसी भी विचारधारा के उन्मूलन के लिए बैठकें आयोजित करने का अधिकार नहीं है. रिपोर्ट के अनुसार, हाईकोर्ट मगेश कार्तिकेयन नाम के एक शख्स की रिट याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें स्थानीय पुलिस को ‘द्रविड़ विचारधारा के बारे में बैठक’ की अनुमति देने का निर्देश देने की मांग की गई थी. कार्तिकेयन ने बैठक के लिए एक तमिल शीर्षक सुझाया था जिसका मोटे तौर पर अर्थ ‘द्रविड़ उन्मूलन और तमिल एकता सम्मेलन’ था. इस पर कोर्ट ने कहा कि कोई भी अदालत से यह उम्मीद नहीं कर सकता है कि वह जनता के बीच दुर्भावना पैदा करने के लिए विचारों के प्रचार में उनकी मदद करेगी… पीठ ने 2 सितंबर को हुए ‘सनातन उन्मूलन सम्मेलन’ के आयोजकों को भी फटकार लगाई और कहा कि तमिलनाडु पुलिस को इसमें शामिल हुए द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए थी. ज्ञात हो कि इसी कॉन्क्लेव में मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म की तुलना डेंगू और मलेरिया से करते हुए उसके उन्मूलन की बात कही थी, जिस पर खासा विवाद हुआ था.
सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण के लिए विशेषज्ञ पैनल गठित करने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी. एनडीटीवी के अनुसार, अजय नारायणराव गजबहार नाम के एक व्यक्ति द्वारा दायर याचिका में प्रदूषण के आकलन के लिए जिला स्तर पर एक स्थायी विशेषज्ञ समिति गठित करने के निर्देश देने की मांग की गई थी. इसे सुनते हुए सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि यह पूरी तरह से नीतिगत मामला है. इसने सवाल किया, ‘क्या आपको लगता है कि अगर देशभर के सभी जिलों में समितियां होंगी तो प्रदूषण खत्म हो जाएगा?’ पीठ द्वारा मामले पर विचार करने से इनकार करने पर याचिकाकर्ता के वकील ने जनहित याचिका वापस ले ली.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि महागठबंधन सरकार की ‘तुष्टिकरण की राजनीति’ के तहत बिहार जाति सर्वेक्षण में यादव और मुस्लिम आबादी की संख्या बढ़ा दी गई है. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के पताही में एक सार्वजनिक बैठक को संबोधित करते हुए शाह ने यह भी कहा कि जाति सर्वेक्षण कराने का निर्णय तब लिया गया था, जब भाजपा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जदयू के साथ गठबंधन में राज्य सरकार का हिस्सा थी. उनका कहना था कि ‘सर्वेक्षण में मुसलमानों और यादवों की संख्या बढ़ा दी गई, जबकि ईबीसी (अत्यंत पिछड़ा वर्ग) की संख्या कम कर दी गई है. यह लालू प्रसाद यादव के दबाव में किया गया है.’ मालूम हो कि पिछले महीने जारी जाति सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, बिहार की आबादी में यादव 14.3 प्रतिशत और मुस्लिम 17.7 प्रतिशत हैं.