अमेरिकी पत्रकारों ने इज़रायल द्वारा गाज़ा में पत्रकारों की हत्या की निंदा की

दुनियाभर के 1,265 मीडियाकर्मियों द्वारा हस्ताक्षरित बयान में पश्चिम के न्यूज़रूम्स से अपील की गई है कि वे ऐसी अमानवीय बयानबाज़ी से बचें, जो फ़िलिस्तीनियों के नस्लीय सफाए (एथनिक क्लींज़िंग) को उचित ठहराती है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर. (फोटो साभार: Magne Hagesæter/Flickr (CC BY-NC-ND 2.0 DEED)

दुनियाभर के 1,265 मीडियाकर्मियों द्वारा हस्ताक्षरित बयान में पश्चिम के न्यूज़रूम्स से अपील की गई है कि वे ऐसी अमानवीय बयानबाज़ी से बचें, जो फ़िलिस्तीनियों के नस्लीय सफाए (एथनिक क्लींज़िंग) को उचित ठहराती है.

(फोटो साभार: Magne Hagesæter/Flickr (CC BY-NC-ND 2.0 DEED)

नई दिल्ली: अमेरिका के पत्रकारों ने ‘इजरायल द्वारा गाजा में पत्रकारों की हत्या’ के खिलाफ एक निंदात्मक बयान जारी किया है और पश्चिमी देशों के मीडिया संस्थानों (न्यूज रूम) से फिलिस्तीनियों के खिलाफ इजरायल के अत्याचारों को कवर करने में ‘ईमानदारी’ बरतने की अपील की है.

कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (सीपीजे) के अनुसार, गाजा में इजरायल के चल रहे युद्ध में मारे गए 11,000 फिलिस्तीनियों में 36 पत्रकार शामिल हैं. मौतों के अलावा, कई पत्रकार घायल हुए हैं, हिरासत में लिए गए हैं, लापता हो गए हैं, या अपने परिवार के सदस्यों को मरते हुए देखा है. सीपीजे ने इसे 1992 के बाद से ‘पत्रकारों के लिए सबसे घातक संघर्ष’ के रूप में वर्णित किया है जब उसने पहली बार ऐसी मौतों पर नज़र रखना शुरू किया था.

निंदा करने वाले बयान, जो पहली बार 6 नवंबर को सामने आया था, पर दुनियाभर के न्यूज़ रूम में 1,265 पत्रकारों, संपादकों, फ़ोटोग्राफ़रों, प्रोड्यूसर्स और अन्य एक्टिविस्ट ने हस्ताक्षर किए थे.

बयान में कहा गया है, ‘हम गाजा में पत्रकारों के खिलाफ हिंसा को समाप्त करने का आग्रह करने और पश्चिमी मीडिया संगठनों के नेताओं से फिलिस्तीनियों के खिलाफ इजरायल के बार-बार होने वाले अत्याचारों के कवरेज पर स्पष्ट नजर रखने के लिए लिख रहे हैं.’

इसने पश्चिमी मीडिया में इज़रायल और फिलिस्तीन के बीच चल रहे युद्ध और लंबे समय से चल रहे संघर्ष की पक्षपातपूर्ण कवरेज की भी निंदा की है. इसमें कहा गया है, ‘हम पश्चिमी न्यूज़रूम को अमानवीय बयानबाजी के लिए भी जिम्मेदार मानते हैं जिसने फिलिस्तीनियों के नस्लीय सफाए को उचित ठहराया है. मेरिकी प्रकाशनों में दोहरे मानदंड, अशुद्धियां और भ्रांतियां प्रचुर मात्रा में हैं और इन्हें अच्छी तरह से प्रलेखित किया गया है.’

