मध्य प्रदेश चुनाव: क्या बेटे का वायरल वीडियो केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को भारी पड़ेगा?

इस हफ्ते की शुरुआत में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के बेटे देवेंद्र प्रताप सिंह तोमर का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें उन्हें कथित तौर पर एक बिचौलिए के माध्यम से करोड़ों रुपये की डील करते हुए देखा जा सकता है. केंद्रीय मंत्री मध्य प्रदेश की दिमनी सीट से चुनावी मैदान में हैं. उनका नाम मुख्यमंत्री पद की रेस में भी है.

केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और देवेंद्र प्रताप सिंह तोमर. (फोटो साभार: फेसबुक/@devendrapratapsingh.tomar.1)

इस हफ्ते की शुरुआत में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के बेटे देवेंद्र प्रताप सिंह तोमर का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें उन्हें कथित तौर पर एक बिचौलिए के माध्यम से करोड़ों रुपये की डील करते हुए देखा जा सकता है. केंद्रीय मंत्री मध्य प्रदेश की दिमनी सीट से चुनावी मैदान में हैं. उनका नाम मुख्यमंत्री पद की रेस में भी है.

केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और देवेंद्र प्रताप सिंह तोमर. (फोटो साभार: फेसबुक/@devendrapratapsingh.tomar.1)

ग्वालियर: मध्य प्रदेश में जारी विधानसभा चुनावों की तैयारियों के बीच राज्य की राजनीति में इस सप्ताह की शुरुआत में तब उबाल आ गया जब केंद्रीय मंत्री और दिमनी विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार नरेंद्र सिंह तोमर के बेटे देवेंद्र प्रताप सिंह तोमर का एक कथित वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वह करोड़ों रुपये के लेनदेन की बात कर रहे हैं.

द वायर  के पास उपलब्ध 6 मिनट 29 सेकेंड का यह पूरा वीडियो दो वॉट्सऐप कॉल (एक वीडियो कॉल और एक ऑडियो कॉल) को जोड़कर बनाया गया है, जिनमें कथित तौर पर करोड़ों रुपये के लेनदेन और उन्हें कई बैंक एकाउंट में ट्रांसफर किए जाने की बातचीत हो रही है.

पहला वीडियो कॉल है, जिसमें मोबाइल स्क्रीन पर देवेंद्र तोमर नजर आ रहे हैं और एक व्यक्ति उन्हें बैंक खातों में राशि ट्रांसफर करने संबंधी जानकारियां दे रहा है. इसमें आरबीआई के किसी रिटायर्ड कमिश्नर त्यागी का भी जिक्र है, जिससे 100 सीआर (100 करोड़) लखनऊ से मिलने की बात है.

दोनों ही कॉल में देवेंद्र तोमर की बातचीत किसी बिचौलिए से हो रही है जो उनसे लेनदेन के लिए 4-5 खाते तैयार रखने कह रहा है. साथ ही, एक मौके पर बिचौलिया कहता है, ‘वो (पैसे भेजने वाले) बोले जहां इसको (पैसा) सैंड करना है कीजिए, क्योंकि मैंने (उन्हें) किसी का नाम नहीं बताया है कि (पैसा) कहां किसको जाता है… इनकी ट्रेडिंग फर्म और माइनिंग है राजस्थान में…और मोहाली वाला तो लैंड (ज़मीन) का डीलर है, वो नेताओं और अधिकारियों के लैंड की डील करता है… वहां से ये लिक्विड (पैसा) आता है सारा.’

वीडियो के वॉट्सऐप ऑडियो कॉल में बिचौलिया एक पार्सल का भी जिक्र करता है जो दिल्ली एयरपोर्ट पर भाभी के नाम आना है. इसकी डिलीवरी के संबंध में कथित तौर पर देवेंद्र को कहते सुना जा सकता है कि ‘पासपोर्ट की जानकारी भेज दी है, एड्रेस प्रूफ वीके कृष्णा मेनन मार्ग के बजाए उनके खुद के घर का है.

