मणिपुर में चल रहे संकट के बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा सात ‘मेईतेई चरमपंथी संगठनों’ और उनके सहयोगियों पर यूएपीए के तहत प्रतिबंध बढ़ाने की अधिसूचना में कहा गया है कि इनका कथित उद्देश्य सशस्त्र संघर्ष के माध्यम से मणिपुर को भारत से अलग करना और इस तरह के अलगाव के लिए मणिपुर के स्थानीय लोगों को उकसाना है.
नई दिल्ली: मणिपुर में चल रहे संकट के बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सोमवार (13 नवंबर) को सात ‘मेईतेई चरमपंथी संगठनों’ और उनके सहयोगियों पर यूएपीए के तहत प्रतिबंध को पांच साल की अवधि के लिए बढ़ा दिया है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, जिन समूहों पर प्रतिबंध बढ़ाया गया है, उनमें पीपुल्स लिबरेशन आर्मी और इसकी राजनीतिक शाखा रिवोल्यूशनरी पीपुल्स फ्रंट; यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट और इसकी सशस्त्र शाखा मणिपुर पीपुल्स आर्मी; द पीपुल्स रिवोल्यूशनरी आर्मी ऑफ कंगलेइपक और उसकी सशस्त्र शाखा ‘रेड आर्मी’; कंगलेइपक कम्युनिस्ट पार्टी और उसकी सशस्त्र शाखा, इसे भी ‘लाल सेना’ कहा जाता है; कंगलेई याओल कनबा लुप; द कोऑर्डिनेशन कमेटी और एलायंस फॉर सोशलिस्ट यूनिटी कंगलेइपक शामिल हैं.
गृह मंत्रालय की अधिसूचना में उन्हें सामूहिक रूप से ‘मेईतेई चरमपंथी संगठन’ कहा गया है, जिसका कथित उद्देश्य सशस्त्र संघर्ष के माध्यम से मणिपुर को भारत से अलग करना और ‘इस तरह के अलगाव के लिए मणिपुर के स्थानीय लोगों को उकसाना’ है.
अधिसूचना में कहा गया है कि केंद्र सरकार की राय है कि ये समूह ‘भारत की संप्रभुता और अखंडता के लिए हानिकारक गतिविधियों में लगे हुए हैं’, अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए सशस्त्र साधनों में लगे हुए हैं, मणिपुर में नागरिकों, पुलिस और सुरक्षा बलों पर हमला और उनकी हत्या कर रहे हैं.
इसमें आगे कहा गया है कि धन इकट्ठा करने के लिए नागरिकों को डराना और जबरन वसूली करना, पड़ोसी देशों में शिविर बनाना और जनता की राय को प्रभावित करने और हथियार तथा प्रशिक्षण देने के लिए उनकी सहायता सुनिश्चित करने के लिए ‘विदेश में स्रोतों के साथ संपर्क बनाना’, इन समूहों का काम है.
अधिसूचना में कहा गया है कि केंद्र सरकार की राय है कि ‘तत्काल अंकुश और नियंत्रण’ नहीं किया गया तो वे इन गतिविधियों को जारी रखेंगे.
उनके प्रतिबंध के लिए 2018 की अधिसूचना में निर्दिष्ट किया गया था कि ये समूह पिछले पांच वर्षों में 756 हिंसक घटनाओं में शामिल थे और उस अवधि में सुरक्षा बलों के 35 कर्मचारियों सहित 86 लोगों की हत्या के लिए जिम्मेदार थे.
हालांकि सोमवार की अधिसूचना में इस तरह की गणना नहीं की गई है, लेकिन मणिपुर में चल रहे जातीय संघर्ष के साथ इन समूहों के कैडरों की बढ़ती गतिविधि चिंता का विषय रही है, खासकर जब से ये समूह पिछले कुछ वर्षों में कमजोर और कम हो गए थे.