इलाहाबाद हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर ने अपने विदाई भाषण में आरोप लगाया कि अक्टूबर 2018 में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट से मेरा तबादला इलाहाबाद हाईकोर्ट में किया गया था. तब सीजेआई दीपक मिश्रा कॉलेजियम के अध्यक्ष थे. मुझे लगता है कि मेरा तबादला मुझे परेशान करने के लिए किया गया था.
नई दिल्ली: इलाहाबाद हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर ने अपने विदाई भाषण में आरोप लगाया है कि 2018 में जब कॉलेजियम की अध्यक्षता भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) दीपक मिश्रा कर रहे थे, तब छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट से उनका तबादला उन्हें परेशान करने के लिए किया गया था.
एनडीटीवी के मुताबिक, मंगलवार (21 नवंबर) को अपनी सेवानिवृत्ति के अवसर पर हाईकोर्ट की एक औपचारिक पीठ में बैठे दिवाकर ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि उनका तबादला आदेश गलत इरादे से जारी किया गया था.
जस्टिस दिवाकर ने कहा, ‘31 मार्च 2009 को मुझे पीठ में पदोन्नत किया गया. मैंने सभी की संतुष्टि के लिए और विशेष तौर पर अपनी अंतरात्मा की संतुष्टि के लिए अक्टूबर 2018 तक छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में न्यायाधीश के रूप में अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया. फिर, चीजें तब बदलीं जब भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने कुछ कारणों से मेरे ऊपर अतिरिक्त स्नेह बरसाया, जो कारण मुझे अब तक नहीं मालूम. उन कारणों से मेरा तबादला इलाहाबाद हाईकोर्ट में हुआ, जहां मैंने 3 अक्टूबर 2018 को अपना पदभार ग्रहण किया.’
उन्होंने आगे कहा, ‘ऐसा लगता है कि मेरा तबादला आदेश मुझे परेशान करने के गलत इरादे से जारी किया गया था. हालांकि, सौभाग्य से यह अभिशाप मेरे लिए वरदान में बदल गया, क्योंकि मुझे अपने साथी जजों के साथ-साथ बार के सदस्यों से भी अथाह समर्थन और सहयोग मिला.’
इस साल की शुरुआत में भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाले वर्तमान कॉलेजियम द्वारा इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के पद के लिए जस्टिस दिवाकर के नाम की सिफारिश की गई थी.
अदालत की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, दिवाकर को 13 फरवरी 2023 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था और 26 मार्च 2023 को उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली थी.
जस्टिस दिवाकर ने कहा, ‘मैं वर्तमान मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ का बहुत आभारी हूं, जिन्होंने मेरे साथ हुए अन्याय को सुधारा.’
इस दौरान जस्टिस दिवाकर ने 1984 में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट से एक वकील के रूप में शुरू हुए अपने सफर के बारे में बात की.
1961 में जन्मे दिवाकर ने जबलपुर के दुर्गावती विश्वविद्यालय से कानून में स्नातक की उपाधि प्राप्त की थी और जनवरी 2005 में वरिष्ठ वकील बन गए थे. उन्हें 31 मार्च 2009 को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के जज के रूप में पदोन्नत किया गया था.