वीडियो सामने आते ही कांग्रेस ने केंद्र और राज्य के सत्तारूढ़ दल भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने निर्वाचन आयोग से इस पर त्वरित कार्रवाई करने की मांग की.

उन्होंने सोमवार को लिखा, ‘इस संबंध में कल (रविवार) रात ही निर्वाचन आयोग में शिकायत दर्ज करा दी गई थी. लेकिन अब तक किसी भी जांच एजेंसी द्वारा न तो जांच शुरू हुई है और न ही जिस सरकार में तोमर मंत्री हैं, उसके शीर्ष नेतृत्व ने कोई प्रतिक्रिया व्यक्त की है.’

कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने केंद्रीय मंत्री तोमर से कहा कि वे बताएं कि यह वीडियो सही है या नहीं, सही नहीं है तो कानूनी कार्रवाई करें या फिर तत्काल इस्तीफा दें.

कांग्रेस की सोशल मीडिया प्रभारी सुप्रिया श्रीनेत ने तो इसे मनी लॉन्ड्रिंग का मामला बताते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से जांच की मांग की.

गौरतलब है कि नरेंद्र सिंह तोमर 2014 से 2019 के बीच केंद्रीय इस्पात और खनन मंत्री रह चुके हैं. वीडियो में खनन संबंधी बातचीत ही हो रही है.

इस बीच, देवेंद्र का भी पक्ष सामने आया और उन्होंने वीडियो को झूठा और मनगढ़ंत बताते हुए इसकी शिकायत मुरैना पुलिस अधीक्षक को किए जाने की बात कही. दैनिक भास्कर की एक खबर के मुताबिक, देवेंद्र की शिकायत पर मुरैना के सिविल लाइन थाने में इस संबंध में एक केस भी दर्ज किया गया है.

वीडियो वायरल होने के बाद मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने जांच की मांग करते हुए केंद्रीय जांच एजेंसियों की चुप्पी पर सवाल उठाए. कुक्षी में आयोजित जनसभा में इस मुद्दे को प्रियंका गांधी जनता के बीच भी लेकर गईं. वहीं, भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व से लेकर राज्य स्तर के नेताओं ने इस पर कोई खास प्रतिक्रिया नहीं दी है.

इस घटना के असर को लेकर ग्वालियर-चंबल में पत्रकारिता के अध्यापन कार्य से जुड़े जयंत सिंह तोमर कहते हैं कि इसका चुनाव, भाजपा की रणनीति और छवि पर असर पड़ना बिल्कुल तय है. वे कहते हैं, ‘लोगों के मन में नेताओं को लेकर यह बात गहराई से मन में बैठी हुई है कि नेता है तो आर्थिक भ्रष्टाचार में लिप्त होगा ही. इसलिए ज्यादातर लोग देखा-सुना सच मानते हैं.’

हालांकि, वे कहते हैं, ‘यह वीडियो लगभग 5-7 साल पुराना हो सकता है, उस समय का जब तोमर खनिज मंत्री थे. उनके बेटे देवेंद्र के सिर पर तब बाल घने थे, जो वीडियो में साफ देखे जा सकते हैं. हां, इतना तय है कि इसे बहुत सहेजकर रखा गया था, ताकि सही समय आने पर इस्तेमाल किया जा सके.’

तोमर के बेटों का क्षेत्र में प्रभाव और कामकाज

नरेंद्र सिंह तोमर के दो बेटे हैं, देवेंद्र प्रताप सिंह तोमर (बड़े बेटे) और प्रबल प्रताप सिंह तोमर. हालांकि, ग्वालियर-मुरैना क्षेत्र, जो नरेंद्र सिंह के निर्वाचन क्षेत्र और प्रभाव क्षेत्र रहे हैं, में दोनों भाइयों का लोकप्रिय नाम क्रमश: रामू भैया और रघु भैया है.

