गिरफ़्तारी से पहले अयोध्या के ठग को वाराणसी यात्रा के दौरान सात मौकों पर पुलिस सुरक्षा मिली थी

बीते 23 अक्टूबर को ठग अनूप कुमार चौधरी को अयोध्या से गिरफ़्तार किया गया था. वह उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान में दर्ज 10 मामलों में धोखाधड़ी, जालसाज़ी और आपराधिक साज़िश से संबंधित आरोपों का सामना कर रहा है. चौधरी ख़ुद के रेल मंत्रालय, भारतीय खाद्य निगम, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय का सदस्य होने का दावा कर अपने लिए सुरक्षा मांगता था.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स)

बीते 23 अक्टूबर को ठग अनूप कुमार चौधरी को अयोध्या से गिरफ़्तार किया गया था. वह उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान में दर्ज 10 मामलों में धोखाधड़ी, जालसाज़ी और आपराधिक साज़िश से संबंधित आरोपों का सामना कर रहा है. चौधरी ख़ुद के रेल मंत्रालय, भारतीय खाद्य निगम, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय का सदस्य होने का दावा कर अपने लिए सुरक्षा मांगता था.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: ट्विटर)

नई दिल्ली: पिछले हफ्ते उत्तर प्रदेश के अयोध्या शहर से गिरफ्तार किए गए ठग अनूप कुमार चौधरी के खिलाफ अब वाराणसी पुलिस ने जालसाजी के एक और मामले में केस दर्ज किया है.

पुलिस ने आरोप लगाया है कि चौधरी ने इस साल वाराणसी का दौरा करते समय कम से कम सात मौकों पर पुलिस सुरक्षा का लाभ उठाने के लिए फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया था, जो यूपी पुलिस के विशेष कार्य बल (एसटीएफ) द्वारा अयोध्या में उनकी गिरफ्तारी से कुछ ही दिन पहले का मामला है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, जांच में शामिल एक पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘चौधरी अपने वाराणसी दौरे के दौरान सुरक्षा कवर के लिए वाराणसी पुलिस आयुक्त और अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (प्रोटोकॉल) जैसे वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों को ईमेल भेजते थे. पत्रों में चौधरी ने रेल मंत्रालय, भारतीय खाद्य निगम और उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय का सदस्य होने का दावा किया था. किसी भी गलत काम का संदेह किए बिना अधिकारियों ने प्रोटोकॉल के अनुसार उन्हें सुरक्षा प्रदान करने के निर्देश के साथ पत्र को वीआईपी सेल को भेज दिया था.’

अधिकारी ने कहा, ‘ईमेल में चौधरी दावा करते थे कि उन्हें आधिकारिक काम के लिए लोगों से मिलने के लिए विभिन्न मंदिरों और रेलवे स्टेशनों सहित अन्य स्थानों पर जाने की जरूरत है. चौधरी जिले में दो से तीन दिन रुकते थे.’

वाराणसी पुलिस के अनुसार, उन्होंने पिछले सप्ताह अयोध्या निवासी चौधरी की गिरफ्तारी के बाद उसके बारे में विवरण एकत्र करना शुरू कर दिया.

अधिकारी ने कहा, ‘चौधरी के रिकॉर्ड की जांच करने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों से निर्देश मिला था. हमारी पूछताछ के दौरान यह पता चला कि चौधरी को इस साल जनवरी, मार्च, अप्रैल, मई, जुलाई और अक्टूबर में सात मौकों पर वाराणसी पुलिस द्वारा सुरक्षा के रूप में एक पुलिस गनर प्रदान किया गया था.’

चौधरी के खिलाफ एफआईआर वाराणसी पुलिस के वीआईपी सेल के प्रभारी इंस्पेक्टर राघव प्रसाद की शिकायत पर दर्ज की गई है.

चौधरी पर आईपीसी की धारा 419 (दूसरे का वेष धारण कर धोखाधड़ी), 420 (धोखाधड़ी और बेईमानी से संपत्ति की डिलीवरी के लिए प्रेरित करना), 467 (मूल्यवान सुरक्षा, वसीयत आदि की जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी), 471 (जाली दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को असली के रूप में उपयोग करना) के तहत मामला दर्ज किया गया है.

अनूप कुमार चौधरी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान में दर्ज 10 मामलों में धोखाधड़ी, जालसाजी और आपराधिक साजिश से संबंधित कई आरोपों का सामना कर रहे हैं. उन्हें यूपी एसटीएफ ने उत्तराखंड निवासी उनके ड्राइवर फिरोज आलम के साथ बीते 23 अक्टूबर को अयोध्या के सर्किट हाउस से गिरफ्तार किया था.

उत्तराखंड सरकार ने चौधरी पर 15 हजार रुपये का इनाम भी घोषित किया था.

जब चौधरी को गिरफ्तार किया गया था, तो गाजियाबाद पुलिस के गनर पवन कुमार को उनकी एसयूवी में उनके साथ देखा गया था. बाद में गनर को बिना अनुमति के अयोध्या जाने के कारण निलंबित कर दिया गया.

गाजियाबाद कमिश्नरेट में वीआईपी सेल प्रभारी मयंक अरोड़ा ने अपनी शिकायत में कहा कि चौधरी को 2020 से कई बार पुलिस से गनर की मंजूरी मिली थी.

मालूम हो इस साल ऐसी ठगी के कई मामले सामने आए हैं. बीते महीने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने वडोदरा के मयंक तिवारी नामक व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज किया था, जिसने प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) का अधिकारी बनकर कथित रूप से एक अस्पताल समूह पर दबाव बनाने की कोशिश की थी कि वह एक अस्पताल पर उसके 16 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया भूल जाए.

बीते मई महीने में भी महाराष्ट्र की पुणे पुलिस की अपराध शाखा ने खुद को पीएमओ में तैनात आईएएस अधिकारी बताने वाले एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया था.

गिरफ्तार किए गए व्यक्ति की पहचान 54 वर्षीय वासुदेव निवरुत्ति तायड़े के रूप में हुई थी, जो खुद को पीएमओ में उपसचिव के पद पर तैनात डॉ. विनय देव बताता था. उसका दावा था कि वह खुफिया कामों में शामिल था.

इससे पहले ​बीते 26 अप्रैल को उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने संजय राय ‘शेरपुरिया’ नाम के एक व्यवसायी को लखनऊ से गिरफ्तार किया था. इस शख्स और उसके सहयोगियों पर पीएमओ से जुड़े होने का दावा करते हुए कई लोगों और संगठनों से धन एकत्र करने का आरोप लगा था.

जांच में पता चला था शेरपुरिया ने 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले जम्मू कश्मीर के मौजूदा उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को 25 लाख रुपये उधार दिए थे.

इससे पहले बीते 3 मार्च खुद का पीएमओ में एक वरिष्ठ अधिकारी बताने वाले गुजरात के व्यक्ति को जम्मू कश्मीर में गिरफ्तार किया गया है. आरोपी की पहचान अहमदाबाद के रहने वाले किरण जगदीश भाई पटेल के रूप में हुई है.

पटेल सुरक्षा बलों और अधिकारियों को चकमा देकर कश्मीर की कई यात्राएं कर चुका था. झांसा देकर उसने जेड-प्लस सुरक्षा कवर भी हासिल कर लिया था. उसके भाजपा से जुड़े ​होने की बात भी सामने आई थी.

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