नए सीआईसी हीरालाल सामरिया की नियुक्ति को लेकर अंधेरे में रखा गया: अधीर रंजन चौधरी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली उच्चाधिकार प्राप्त चयन समिति में विपक्षी सदस्य कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर कहा है कि केंद्रीय सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों के चयन के मामले में सभी लोकतांत्रिक मानदंडों, रीति-रिवाजों और प्रक्रियाओं की धज्जियां उड़ा दी गई हैं.

मुख्य चुनाव आयुक्त पद पर हीरालाल सामरिया (सबसे दाएं) के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. (फोटो साभार: ट्विटर/@rashtrapatibhvn)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली उच्चाधिकार प्राप्त चयन समिति में विपक्षी सदस्य कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर कहा है कि केंद्रीय सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों के चयन के मामले में सभी लोकतांत्रिक मानदंडों, रीति-रिवाजों और प्रक्रियाओं की धज्जियां उड़ा दी गई हैं.

मुख्य चुनाव आयुक्त पद पर हीरालाल सामरिया (सबसे दाएं) के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. (फोटो साभार: ट्विटर/@rashtrapatibhvn)

नई दिल्ली: बीते सोमवार (6 नवंबर) को सूचना आयुक्त के पद से पदोन्नत करते हुए हीरालाल सामरिया की मुख्य सूचना आयुक्त (सीआईसी) के रूप में नियुक्ति ने राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली उच्चाधिकार प्राप्त चयन समिति में विपक्षी सदस्य कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर कहा है कि उन्हें इस चयन के बारे में ‘पूरी तरह से अंधेरे में रखा गया’.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने कहा कि सरकार ने चयन के बारे में न तो उनसे परामर्श किया और न ही उन्हें सूचित किया. उन्होंने पत्र में लिखा, ‘अत्यंत दुख और भारी मन से मैं आपके ध्यान में लाना चाहता हूं कि केंद्रीय सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों के चयन के मामले में सभी लोकतांत्रिक मानदंडों, रीति-रिवाजों और प्रक्रियाओं की धज्जियां उड़ा दी गई हैं.’

राष्ट्रपति मुर्मू ने बीते सोमवार को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में एक समारोह के दौरान सामरिया को सीआईसी के रूप में शपथ दिलाई थी.

सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के अनुसार, सीआईसी और आईसी (सूचना आयुक्त) की नियुक्ति प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा की जाती है. इस समिति में लोकसभा में विपक्ष के नेता (इस मामले में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता) और प्रधानमंत्री द्वारा नामित एक केंद्रीय मंत्री शामिल होते हैं.

चौधरी ने कहा कि कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के अधिकारी अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में समिति की बैठक के लिए उनकी उपलब्धता के लिए उनके कार्यालय पहुंचे थे. उनके कार्यालय ने उन्हें सूचित किया था कि वह 2 नवंबर तक दिल्ली में उपलब्ध हैं और उन्हें 3 नवंबर को पूर्व-निर्धारित बैठक में भाग लेने के लिए पश्चिम बंगाल जाना होगा.

हालांकि, चौधरी को डीओपीटी से एक पत्र मिला, जिसमें बताया गया कि समिति की बैठक 3 नवंबर को शाम 6 बजे होने वाली है. इसके बाद उन्होंने कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह को पत्र लिखकर बैठक को पुनर्निर्धारित करने का आग्रह किया था.

चौधरी के 1 नवंबर को लिखे पत्र में कहा गया है, ‘बैठक के कार्यक्रम के संबंध में मेरा कार्यालय लगातार डीओपीटी के संबंधित अधिकारियों के संपर्क में था. यह बहुत स्पष्ट शब्दों में सूचित किया गया था कि एक पूर्व-निर्धारित समारोह के कारण मुझे पश्चिम बंगाल जाना है, जिसके कारण मेरे लिए बैठक में भाग लेना संभव नहीं होगा.’

उन्होंने आगे कहा, ‘यह अनुरोध किया गया था कि बैठक को उस दिन शाम 6 बजे के बजाय 1 या 2 नवंबर 2023 या 3 नवंबर 2023 को सुबह 9 बजे आयोजित किया जा सकता है. चूंकि मैं 3 नवंबर 2023 की शाम को पूर्व निर्धारित बैठक में भाग लेने के लिए प्रतिबद्ध हूं, इसलिए मैं प्रस्तावित कार्यक्रम के अनुसार बैठक में भाग लेने में असमर्थता व्यक्त करने के लिए मजबूर हूं.’

