द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
देशभर के भारतीय प्रबंधन संस्थानों (आईआईएम) की स्वायत्तता को काफी हद तक कमजोर करने वाले एक कदम में केंद्र सरकार अब संस्थानों के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स और निदेशकों की नियुक्ति को नियंत्रित करेगी. रिपोर्ट के मुताबिक, दस नवंबर को सरकार द्वारा अधिसूचित नए नियमों के अनुसार, भारत की राष्ट्रपति हर आईआईएम की विजिटर होंगी, जिनके जरिये बोर्ड के अध्यक्ष और संस्थानों के निदेशक की नियुक्ति में सरकार का अंतिम अधिकार होगा. 2017 आईआईएम अधिनियम को संशोधित करने वाले आईआईएम (संशोधन) विधेयक 2023 को 4 अगस्त को लोकसभा द्वारा मंजूरी दी गई थी. नए नियमों के तहत, सरकार ने आईआईएम निदेशकों के लिए पात्रता मानदंड भी बदले हैं, जो किसी उम्मीदवार की पात्रता के लिए स्नातक और स्नातकोत्तर दोनों में प्रथम श्रेणी की डिग्री के साथ-साथ किसी प्रतिष्ठित संस्थान से पीएचडी या समकक्ष योग्यता अनिवार्य बनाते हैं. नए नियमों के तहत, राष्ट्रपति के पास अब निदेशकों को नियुक्त करने और हटाने और यदि जरूरत पड़े, तो बोर्ड को भंग करने की शक्तियां होंगी.
अडानी समूह की अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (एजीईएल) के एक प्रमुख सलाहकार के पर्यावरण मंत्रालय की एक विशेषज्ञ समिति में होने को लेकर होती के टकराव के सवाल उठ रहे हैं. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, 27 सितंबर को अडानी समूह के जनार्दन चौधरी को केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा पुनर्गठित विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति (ईएसी) सात गैर-संस्थागत सदस्यों में से एक के रूप में नामित किया गया था. यह समिति विकास परियोजनाओं की पर्यावरण मंजूरी पर सरकार को सलाह देती है. अब तक ईएसी ने जलविद्युत और नदी घाटी परियोजनाओं से संबंधित प्रस्तावों की जांच की है. अखबार ने बताया कि एजीईएल के जलविद्युत परियोजना प्रस्ताव भी ईएसी में मंजूरी के लिए आए, जिससे संभावित हितों के टकराव का मुद्दा उठता है. अख़बार के मुताबिक, इस पुनर्गठित ईएसी (पनबिजली) की पहली बैठक 17-18 अक्टूबर को हुई थी. रिकॉर्ड्स का हवाला देते हुए इंडियन एक्सप्रेस ने कहा कि चौधरी ने 17 अक्टूबर की बैठक में भाग लिया था. इस बैठक में महाराष्ट्र के सतारा में एजीईएल की 1500 मेगावाट की ताराली पंपिंग स्टोरेज परियोजना पर विचार किया गया था. बताया गया है कि बैठक के अंत में ईएसी ने एजीईएल के पक्ष में सिफारिश की. इस बारे में चौधरी ने अख़बार से कहा है कि जब ईएसी ने एईजीएल परियोजना पर विचार किया तो वे उस चर्च में शामिल नहीं थे. यह बताने पर कि बैठक के मिनट्स में ऐसा नहीं नज़र आता, तो उन्होंने कहा, ‘हम मिनट्स में संशोधन करेंगे.’
जम्मू-कश्मीर के शोपियां ज़िले के अमशीपोरा में 18 जुलाई 2020 को सेना ने एक फ़र्ज़ी एनकाउंटर के दौरान राजौरी जिले के तीन युवकों को आतंकवादी बताते हुए मार दिया था. मृतकों के परिवारों ने दावा किया था कि तीनों का कोई आतंकी कनेक्शन नहीं था और वे शोपियां में मज़दूर के रूप में काम करने गए थे. अब दिल्ली में सशस्त्र बल न्यायाधिकरण ने हत्या के दोषी पाए गए सेना के एक कैप्टन भूपेंद्र सिंह की उम्रकैद की सजा निलंबित कर दी है. उन्हें सशर्त जमानत मिली है. हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, पीड़ितों के परिजनों ने कहा कि उन्हें इंसाफ नहीं मिला और कैप्टन भूपेंद्र सिंह को मिली जमानत ने उनके बच्चों की ‘निर्मम हत्या’ के जख्म को फिर से हरा कर दिया है.
