हरियाणा: स्कूल की 142 नाबालिग छात्राओं ने प्रिंसिपल पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया

हरियाणा के जींद स्थित एक सरकारी स्कूल का मामला. बीते 13 सितंबर को हरियाणा महिला आयोग ने इस मामले में कार्रवाई के लिए जींद पुलिस से कहा था. हालांकि आरोप है कि पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने में देरी की. इस बीच आरोपी प्रिंसिपल को बीते 4 नवंबर को गिरफ़्तार करने के बाद न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: Pixabay)

हरियाणा के जींद स्थित एक सरकारी स्कूल का मामला. बीते 13 सितंबर को हरियाणा महिला आयोग ने इस मामले में कार्रवाई के लिए जींद पुलिस से कहा था. हालांकि आरोप है कि पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने में देरी की. इस बीच आरोपी प्रिंसिपल को बीते 4 नवंबर को गिरफ़्तार करने के बाद न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: Pixabay)

नई दिल्ली: हरियाणा के जींद में एक सरकारी स्कूल में पढ़ने वाली 142 नाबालिग छात्राओं ने अपने प्रिंसिपल पर छह साल की अवधि में उनका यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया है.

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, बुधवार (22 नवंबर) को समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए जींद जिले के डिप्टी कमिश्नर मोहम्मद इमरान रजा ने कहा, ‘एसडीएम के नेतृत्व में एक जांच समिति ने कुल 390 छात्राओं के बयान दर्ज किए हैं और हमने 142 मामलों की शिकायतें आगे बढ़ा दी हैं. लड़कियों के साथ यौन उत्पीड़न की शिकायत आगे की कार्रवाई के लिए शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों को सौंपी गई है. इन 142 लड़कियों में से अधिकांश ने प्रिंसिपल पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया, जबकि बाकी ने कहा कि वे भयानक कृत्यों की गवाह थीं. आरोपी प्रिंसिपल फिलहाल जेल में हैं.’

गौरतलब है कि इससे पहले करीब 15 लड़कियों ने प्रिंसिपल द्वारा कथित यौन उत्पीड़न को लेकर 31 अगस्त को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, राष्ट्रीय महिला आयोग और राज्य महिला आयोग सहित अन्य को पत्र लिखा था.

बीते 13 सितंबर को हरियाणा महिला आयोग ने पत्र पर संज्ञान लिया और कार्रवाई के लिए इसे जींद पुलिस को भेज दिया. हालांकि आरोप था कि पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने में देरी की.

इस बीच आरोपी को 4 नवंबर को गिरफ्तार किया गया और 7 नवंबर को अदालत में पेश कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.

अधिकारियों ने बताया कि राज्य महिला आयोग ने पहले कहा था कि सरकारी स्कूल की 60 लड़कियां प्रिंसिपल के खिलाफ अपना बयान दर्ज कराने के लिए आगे आई हैं. हालांकि, अब यह संख्या बढ़कर 142 हो गई है.

एक कानूनी विशेषज्ञ ने कहा कि मामले पर पुलिस और शिक्षा विभाग के अधिकारियों सहित जिला अधिकारियों ने तुरंत कार्रवाई नहीं की. उन्होंने कहा कि पॉक्सो अधिनियम, विशेष रूप से उप-धारा 19, 20 और 21, यह निर्धारित करते हैं कि अगर किसी नाबालिग लड़की के खिलाफ यौन उत्पीड़न की सूचना मिलती है तो जल्द से जल्द एक एफआईआर दर्ज करनी चाहिए.

कार्यकर्ताओं ने यह भी सवाल उठाया कि आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने में पुलिस को डेढ़ महीने क्यों लग गए.

डिप्टी कमिश्नर ने एएनआई को बताया, ‘एसडीएम रैंक के तीन (जिला) अधिकारियों की एक टीम द्वारा की गई जांच के दौरान प्रिंसिपल को प्रथमदृष्टया दोषी पाया गया. अब आरोपी के खिलाफ बर्खास्तगी और नौकरी के साथ मिलने वाले भत्ते से इनकार करने के लिए आरोप-पत्र तैयार किया जाएगा.’

डिप्टी कमिश्नर ने कहा कि गिरफ्तार प्रिंसिपल के खिलाफ आगे की कार्रवाई पर फैसला आरोप-पत्र दाखिल होने के बाद लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि मामले की आगे की जांच के लिए अतिरिक्त डिप्टी कमिश्नर (एडीसी) हरीश वशिष्ठ को नियुक्त किया गया है.

प्रिंसिपल के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए 16 नवंबर को अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) दीप्ति गर्ग के नेतृत्व में छह सदस्यों की एक विशेष जांच टीम (एसआईटी) का गठन किया गया था.

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) श्रीकांत जाधव ने जांच टीम को 10 दिनों के भीतर रिपोर्ट दाखिल करने और उन नाबालिग लड़कियों के लिए काउंसलिंग की व्यवस्था करने का निर्देश दिया, जो कथित तौर पर प्रिंसिपल द्वारा यौन उत्पीड़न की शिकार बनी थीं.