चौधरी ने कहा कि सरकार ने हालांकि आगे बढ़कर उन्हें बिना बताए सामरिया को सीआईसी नियुक्त कर दिया.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, संपर्क करने पर डीओपीटी के एक अधिकारी ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.

राष्ट्रपति को लिखे अपने पत्र में चौधरी ने कहा कि आरटीआई अधिनियम ‘हमारे लोकतांत्रिक मानदंडों और परंपराओं के अनुरूप है कि सीआईसी/आईसी के चयन की प्रक्रिया में विपक्ष की आवाज भी सुनी जाती है.’

उन्होंने कहा, ‘लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता के रूप में चयन समिति का सदस्य होने के बावजूद मुझे 3 नवंबर 2023 को प्रधानमंत्री के आवास पर हुई बैठक में सीआईसी/आईसी के चयन के बारे में पूरी तरह से अंधेरे में रखा गया.’

उन्होंने आगे कहा, ‘तथ्य यह है कि बैठक के कुछ ही घंटों के भीतर, जिसमें केवल प्रधानमंत्री और गृह मंत्री उपस्थित थे और ‘विपक्ष का चेहरा’ यानी चयन समिति के एक प्रामाणिक सदस्य के रूप में मैं उपस्थित नहीं था. इस दौरान चयनित उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की गई, उन्हें अधिसूचित किया गया और पद की शपथ भी दिलाई गई, यह केवल यह दर्शाता है कि संपूर्ण चयन प्रक्रिया पूर्व निर्धारित थी.’

उन्होंने कहा कि वह ‘बैठक में शामिल होकर चयन प्रक्रिया में भाग लेने के लिए बेहद उत्सुक और उत्साहित थे, अगर यह बैठक ऐसे समय पर बुलाई गई होती, जो सभी सदस्यों के लिए उपयुक्त होता’.

चौधरी ने कहा, ‘यह प्रक्रिया, क्योंकि बहुत ही कम समय में सामने आई है, इसलिए यह आपके लोकतांत्रिक लोकाचार और मानदंडों के लिए अनुकूल नहीं है.’

उन्होंने कहा, ‘दुर्भाग्य से 3 नवंबर 2023 को शाम 6 बजे निर्धारित चयन समिति की बैठक का समय व्यस्त चुनाव कार्यक्रम के बावजूद पीएम और गृह मंत्री के लिए उपयुक्त था. हालांकि उसी दिन सुबह इस बैठक को पुनर्निर्धारित करने की मेरी अपील को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया और बैठक में भाग लेने के मेरे सभी ईमानदार प्रयास विफल रहे.’

उन्होंने कहा, इससे भी अधिक स्पष्ट तथ्य यह है कि उन्हें ‘बैठक के नतीजे के बारे में सूचित भी नहीं किया गया.’

अधीर रंजन चौधरी ने कहा, ‘चयन प्रक्रिया के संबंध में बुलाई गई बैठक का हिस्सा बनने के अवसर से वंचित करने के अलावा मुझे सीआईसी/आईसी के पदों के लिए नव-चयनित उम्मीदवारों के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के लिए आज सुबह निमंत्रण मिला है.’

पत्र में उन्होंने राष्ट्रपति से आग्रह किया कि वह ‘यह सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव उपाय करें कि विपक्ष को सुनने का उचित और वैध स्थान न देकर हमारी लोकतांत्रिक परंपराएं और लोकाचार कमजोर न हों.’

बीते 3 अक्टूबर को यशवर्धन कुमार सिन्हा का कार्यकाल पूरा होने के बाद से सीआईसी का पद खाली था.

सामरिया के अलावा सोमवार को भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड के पूर्व अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक आनंदी रामलिंगम और भारतीय वन सेवा के 1986 बैच के अधिकारी विनोद कुमार तिवारी को सूचना आयुक्त पद की शपथ दिलाई गई. तिवारी हिमाचल प्रदेश वन विभाग के प्रमुख के रूप में बल प्रमुख-सह-प्रधान मुख्य वन संरक्षक का पद संभाल रहे थे.

मालूम हो कि 2020 में सीआईसी के रूप में यशवर्धन कुमार सिन्हा की नियुक्ति भी चयन समिति की बैठक में अधीर रंजन चौधरी की कड़ी आपत्तियों के बावजूद हुई थी. पूर्व आईएएस अधिकारी सामरिया ने श्रम और रोजगार सचिव के रूप में कार्य किया है. उन्हें नवंबर 2020 में सूचना आयुक्त के पद पर नियुक्त किया गया था.