जयंत तोमर कहते हैं, ‘मान लेते हैं कि यह वीडियो फर्जी है तो क्या इस वीडियो को फर्जी बताने वाले लोग इसे भी फर्जी कहेंगे कि तोमर के बेटों  के जन्मदिन पर या पूर्व राज्यसभा सांसद प्रभात झा के बेटे (तुष्मुल झा) के जन्मदिन पर पूरा ग्वालियर शहर होर्डिंग्स से पट जाता है? क्या यह भी फर्जी है कि उनके बेटों की गाड़ियों के पीछे दर्जनभर गाड़ियों का काफिला चलता है? जैसी गतिविधियां उनके बेटों की हैं, उन्हें देखते हुए सवाल उठता ही है कि उनका क्या कारोबार है?’

बता दें कि ग्वालियर के युवा भाजपा कार्यकर्ता तोमर के बेटों के दाएं-बाएं घूमते पाए जाते हैं. रामू भैया और रघु भैया जिंदाबाद के नारे उनके मुंह से सुना जाना आम है. देवेंद्र तोमर उर्फ रामू भैया हॉकी इंडिया के उपाध्यक्ष भी हैं. दोनों ही भाई जब किसी सार्वजनिक आयोजन में देखे जाते हैं तो उनके इर्द-गिर्द युवाओं, खासकर भाजपा से जुड़े, का हुजूम देखा जाना आम बात है. ऐसे मौकों या उनके जन्मदिन पर दोनों भाइयों का रुतबा किसी सांसद, विधायक या मंत्री से कम नहीं नज़र आता.

देवेंद्र प्रताप सिंह तोमर. (फोटो साभार: फेसबुक)

देवेंद्र का नाम तो इस विधानसभा चुनाव में टिकट के दावेदार के रूप में भी सामने आया था और उनके दिमनी या ग्वालियर पूर्व से भाजपा उम्मीदवार बनाए जाने की चर्चाएं थीं, हालांकि पार्टी ने पिता नरेंद्र सिंह को ही दिमनी से चुनाव मैदान में उतार दिया, जिसके चलते ‘एक परिवार, एक टिकट’ की पार्टी की नीति के तहत देवेंद्र की संभावनाएं खत्म हो गईं. 2018 में भी देवेंद्र के चुनाव लड़ने के कयास लगाए गए थे.

बहरहाल, कहा जाता है कि नरेंद्र सिंह तोमर का जमीनी कामकाज उनके बेटे ही संभालते हैं. मुरैना के एक पत्रकार बताते हैं, ‘दिमनी में तोमर चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन सारी जिम्मेदारी उनके बेटे उठा रहे हैं. मीडिया मैनेजमेंट के सिलसिले में छोटे बेटे से मेरी मुलाकात भी हुई थी.’

हालांकि, वह पत्रकार साथ ही यह कहते हैं कि यह वीडियो तोमर के दिमनी विधानसभा क्षेत्र में उनकी संभावनाओं पर कोई असर नहीं डालता है, क्योंकि यहां मतदान पूरी तरह जाति के आधार पर होता है. भ्रष्टाचार या वीडियो से क्षेत्र की जनता को कोई फर्क नहीं पड़ता, उनके लिए तो सरकारी योजनाएं तक मुद्दा नहीं होतीं. दिमनी ही नहीं, पूरे मुरैना जिले में ही जाति सबसे बड़ा मुद्दा है. ऐसे वीडियो फर्जी करार देकर भी झुठला दिए जाते हैं.

राज्य के वरिष्ठ पत्रकार शम्सुर्रहमान अल्वी का कहना है, ‘दुर्भाग्यवश यह देखने में आता है कि भ्रष्टाचार जनता के लिए उतना बड़ा मुद्दा नहीं रहा है. अब इस तरह के आरोपों का कोई खास असर होता नहीं है. राजनीति में यह चीजें जनता को आम लगने लगी हैं. हालिया समय में मतदाताओं को भ्रष्टाचार से चिढ़ते हुए नहीं देखा है. उनका झुकाव जाति, समुदाय और दलों के प्रति अधिक होता है. अगर जाति-समुदाय पर की गई टिप्पणी का मसला होता तो ज्यादा असर पड़ता.’

क्या मुख्यमंत्री बनने की रेस में तोमर कमजोर होंगे?

