इज़रायल का गाज़ा में ‘फ़िलिस्तीनी शव के हिलने’ का दावा झूठा निकला

फैक्ट-चेक: इज़रायल-फ़िलिस्तीन संघर्ष के बीच लगातार साझा की जा रही फ़र्ज़ी ख़बरों के बीच इज़रायल समर्थकों ने एक वीडियो क्लिप में एक फ़िलिस्तीनी व्यक्ति के 'शव के हिलने' का दावा करते हुए मौत के आंकड़ों पर सवाल उठाया गया था. ऑल्ट न्यूज़ की पड़ताल में यह दावा ग़लत पाया गया है.

/
गाज़ा के एक अस्पताल में परिजनों के शव के पास विलाप करती महिला. (फोटो साभार: ऑल्ट न्यूज़)

फैक्ट-चेक: इज़रायल-फ़िलिस्तीन संघर्ष के बीच लगातार साझा की जा रही फ़र्ज़ी ख़बरों के बीच इज़रायल समर्थकों ने एक वीडियो क्लिप में एक फ़िलिस्तीनी व्यक्ति के ‘शव के हिलने’ का दावा करते हुए मौत के आंकड़ों पर सवाल उठाया गया था. ऑल्ट न्यूज़ की पड़ताल में यह दावा ग़लत पाया गया है.

गाज़ा के एक अस्पताल में परिजनों के शव के पास विलाप करती महिला. (फोटो साभार: ऑल्ट न्यूज़)

नई दिल्ली: एक महीने से जारी इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष के बीच लगातार फ़र्ज़ी ख़बरें, गलत सूचनाएं और कॉन्सपिरेसी थ्योरी सामने आ रही हैं, जिन्हें भारत के सोशल मीडिया पर भी व्यापक रूप से साझा किया जा रहा है.

ऑल्ट न्यूज़ के अनुसार, बीते दिनों इज़रायल समर्थक सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर ने इस कॉन्सपिरेसी थ्योरी को बढ़ावा दिया कि फ़िलिस्तीनी मौत और घायल होने का नाटक कर रहे हैं. इस दावे के साथ इज़रायल के एक आधिकारिक हैंडल ने भी इस भ्रामक वीडियो क्लिप को आगे बढ़ाया.

ट्वीट में सीएनएन के लोगो वाली एक क्लिप को साझा करते हुए दावा किया गया था कि कफ़न में लिपटे शव को ‘अपना सिर हिलाते हुए’ देखा गया. वीडियो में सिर पर लाल घेरा लगाया गया है. ट्वीट में लिखा था, ‘रिमाइंडर: गाज़ा स्वास्थ्य मंत्रालय = हमास. शव सिर नहीं हिला सकते.

(साभार: ऑल्ट न्यूज़)

30 अक्टूबर तक इस वीडियो को 40 लाख से ज़्यादा बार देखा गया और लगभग 8 हज़ार बार रीट्वीट किया गया. इसके बाद यह ट्वीट हटा दिया गया. ट्वीट का आर्काइव इस लिंक पर देख सकते हैं.

(साभार: ऑल्ट न्यूज़)

30 अक्टूबर को ही संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में इज़रायल दूतावास के ऑफ़िशियल एक्स (पहले ट्विटर) हैंडल ने इसी वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा किया कि हमास ने ‘दुनिया से झूठ बोलने के लिए फ़र्ज़ी न्यूज़ और प्रोपागेंडा’ इस्तेमाल किया था. बाद में यह ट्वीट भी डिलीट कर दिया गया. ट्वीट का आर्काइव इस लिंक पर देख सकते हैं.

विभिन्न देशों के लोगों द्वारा व्यापक रूप से शेयर किया गया यह क्लिप भारत में दक्षिणपंथी इन्फ्लुएंसर अरुण पुदुर ने भी ट्वीट किया था और इस पर तंज़ किया था. इसके साथ ही उन्होंने इज़रायली हवाई हमले में मारे गए एक अन्य बच्चे का वीडियो भी पोस्ट किया, जिसे इजरायली अधिकारियों और अन्य लोगों ने ग़लत तरीके से ‘गुड़िया’ बताया था.

फैक्ट-चेक

ऑल्ट न्यूज़ की पड़ताल में ‘शव होने’ का यह दावा फ़र्ज़ी पाया गया.

वायरल वीडियो में कफ़न में रखे दो शवों, जो एक वयस्क और एक बच्चे के लगते हैं, के पास बैठी एक महिला दिखती हैं. इसके अलावा, ऐसे दो शव दिखाई दे रहे हैं. एक शव शायद वयस्क का है और दूसरा किसी बच्चे का. सीएनएन द्वारा सबसे पहले पब्लिश किया गया यह फुटेज इज़रायली न्यूज़ आउटलेट N12 ने साझा किया था, जहां इसने एक कफ़न के ऊपर की तरफ लाल घेरा लगाकर फुटेज को ज़ूम करके यह साबित करने की कोशिश की थी कि शव हिल रहा था. वायरल वीडियो में N12 लोगो के साथ सीएनएन का लोगो भी दिखाई देता है.

ऑल्ट न्यूज़ ने सीएनएन की मूल फुटेज तलाशी है, जिसे नीचे दिए गए स्क्रीन रिकॉर्ड किए गए लिंक पर देखा जा सकता है.

इस स्क्रीन रिकॉर्डिंग में वायरल वीडियो वाला हिस्सा 38 सेकेंड से शुरू होता है, जहां बुर्का पहने महिला शवों के पास विलाप कर रही हैं. इसके बाद नीली टी-शर्ट पहने एक व्यक्ति उनके पास आकर पास बैठता है और कफ़न खोलता है. उसी वक्त इसके ऊपर बंधी गांठ हिलती है जिससे ऐसा लग सकता है कि शव हिल रहा है.

सीएनएन की रिपोर्ट में नीली टी-शर्ट वाले व्यक्ति द्वारा परिवारों को शवों को हटाने में मदद करने के कई उदाहरण भी मिले.

ऑल्ट न्यूज़ ने इसे शूट करने वाले फ़िलिस्तीनी पत्रकार हसन एस्लेयेह से भी संपर्क किया, जिन्होंने कहा कि 28 अक्टूबर को उन्होंने इसे शूट किया था. हसन ने वायरल ‘फर्ज़ी शव’ के दावों को ग़लत बताया और असली अनएडिटेड वीडियो शेयर किया. इसके अलावा, हसन ने बताया कि वीडियो में दिख रही महिला उनके बेटे को खोने का शोक मना रही थीं, जिसका शव कफ़न में था.

अनएडिटेड वीडियो नीचे दिए गए लिंक  सकता है.

हसन ने वायरल क्लिप से जुड़ी और तस्वीरें भी भेजीं जो 28 अक्टूबर को क्लिक की गई थीं. उनकी दो तस्वीरों में वही आदमी और वही महिला मृतक के बगल में बैठे हैं. एक और तस्वीर में महिला तीन अन्य लोगों के साथ खड़ी हैं और उनके सामने तीन शव हैं.

उनके पीछे लिख रहे एक दरवाज़े पर लिखे टेक्स्ट से मालूम चलता है कि यह जगह गाज़ा का अल-अक्सा अस्पताल का वह हिस्सा है, जहां दफ़न-कफ़न, ग़ुस्ल आदि की प्रक्रिया होती है.

ऑल्ट न्यूज़ के अलावा फैक्ट-चेक संस्था बूमलाइव ने भी इस दावे का खंडन किया है.