बयान में कहा गया है, ‘गाजा पट्टी में फंसे पत्रकार व्यापक बिजली कटौती, भोजन और पानी की कमी और चिकित्सा प्रणाली की खराबी से जूझ रहे हैं. वे प्रेस के रूप में अपना काम करते समय और रात में अपने घरों में मारे गए हैं. रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स की जांच से यह भी पता चलता है कि दक्षिण लेबनान में 13 अक्टूबर को दो इजरायली हमलों के दौरान पत्रकारों को जानबूझकर निशाना बनाया गया, जिसमें रॉयटर्स के वीडियोग्राफर इस्साम अब्दुल्लाह की मौत हो गई और छह अन्य पत्रकार घायल हो गए.’

बयान में पत्रकारों के परिवारों पर हुए हमलों के भी उदाहरण दिए गए हैं.

बयान में कहा गया है, ‘इज़रायल ने विदेशी प्रेस के प्रवेश को अवरुद्ध कर दिया है, दूरसंचार पर भारी प्रतिबंध लगा दिया है और प्रेस कार्यालयों पर बमबारी की है. पिछले महीने गाजा में करीब 50 मीडिया मुख्यालयों पर हमला किया गया है. इज़रायली बलों ने न्यूज़रूम को स्पष्ट रूप से चेतावनी दी है कि वे हवाई हमलों से उनके कर्मचारियों की सुरक्षा की गांरटी नहीं दे सकते हैं.’

बयान में कहा गया है कि इज़रायल की कार्रवाइयां व्यापक पैमाने पर अभिव्यक्ति के दमन को दर्शाती हैं.

बयान में फिलीस्तीनी पत्रकार सिंडिकेट द्वारा पश्चिमी पत्रकारों से किए गए उस आग्रह का भी जिक्र किया है जिसमें उन्होंने उनसे पत्रकारों को निशाना बनाए जाने की निंदा करने का आग्रह किया है.

बयान में कहा गया है, ‘हम गाजा में अपने सहयोगियों के साथ खड़े हैं और नरसंहार एवं विनाश के बीच रिपोर्टिंग करने में उनके साहसी प्रयासों की सराहना करते हैं. उनके बिना ज़मीन पर हुई कई भयावह घटनाएं सामने नहीं आ पातीं.’

पत्र में कहा गया है, ‘हम पत्रकारों और अन्य नागरिकों के खिलाफ हिंसा को समाप्त करने के लिए इज़रायल से स्पष्ट प्रतिबद्धता की मांग करने में रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स, अरब एवं मध्य पूर्वी पत्रकार संघ और इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स समेत प्रेस संघों के साथ एकजुटता दिखाते हैं. पश्चिमी न्यूज़रूम्स को गाजा के पत्रकारों के काम से काफी लाभ हुआ है और उन्हें उनकी सुरक्षा के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए.’

बयान में अमेरिकी मीडिया द्वारा फिलिस्तीनियों पर इजरायल के उत्पीड़न को नजरअंदाज करने की बात कही गई है. इसमें कहा गया है, ‘2021 में 500 से अधिक पत्रकारों ने एक खुले पत्र पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें इस चिंता का भी जिक्र था कि अमेरिकी मीडिया संस्थान फिलिस्तीनियों पर इजरायल के उत्पीड़न को नजरअंदाज करते हैं. फिर भी निष्पक्ष कवरेज का आह्वान अनुत्तरित रहा है.’

बयान में आगे कहा गया है, ‘इसके बजाय अमेरिकी न्यूजरूम ने फिलिस्तीनी, अरब और मुस्लिम दृष्टिकोण को कमजोर कर दिया है, उन्हें अविश्वसनीय कहकर खारिज कर दिया है और भड़काऊ भाषा का इस्तेमाल किया है जो इस्लामोफोबिक और नस्लवादी भावनाओं को मजबूत करता है. उन्होंने इज़रायली अधिकारियों द्वारा फैलाई गई गलत सूचना छापी है और गाजा में अमेरिकी सरकार के समर्थन से नागरिकों की अंधाधुंध हत्या की जांच करने में विफल रहे हैं.’

(पूरे पत्र को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)