संसद की एक समिति ने कहा है कि आर्थिक अपराधियों के लिए हथकड़ी का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए. एनडीटीवी के अनुसार, भाजपा सांसद बृजलाल की अध्यक्षता वाली गृह मामलों की संसदीय स्थायी समिति ने गिरफ्तारी से पहले 15 दिनों के बाद किसी आरोपी की पुलिस हिरासत के मुद्दे पर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) में बदलाव की भी अनुशंसा की है. समिति का कहना है कि उसके अनुसार हथकड़ी का उपयोग, जैसा कि बीएनएसएस के खंड 43(3) में उल्लिखित है, गंभीर अपराधों के आरोपी व्यक्तियों के भागने को रोकने और गिरफ्तारी के दौरान पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए चुनिंदा जघन्य अपराधों तक उचित रूप से सीमित है. इसलिए आर्थिक अपराध को इस श्रेणी में शामिल नहीं किया जाना चाहिए.
मणिपुर में छह महीने से जारी जातीय संघर्ष के बीच केंद्र सरकार ने सात मेईतेई ‘चरमपंथी’ संगठनों और उनके सहयोगियों पर 5 साल का प्रतिबंध बढ़ा दिया है. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा इन संगठनों और उनके सहयोगियों पर यूएपीए के तहत प्रतिबंध बढ़ाने वाली अधिसूचना में कहा गया है कि इनका कथित उद्देश्य सशस्त्र संघर्ष के माध्यम से मणिपुर को भारत से अलग करना और इस तरह के अलगाव के लिए मणिपुर के स्थानीय लोगों को उकसाना है. इन समूहों में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी और इसकी राजनीतिक शाखा रिवोल्यूशनरी पीपुल्स फ्रंट; यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट और इसकी सशस्त्र शाखा मणिपुर पीपुल्स आर्मी; द पीपुल्स रिवोल्यूशनरी आर्मी ऑफ कंगलेइपक और उसकी सशस्त्र शाखा ‘रेड आर्मी’; कंगलेइपक कम्युनिस्ट पार्टी और उसकी सशस्त्र शाखा, इसे भी ‘लाल सेना’ कहा जाता है; कंगलेई याओल कनबा लुप; द कोऑर्डिनेशन कमेटी और एलायंस फॉर सोशलिस्ट यूनिटी कंगलेइपक शामिल हैं.
म्यांमार की सेना और लोकतंत्र समर्थकों के बीच कई दिनों से चल रही भीषण लड़ाई के कारण वहां से हज़ारों शरणार्थियों ने सीमा पार से मिजोरम का रुख किया है. विभिन्न ख़बरों के अनुसार, म्यांमार के चिन राज्य के सीमावर्ती क्षेत्रों से मिजोरम पहुंचने वाले लोगों की संख्या लगभग 1,400 है. म्यांमार के पत्रकारों द्वारा चलाई जाने वाली वेबसाइट द इरावदी ने बताया है कि तातमादॉ और चिन नेशनल आर्मी (सीएनए) के बीच कई दिनों की लड़ाई के बाद फलम टाउनशिप में जुंटा का बेस रेह खॉ दा लोकतंत्र समर्थक ताकतों के हाथ में आ गया. फलम, जो मिज़ोरम की सीमा पर है, चिन राज्य और भारतीय पक्ष के बीच सीमा व्यापार का केंद्र है. ज़मीनी और हवाई हमलों वाले इस भीषण संघर्ष के कारण सैकड़ों लोग सुरक्षा के लिए घर छोड़कर भाग रहे हैं. 12 नवंबर को मिजोरम के चंपई जिले के सीमावर्ती शहर ज़ोखावथर में शरणार्थियों के ढेरों समूह पहुंचे हैं. द हिंदू ने बताया है कि भारतीय सीमा में प्रवेश करने के तुरंत बाद छर्रे लगने से एक म्यांमारी नागरिक की जान गई है, वहीं मिजोरम पोस्ट के अनुसार, 17 अन्य लोग भी घायल हुए हैं. द हिंदू ने म्यांमार शरणार्थियों पर जिला स्तरीय समिति के संपर्क अधिकारी एल. ह्रुआइमाविया के हवाले से कहा कि शरणार्थियों की वर्तमान संख्या ‘लगभग 1400’ है. संपर्क अधिकारी ने कहा, ‘कुल मिलाकर, 5,604 शरणार्थियों ने जिला मुख्यालय, चंपई से लगभग 42 किलोमीटर दूर स्थित ज़ोखावथर में शरण ली है.’