यह क़दम एक कंपनी और कुछ अन्य संगठनों के ख़िलाफ़ ‘जाली’ हलाल सर्टिफिकेट देकर बिक्री बढ़ाने के लिए ‘लोगों की धार्मिक भावनाओं का शोषण’ करने के आरोप में एफ़आईआर दर्ज होने के बाद उठाया गया है. सरकार की ओर से कहा गया है कि हलाल-प्रमाणित उत्पादों की ख़रीद-बिक्री में लगे व्यक्ति/फर्म के ख़िलाफ़ सख़्त क़ानूनी उपाय लागू किए जाएंगे.
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश सरकार ने हलाल सर्टिफिकेट के साथ बेचे जाने वाले उत्पादों पर प्रतिबंध लगा दिया है. सरकार ने कहा कि हलाल प्रमाणीकरण वाले खाद्य उत्पादों के उत्पादन, भंडारण, वितरण और बिक्री पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई है. हालांकि, निर्यात के लिए निर्मित उत्पाद प्रतिबंधों के अधीन नहीं होंगे.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, एक आधिकारिक आदेश में कहा गया, ‘उत्तर प्रदेश के भीतर हलाल-प्रमाणित दवाओं, चिकित्सा उपकरणों और सौंदर्य प्रसाधनों के उत्पादन, भंडारण, वितरण, खरीद और बिक्री में लगे किसी भी व्यक्ति या फर्म के खिलाफ सख्त कानूनी उपाय लागू किए जाएंगे.’
आदेश में कहा गया है कि खाद्य उत्पादों का हलाल प्रमाणीकरण एक समानांतर प्रणाली है, जो खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता के बारे में भ्रम पैदा करती है और यह खाद्य कानून-खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम की धारा 89 के तहत स्वीकार्य नहीं है.
इसमें कहा गया है, ‘खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता तय करने का अधिकार केवल उक्त अधिनियम की धारा 29 में दिए गए अधिकारियों और संस्थानों के पास है, जो अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार प्रासंगिक मानकों की जांच करते हैं.’
इसमें कहा गया है कि कुछ दवाओं, चिकित्सा उपकरणों और कॉस्मेटिक उत्पादों में उनकी पैकेजिंग या लेबलिंग पर हलाल सर्टिफिकेट शामिल होने की सूचना है, जबकि दवाओं, चिकित्सा उपकरणों और सौंदर्य प्रसाधनों से संबंधित सरकारी नियमों में लेबल पर हलाल प्रमाणीकरण को चिह्नित करने का कोई प्रावधान नहीं है, न ही ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 और उससे जुड़े नियमों में हलाल सर्टिफिकेशन का कोई जिक्र है.
यह कदम एक कंपनी और कुछ अन्य संगठनों के खिलाफ ‘जाली’ हलाल सर्टिफिकेट प्रदान करके बिक्री बढ़ाने के लिए ‘लोगों की धार्मिक भावनाओं का शोषण’ करने के आरोप में पुलिस मामला दर्ज होने के बाद उठाया गया है.
यूपी सरकार ने एक बयान में कहा गया है कि हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड चेन्नई, जमीयत उलमा-ए-हिंद हलाल ट्रस्ट दिल्ली, हलाल काउंसिल ऑफ इंडिया मुंबई, जमीयत उलमा महाराष्ट्र और अन्य जैसी संस्थाओं के खिलाफ कथित तौर पर हलाल सर्टिफिकेट प्रदान करके बिक्री बढ़ाने के लिए धार्मिक भावनाओं का शोषण करने के लिए मामला दर्ज किया गया है.
यूपी सरकार ने कहा कि शिकायतकर्ता ने बड़े पैमाने पर साजिश पर चिंता जताई है, जिसमें कथित तौर पर हलाल सर्टिफिकेट के अभाव वाली कंपनियों के उत्पादों की बिक्री कम करने के प्रयासों का संकेत दिया गया है, जो अवैध है.
बयान में कहा गया है कि इन कंपनियों ने कथित तौर पर वित्तीय लाभ के लिए विभिन्न कंपनियों को जाली हलाल सर्टिफिकेट जारी किए, जिससे न केवल सामाजिक शत्रुता को बढ़ावा मिला, बल्कि सार्वजनिक विश्वास का भी उल्लंघन हुआ.
जमीयत उलमा-ए-हिंद हलाल ट्रस्ट ने एक बयान में आरोपों को ‘निराधार’ बताया और कहा कि वह इस तरह की गलत सूचना का मुकाबला करने के लिए आवश्यक कानूनी उपाय करेगा.
खाद्य आयुक्त कार्यालय ने कहा कि डेयरी उत्पाद, चीनी बेकरी उत्पाद, पेपरमिंट ऑयल, नमकीन रेडी-टू-ईट सेवई और खाद्य तेल जैसे कुछ खाद्य उत्पादों के लेबल पर हलाल सर्टिफिकेट का उल्लेख किया गया है.