गृह मंत्रालय ने राज्यों से क़ैदियों और उनसे मिलने आने वालों का आधार प्रमाणीकरण करने को कहा

राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को पत्र लिखकर गृह मंत्रालय ने कहा है कि क़ैदियों और उनसे मिलने आने का आधा​र प्रमा​णीकरण इसलिए किया जाए, ताकि उनकी सुरक्षित हिरासत को मज़बूत किया जा सके और साथ ही उन्हें आधार संबंधित लाभों की वितरण सुनिश्चित किया जा सके. हालांकि यह प्रक्रिया स्वैच्छिक आधार पर होगी.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: फेसबुक/Aadhaar)

राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को पत्र लिखकर गृह मंत्रालय ने कहा है कि क़ैदियों और उनसे मिलने आने का आधा​र प्रमा​णीकरण इसलिए किया जाए, ताकि उनकी सुरक्षित हिरासत को मज़बूत किया जा सके और साथ ही उन्हें आधार संबंधित लाभों की वितरण सुनिश्चित किया जा सके. हालांकि यह प्रक्रिया स्वैच्छिक आधार पर होगी.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: फेसबुक/Aadhaar)

नई दिल्ली: देश भर की लगभग 1,300 जेलों में बंद कैदियों और उनसे मिलने वालों को आधार प्रमाणीकरण (Aadhaar Authentication) से गुजरना पड़ सकता है, जो कैदियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और पहचान से संबंधित धोखाधड़ी को रोकने के लिए गृह मंत्रालय की एक पहल है.

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को पत्र लिखकर उनसे जेल के कैदियों और उनसे मिलने आने वालों (Visitors) के आधार प्रमाणीकरण करने के लिए कहा गया है, ताकि कैदियों की सुरक्षित हिरासत को मजबूत किया जा सके और साथ ही आधार संबंधित लाभों की वितरण सुनिश्चित की जा सके, जिसके वे हकदार हैं.

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, जेल विभाग को एक अधिसूचना जारी करने के बाद उन्हें सुशासन (सामाजिक कल्याण, नवाचार, ज्ञान) नियम 2020 के लिए आधार प्रमाणीकरण के प्रावधानों के तहत जेल के कैदियों और उनसे मिलने आने वालों का आधार प्रमाणीकरण करने के लिए अधिकृत किया गया है.

गृह मंत्रालय ने कहा कि राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी)/ई-प्रिजन्स ने कैदियों/ विज़िटर्स को आधार से जोड़ने/प्रमाणित करने के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) विकसित की है.

हालांकि, 29 सितंबर, 2023 की अधिसूचना में कहा गया है कि प्रमाणीकरण प्रक्रिया स्वैच्छिक आधार पर होगी और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को समय-समय पर केंद्र द्वारा जारी प्रासंगिक दिशानिर्देशों का पालन करना होगा.

कैदियों और उनसे मिलने आने वालों को प्रमाणित करने के कदम को उचित ठहराते हुए गृह मंत्रालय ने एक नोट में कहा कि कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए जेल सुरक्षा राज्य के लिए महत्वपूर्ण मुद्दों में से एक है. देश की जेलों में कैदियों की बढ़ती आबादी के कारण जेल अधिकारियों पर उन्हें प्रबंधित करने और उनके रिकॉर्ड की पहचान करने का दबाव है.

गृह मंत्रालय ने कहा, ‘कैदियों और जेलों के अन्य हितधारकों की पहचान आज की आवश्यकता है. इसे कैदियों के आधार आधारित सत्यापन द्वारा हासिल किया जा सकता है.’

मंत्रालय ने कहा कि एनआईसी ने ई-प्रिजन प्रणाली के साथ एकीकृत आधार सेवाओं को विकसित किया है और इसे देश की 1,378 जेलों में से 1,309 में कार्यात्मक बना दिया है.

ई-प्रिजन एकीकृत आधार सेवाओं का उपयोग जेल के कैदियों, उनसे मिलने आने वालों का सटीक सत्यापन करने, जेल प्रणाली के भीतर पहचान धोखाधड़ी को कम करने और कैदियों के प्रबंधन से संबंधित प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने के लिए किया जा सकता है.