गुजरात के मोरबी शहर का मामला. एफ़आईआर के मुताबिक, 21 वर्षीय नीलेश दलसानिया अक्टूबर में महिला व्यवसायी की कंपनी के निर्यात विभाग में किए गए अपने 16 दिन के काम का वेतन मांगने गए थे, जब उनके साथ मारपीट और दुर्व्यवहार किया गया. आरोपियों के ख़िलाफ़ आईपीसी के अलावा एससी/एसटी एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया है.
नई दिल्ली: गुजरात के मोरबी शहर में बीते गुरुवार (23 नवंबर) को वेतन मांगने पर एक दलित युवक को कथित तौर पर उसके मुंह में जूते डालकर माफी मांगने के लिए मजबूर करने का मामला सामने आया है. युवक एक महिला व्यवसायी की कंपनी के पूर्व कर्मचारी थे. इस संबंध में महिला व्यवसायी के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, एफआईआर में कहा गया है कि 21 वर्षीय नीलेश दलसानिया, उनके बड़े भाई मेहुल और उनके पड़ोसी भावेश मकवाना गुरुवार शाम करीब 7 बजे विभूति पटेल (महिला व्यवसायी) द्वारा संचालित एक निजी कंपनी रानीबा इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड (आरआईपीएल) के कार्यालय गए थे.
एफआईआर के अनुसार, इस दौरान नीलेश ने अक्टूबर में कंपनी के निर्यात विभाग में काम किए गए 16 दिनों के अपने वेतन की मांग की. हालांकि, ओम पटेल, जिन्होंने खुद को विभूति का भाई बताया, ने नीलेश पर हमला कर दिया.
इसमें कहा गया है कि विभूति के कार्यालय में प्रबंधक परीक्षित पटेल, विभूति और चार अन्य लोगों ने भी नीलेश के साथ मारपीट की. उन्होंने कथित तौर पर उन्हें लिफ्ट में खींच लिया, वाणिज्यिक भवन की छत पर ले गए और बेल्ट से उनकी पिटाई की. साथ ही उन्हें लात और मुक्कों से भी पीटा.
एफआईआर में नीलेश के हवाले से कहा गया है, ‘विभूति पटेल ने मुझे अपनी चप्पल मुंह में लेने के लिए मजबूर किया और मुझसे माफी मांगने को कहा. उन्होंने मुझे चेतावनी दी कि अगर मैं रावपार रोड पर गया या शिकायत दर्ज करने की हिम्मत की तो मुझे मार दिया जाएगा.’
मोरबी के पुलिस उपाधीक्षक (एससी/एसटी सेल) प्रतिपालसिंह जाला ने कहा कि हमले के बाद नीलेश मोरबी में राज्य सरकार द्वारा संचालित जीएमईआरएस अस्पताल गए.
उन्होंने कहा, ‘उन्हें बुरी तरह पीटा गया. वह अस्पताल में भर्ती है. हमने एफआईआर दर्ज कर ली है और आरोपी की गिरफ्तारी के प्रयास जारी हैं.’
एफआईआर के मुताबिक, नीलेश 2 अक्टूबर को कंपनी में नौकरी शुरू की थी. उन्हें 12,000 रुपये मासिक वेतन देने का वादा किया गया था. हालांकि, 18 अक्टूबर को उन्हें बताया गया कि अब उनकी सेवाओं की जरूरत नहीं है. इसके बाद वह दूसरी कंपनी से जुड़ गए थे.
एफआईआर में आईपीसी की धारा 323 (जानबूझकर चोट पहुंचाना), 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान), 506 (2) (आपराधिक धमकी), 143 (गैरकानूनी सभा), 147 (दंगा) और 149 (गैरकानूनी सभा का प्रत्येक सदस्य सामान्य उद्देश्य के अभियोजन में किए गए अपराध का दोषी) और अन्य धाराएं लगाई गई हैं.
आरोपियों पर एससी/एसटी एक्ट के तहत भी मामला दर्ज किया गया है.