राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने बीबीसी और इसके दक्षिण एशिया संवाददाता जस्टिन रॉलेट पर देश के किसी भी बाघ अभयारण्य में घुसने पर पांच साल का प्रतिबंध लगा दिया है.
ऐसा जस्टिन की एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म ‘वन वर्ल्ड: किलिंग फॉर कंजर्वेशन’ की वजह से हुआ. दरअसल इस फिल्म में असम के काजिरंगा नेशनल पार्क में गैंडों को शिकारियों से बचाने के लिए उठाए जा रहे कदमों को लेकर सवाल उठाए गए थे. आरोप है कि इस डॉक्यूमेंट्री में जस्टिन ने बताया है कि काजिरंगा में तैनात सुरक्षाकर्मियों के पास शिकारियों के ख़िलाफ़ कथित तौर पर ‘शूट ऐट साइट’ का अधिकार मिला हुआ है. इस पर एनटीसीए और पर्यावरण मंत्रालय ने आपत्ति जताई है.
इस डॉक्यूमेंट्री में बताया गया है कि कैसे काजिरंगा नेशनल पार्क में जानवरों के संरक्षण के नाम पर लोगों को मार दिया जाता है. डॉक्यूमेंट्री में रॉलेट ने दावा किया है कि इस अधिकार की वजह से गैंडों से ज्यादा इंसानों का मार दिया गया है. उनका दावा है कि पिछले एक साल में 17 गैंडों के बदले 23 लोगों को मार दिया गया.
बीते 15 फरवरी को आई द हफिंग्टन पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार, बीबीसी ने यह डॉक्यूमेंट्री 11 फरवरी को रिलीज की थी. इस बारे में बीबीसी ने 10 फरवरी को एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी.
एनटीसीए ने पर्यावरण मंत्रालय को रॉलेट का वीसा रिन्यूअल न करने की सिफारिश की है. एनटीसीए के अधिकारियों का कहना है कि बीबीसी ने गुमराह करके अभयारण्य में फिल्म शूट करने की अनुमति ली थी.
स्क्रॉल डॉट कॉम के अनुसार, बिना अनुमति डॉक्यूमेंट्री का प्रसारण करने के लिए एनटीसीए ने बीबीसी को 14 फरवरी को नोटिस जारी किया था. नोटिस में एनटीसीए ने बीबीसी से सभी आॅनलाइन प्लेटफॉर्म से फिल्म हटाने के लिए कहा था और आगे से संस्थान को किसी भी तरह की अनुमति न देने की चेतावनी दी थी.
जस्टिन रॉलेट राजधानी नई दिल्ली में अपनी पत्नी और चार बच्चों के साथ रहते हैं.
एनटीसीए के अधिकारियों ने बीबीसी पर धोखा देने का आरोप लगाते हुए कहा कि बीबीसी से साफ़ तौर पर यह बात हुई थी कि फिल्म को पहले पर्यावरण मंत्रालय देखेगा, लेकिन मंत्रालय को बिना दिखाए ही यह फिल्म रिलीज़ कर दी गई.
एनटीसीए ने बीबीसी पर यह भी आरोप लगाया कि बीबीसी सरकार से सहयोग नहीं कर रही है. बीबीसी ने भारत द्वारा जानवरों के संरक्षण के प्रयासों का दुष्प्रचार किया है. आयोग ने मंत्रालय से रॉलेट पर 5 साल का प्रतिबंध लगाने की भी मांग की है.
बता दें कि यह पहली दफा नहीं है जब बीबीसी किसी डॉक्यूमेंट्री की वजह से विवाद में आया है. चार मार्च, 2015 को दिल्ली निर्भया कांड पर आधारित ‘इंडियाज़ डॉटर’ नाम की डॉक्यूमेंट्री फिल्म यू-ट्यूब पर रिलीज़ कर दी थी.
फिल्म में इस मामले के नाबालिग आरोपी मुकेश सिंह का इंटरव्यू था, जिस पर सरकार ने आपत्ति जताते हुए भारत में फिल्म की रिलीज़ पर प्रतिबंध लगा दिया था.