जब से तोमर का नाम विधानसभा चुनाव उम्मीदवार की सूची में सामने आया है, तब से ही उन्हें अगला मुख्यमंत्री बनाए जाने के कयास लगाए जा रहे हैं. भाजपा के अंदर शिवराज के स्थान पर मुख्यमंत्री बनने के सबसे बड़े दावेदार वही माने गए हैं.

जयंत तोमर कहते हैं, ‘इस घटना के बाद उनकी छवि पर गहरा प्रतिकूल असर पड़ेगा और इससे भाजपा की छवि भी प्रभावित होती है. जब तक वह जांच में बरी न हो जाएं, नैतिक आधार पर तब तक उन्हें पद स्वीकारना भी नहीं चाहिए और शायद पार्टी भी अब उन्हें यह पद न दे क्योंकि राजनीतिक दल अपनी छवि को लेकर काफी सशंकित होते हैं.’

हालांकि, साथ ही वह जोड़ते हैं, ‘बात ये भी है कि पाक-साफ तो यहां कोई नहीं है. क्या शिवराज सिंह पाक-साफ हैं? क्या कैलाश विजयवर्गीय पाक-साफ हैं? कौन पाक-साफ है?’

वहीं, अल्वी का कहना है, ‘यह इस पर निर्भर करता है कि विपक्ष इस मुद्दे को कितना भुना पाता है. अगर वह इसे आक्रामक तरीके से उठा पाए तो शायद थोड़ा मुद्दा बन जाए, लेकिन विपक्ष में तो दो-तीन दिन के अंदर हर मुद्दा गायब हो जाता है. हर मुद्दे की अहमियत बस एक-दो दिन रह गई है और उसके बाद हल्की-हल्की चीजें चुनाव की दिशा तय करने लगती हैं.’

अल्वी की बात सही भी है. शुरुआती दो दिन सुर्खियों में छाए रहे इस मुद्दे पर अब राज्य की राजनीति में कोई चर्चा नहीं हो रही है और चुनावी चर्चा एक-दूसरे को हिंदू धार्मिक ग्रंथों के पात्र कौरव, पांडव, अहिरावण आदि बताने के इर्द-गिर्द सिमट गई है.

हालांकि, संभावना तो यह भी बनती है कि भाजपा की सरकार बनने पर तोमर का मुख्यमंत्री के तौर पर नाम आगे रहने की स्थिति में पद के अन्य दावेदार इस वीडियो का उदाहरण देकर उन्हें रोकने की कोशिश कर सकते हैं. इस पर अल्वी कहते हैं, ‘जब नाम आगे बढ़ेगा तो कोशिश तो सब करेंगे ही, लेकिन यह बात भी है कि भाजपा में कोई भी निर्णय राष्ट्रीय नेतृत्व अपने हिसाब से करेगा और ज्ञात हो कि वह जब फैसला करता है तो किसी की नहीं चलती.’

इस बीच द वायर  से बातचीत में प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता रवि सक्सेना सरकार बनने पर इस संबंध में जांच कराए जाने की बात करते हुए कहते हैं, ‘सरकार बनने पर भाजपा के ऐसे भ्रष्ट, घपले और घोटालेबाजों के ऊपर हम निश्चित रूप से कार्रवाई करेंगे.’

भ्रष्टाचार पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘न खाऊंगा, न खाने दूंगा’ जुमले पर तंज कसते हुए वह कहते हैं, ‘हमने तो भ्रष्टाचार के आरोप लगने पर अपने मुख्यमंत्री तक हटाए हैं.’

कांग्रेस की शिकायत पर निर्वाचन आयोग द्वारा कोई सक्रियता न दिखाने पर सक्सेना ने कहा, ‘निर्वाचन आयोग कठपुतली बनकर रह गया है और केवल मोदी सरकार के इशारों पर काम कर रहा है. कांग्रेस द्वारा शिकायत किए गए ऐसे सैकड़ों मामले हैं जहां आचार संहिता की धज्जियां उड़ाने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है.’