पश्चिम बंगाल के मालदा ज़िले में एक बीमार महिला को चारपाई पर लिटाकर उनके परिजन अस्पताल ले जा रहे थे, जब उन्होंने दम तोड़ दिया. उनके पति ने बताया कि उन्होंने एंबुलेंस सेवा प्रदाताओं के अलावा अन्य वाहन संचालकों से पत्नी को अस्पताल पहुंचाने का अनुरोध किया था, लेकिन सड़कों की खराब स्थिति के कारण कोई भी आने को तैयार नहीं हुआ.
पश्चिम बंगाल: पश्चिम बंगाल के मालदा जिले में एक बीमार महिला को खराब सड़क के कारण एंबुलेंस एवं अन्य स्थानीय वाहनों ने अस्पताल ले जाने से कथित रूप से इनकार कर दिया, जिसके बाद उनके परिजन उन्हें चारपाई पर लिटाकर अस्पताल ले जाने का मजबूर हुए, लेकिन रास्ते में ही उन्होंने दम तोड़ दिया.
चारपाई पर लेटी हुई महिला को दो लोगों द्वारा कीचड़ भरे रास्ते पर ले जाने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मृतक के परिजनों ने कहा कि एम्बुलेंस सेवा प्रदाताओं से अनुरोध करने के बावजूद सड़कों की खराब स्थिति के कारण उनमें से कोई भी गांव आने को तैयार नहीं हुआ.
यह घटना शुक्रवार (17 नवंबर) को मालदा जिले के बामनगोला ब्लॉक के मालडांगा गांव में हुई. स्थानीय सरकारी अस्पताल और गांव के बीच की दूरी 10 किमी है, जिसमें से पांच किमी कच्ची सड़क है.
जिला मजिस्ट्रेट नितिन सिंघानिया ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘मुझे घटना की जानकारी है. यह बहुत ही दुखद घटना है. जो भी करने की जरूरत है वह तत्काल किया जाएगा.’
मृतक 24 वर्षीय ममोनी रॉय के परिवार के सदस्यों ने कहा कि उन्हें बुधवार (15 नवंबर) से बुखार था. जैसे ही उनकी हालत बिगड़ी, उनके पति कार्तिक रॉय ने उन्हें नजदीकी सरकारी ग्रामीण अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस की व्यवस्था करने की कोशिश की.
कार्तिक ने कहा, ‘मैंने सभी को फोन किया. मैंने एक निजी एंबुलेंस, कार और यहां तक कि टोटो (ई-रिक्शा) को भी फोन किया. जब उन्होंने सुना कि मैं मालदंगा गांव से हूं, तो उन्होंने यह कहते हुए मना कर दिया कि हमारी सड़क खराब है. मुझे अपनी पत्नी को चारपाई पर ले जाने के लिए मजबूर होना पड़ा. जब हम अस्पताल पहुंचे तो वह मर चुकी थी. अगर गांव में सड़क ठीक होती तो मेरी पत्नी जीवित होती.’
बंगाल भाजपा इकाई के सह-प्रभारी अमित मालवीय ने सोशल साइट एक्स पर पोस्ट किया, ‘ममोनी रॉय बुखार से पीड़ित थीं (पिछले कुछ दिनों में पश्चिम बंगाल में कई लोगों की डेंगू से मौत हो चुकी है), खाट पर लादकर नजदीकी अस्पताल (5 किमी दूर) ले जाते समय रास्ते में उनकी मौत हो गई. बामनगोला, मालदा में सड़क की हालत इतनी खराब है कि एंबुलेंस या ई-रिक्शा आने से मना कर देते हैं.’
उन्होंने आगे कहा, ‘यह उतना भयावह नहीं है, यह जानने के लिए कि स्थिति कितनी बुरी है, किसी को केवल मालदा सरकारी अस्पताल देखना होगा. ममता बनर्जी को भगवा पार्टी की चिंता छोड़नी चाहिए और पश्चिम बंगाल के लोगों को बुनियादी सेवाएं प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. उनसे यह अपेक्षा करना कि वे उन्हें गरिमा और सम्मान प्रदान करेंगी, दूर की कौड़ी है.’
भाजपा के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए मालदा जिला तृणमूल कांग्रेस के उपाध्यक्ष सुभोमोय बसु ने कहा, ‘पिछले दो वर्षों से केंद्र सरकार ने सभी फंड रोक दिए हैं और गांवों में लोग पीड़ित हैं. ममता बनर्जी अपनी पहल ‘पथश्री’ के जरिये सड़कें बनाने की कोशिश कर रही हैं. भाजपा मृतकों पर राजनीति कर रही है. जो कुछ भी हुआ वह दुखद है और मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि हमारी पार्टी पीड़ित परिवार के साथ है. हम यह सुनिश्चित करने के लिए भी कदम उठाएंगे कि गांव में उचित सड़क बने. हम यह भी पता लगाएंगे कि इस गांव को पथश्री परियोजना में क्यों शामिल नहीं किया गया.’
स्थानीय भाजपा नेता बीना कीर्तनिया ने कहा, ‘ग्रामीणों ने पहले सड़क के लिए आंदोलन किया था. अधिकारियों ने वादा तो किया लेकिन कुछ नहीं किया. मृतक महिला का दो साल का बच्चा है. वे अब क्या करेंगे?’
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, इस बीच, बंगाल के पुस्तकालय मंत्री सिद्दीकुल्ला चौधरी ने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया कि मालदा की महिला का मरना तय था.
चौधरी ने कहा, ‘महिला की मौत सड़क की वजह से नहीं, बल्कि उसकी किस्मत की वजह से हुई. अगर परिवार ने समय रहते हमें सूचित किया होता, तो हम उनकी समस्या का समाधान कर देते.’
चौधरी के बयान की आलोचना करते हुए राज्य भाजपा प्रवक्ता शमिक भट्टाचार्य ने कहा, ‘मध्यकालीन बर्बरता चल रही है. ऐसे संवेदनहीन लोग हैं मंत्री. समय आ गया है, जब एसएसकेएम सहित राज्य के सभी अस्पतालों में तांत्रिक और ओझा बैठेंगे. यदि आप विपक्ष के प्रतिनिधि हैं तो पंचायत, नगरपालिका वार्ड या विधानसभा स्तर पर काम करने का कोई अवसर नहीं है. धनराशि आवंटित नहीं की गई है. नतीजा यह हुआ कि सड़क की हालत खराब हो गई.’
सीपीआई (एम) नेता सुजन चक्रवर्ती ने कहा, ‘मुख्यमंत्री अब उनके (पुस्तकालय मंत्री) बयान को पकड़ लेंगी. अब वे कहेंगी, किस्मत के कारण हजारों नौकरी चाहने वाले सड़क पर बैठे हैं, नौकरी घोटालों के कारण नहीं. वे कहेंगी, पार्थ चटर्जी और ज्योतिप्रिय मलिक भाग्य के कारण जेल में हैं, भ्रष्टाचार में लिप्त होने के कारण नहीं. हमें उन्हें मंत्री कहने में शर्म आती है.’