द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
भारत के एक इनवेस्टिगेटिव रिपोर्टर आनंद मंगनाले के फोन में संभवतः पेगासस स्पायवेयर होने की बात सामने आई है. रॉयटर्स ने एक फॉरेंसिक विशेषज्ञ के हवाले से बताया कि आनंद के फोन में संदिग्ध क्रैश का एक पैटर्न देखा गया, जो पहले सामने आए पेगासस संक्रमण से मेल खाता था. फॉरेंसिक फर्म आइवेरिफाई (iVerify) के संस्थापक रॉकी कोल ने रॉयटर्स को बताया कि वे पूरे यकीन के साथ कह सकते हैं कि उनके फोन को पेगासस के जरिये निशाना बनाया गया था. मंगनाले खोजी पत्रकारों के अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क ओसीसीआरपी के दक्षिण एशिया संपादक हैं. अगस्त में आनंद ने ओसीसीआरपी के अन्य पत्रकारों- रवि नायर और एनबीआर अर्काडियो के साथ साझा तौर पर लिखी एक रिपोर्ट में बताया था कि भारतीय उद्योगपति गौतम अडानी के अडानी समूह ने अपने समूह की कंपनियों की वैल्यू बढ़ाने के लिए मॉरीशस के अपारदर्शी ऑफशोर फंड का इस्तेमाल किया था. आनंद उन लगभग दो दर्जन भारतीयों में से एक हैं, जिन्हें बीते 31 अक्टूबर को ‘एप्पल’ की तरफ से से चेतावनी मिली थी कि ‘राज्य-प्रायोजित हमलावर’ उनके आईफोन को निशाना बना सकते हैं.
केरल सरकार दो हफ्ते में दूसरी बार राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची है. द हिंदू के अनुसार, सरकार ने बुधवार को राज्यपाल पर महत्वपूर्ण विधेयकों, खासकर कोविड के बाद सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं संबंधी विधेयकों को अनिश्चितकाल तक दबाकर रखते हुए राज्य के ‘लोगों के अधिकारों के हनन’ की कोशिश करने का आरोप लगाया. सरकार के वकील ने कहा कि राज्यपाल की मनमानी केरल के लोगों के जीवन के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है. 461 पन्नों की स्पेशल लीव पिटीशन में पिछले साल 30 नवंबर के केरल हाईकोर्ट के उस फैसले के खिलाफ अपील की गई है, जिसमें संविधान के अनुच्छेद 200 के तहत राज्यपाल को प्रस्तुत विधेयकों से निपटने के लिए समयसीमा तय करने से इनकार कर दिया गया था. बीते हफ्ते दायर एक याचिका में केरल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से यह घोषणा करने की मांग की थी कि राज्यपाल विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों को लंबे और अनिश्चितकाल तक रोककर अपनी संवैधानिक शक्तियों और कर्तव्यों का पालन करने में विफल रहे हैं.
दिल्ली-एनसीआर में बिगड़ती वायु गुणवत्ता और प्रदूषण के बीच अन्य राज्यों से आने वाली ऐप-आधारित कैब को दिल्ली में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी. एनडीटीवी के अनुसार, दिल्ली के परिवहन मंत्री गोपाल राय ने कहा कि उनके विभाग को सुप्रीम कोर्ट द्वारा मंगलवार को दिए गए सुझाव लागू करने के लिए कहा गया है. कोर्ट ने ऑड-ईवन जैसी योजनाओं को ‘महज दिखावा’ कहते हुए सुझाव दिया था कि दिल्ली सरकार दिल्ली के रजिस्ट्रेशन वाली कैब को ही चलने की अनुमति देने पर विचार करे. राय ने ट्विटर पर पोस्ट एक वीडियो बयान में कहा कि दिल्ली सरकार दिवाली के बाद शुरू होने वाली ऑड-ईवन योजना के प्रभाव पर अदालत के सामने दो अध्ययन भी पेश करेगी. मंत्री ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा था कि नारंगी स्टिकर वाली डीजल कारों पर भी प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए. प्रतिदिन शाम 4 बजे लिया जाने वाला शहर का 24 घंटे का औसत एक्यूआई बुधवार को 426 दर्ज किया गया.
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस मदन बी लोकुर ने कहा है कि ऐसा लगता है कि अदालतें जमानत स्वीकार या अस्वीकर करने के बुनियादी सिद्धांत को भूल गई हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, आम आदमी पार्टी (आप) के नेता मनीष सिसोदिया को जमानत न दिए जाने से जुड़े एक सवाल के जवाब में जस्टिस लोकुर ने कहा कि ऐसा लगता है कि अदालतें जमानत देने या न देने के बुनियादी सिद्धांत भूल गई हैं. आजकल अगर किसी को गिरफ्तार किया जाता है, तो इतना तय होता हैं कि वह कम से कम कुछ महीनों तो जेल में रहेगा. उन्होंने आगे जोड़ा, ‘पुलिस पहले गिरफ़्तारी करती है और फिर गंभीर जांच शुरू होती है. आधी-अधूरी चार्जशीट दाखिल की जाती है और उसके बाद एक पूरक चार्जशीट आती है, दस्तावेज पेश नहीं किए जाते. यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. और परेशान करने वाली बात यह है कि कुछ अदालतें इस पर गौर करने को तैयार नहीं हैं.’
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में ‘डायल 112’ हेल्पलाइन की कर्मियों का वेतन वृद्धि और अन्य मांगों को लेकर प्रदर्शन चल रहा है. द हिंदू के अनुसार, मंगलवार को मुख्यमंत्री आवास की ओर जाने की मांग करने पर प्रदर्शनकारी महिलाओं को हिरासत में भी लिया गया. विरोध करने वाले कर्मचारियों में से एक बताया कि वे पिछले सात सालों से एक ही वेतन (करीब 12 हज़ार रुपये) पर काम कर रहे हैं. अब उनकी मांग 18,000 रुपये इन-हैंड वेतन, साप्ताहिक अवकाश और महीने में दो सवेतन अवकाश की हैं. अमर उजाला के अनुसार, पुलिस ने कई प्रदर्शनकारी कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है, जिसमें उन पर बलवा भड़काने, प्रदर्शन कर मार्ग बाधित करने, आपातकालीन सेवा बाधित करने और सरकारी निर्देशों के उल्लंघन के आरोप लगाए गए हैं.
छह महीने से जातीय हिंसा से जूझ रहे मणिपुर में हथियारबंद भीड़ द्वारा एक सैनिक के परिजनों समेत पांच जनजातीय लोगों का अपहरण करने की घटना सामने आई है. रिपोर्ट के अनुसार, कांगपोकपी ज़िले के कांगचुप चिंगखोंग गांव के पास एक सुरक्षा चौकी पर हथियारबंद भीड़ ने कुकी-ज़ोमी समुदाय के पांच सदस्यों का अपहरण कर लिया. इनमें से चार एक सैनिक के परिजन हैं. घटना में घायल सैनिक के 65 वर्षीय पिता को सुरक्षा बलों ने बचा लिया, जिन्हें गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया है. पुलिस के मुताबिक, लापता लोगों में 60 और 55 साल की दो महिलाएंऔर 40 और 25 साल की आयु के दो पुरुष शामिल हैं. हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, पिछले तीन दिनों में मणिपुर में दो अलग-अलग घटनाओं में छह लोगों का अपहरण किया गया है.