ईडी की यह जांच आर्थिक अपराध शाखा (तिरुचि) द्वारा एक आभूषण फर्म और अन्य के ख़िलाफ़ दर्ज की गई एफ़आईआर पर आधारित है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि उच्च रिटर्न के वादे के साथ सोने की निवेश योजना की आड़ में लोगों से लगभग 100 करोड़ रुपये एकत्र किए गए थे. प्रकाश राज कथित तौर पर फर्म के ब्रांड एंबेसडर थे.
नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली स्थित एक आभूषण फर्म ‘प्रणव ज्वेलर्स’ के खिलाफ कथित तौर पर 100 करोड़ रुपये के पोंजी और धोखाधड़ी संबंधी मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूछताछ के लिए अभिनेता प्रकाश राज को बुलाया है. एजेंसी के अधिकारियों ने बीते गुरुवार (23 नवंबर) को यह जानकारी दी.
58 वर्षीय राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विजेता अभिनेता प्रकाश राज ने अब तक इस संबंध में कोई बयान जारी नहीं किया है. वह कथित तौर पर इस आभूषण फर्म के ब्रांड एंबेसडर थे.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, प्रकाश राज को दिसंबर के पहले सप्ताह में चेन्नई में एक जांच अधिकारी के सामने पेश होने के लिए कहा गया था.
सूत्रों ने कहा, ‘ईडी ने कंपनी द्वारा उन्हें किए गए कुछ कथित भुगतान और कुछ अन्य वित्तीय लेनदेन का पता लगाने के लिए उनका बयान दर्ज करने का फैसला किया है.’
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, बीते 20 नवंबर को मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत ईडी ने प्रणव ज्वैलर्स, जो एक साझेदारी फर्म है, के नाम पर कुछ आरोपी व्यक्तियों द्वारा चलाई जा रही पोंजी योजना के बारे में जानकारी इकट्ठा करने के लिए तलाशी ली थी.
इसके बाद ईडी ने कहा था कि उसने तलाशी के दौरान आपत्तिजनक दस्तावेज, 23.70 लाख रुपये की अस्पष्ट नकदी और 11.60 किलोग्राम वजन के बुलियन/सोने के आभूषण जब्त किए हैं.
ईडी की यह जांच आर्थिक अपराध शाखा (तिरुचि) द्वारा आभूषण फर्म और अन्य के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर पर आधारित है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि उच्च रिटर्न (ब्याज) के वादे के साथ सोने की निवेश योजना की आड़ में लोगों से लगभग 100 करोड़ रुपये एकत्र किए गए थे. बाद में कंपनी ऐसे निवेशकों को रकम लौटाने में विफल रही थी.
एजेंसी के अनुसार, प्रणव ज्वेलर्स और अन्य जुड़े व्यक्तियों ने सराफा या सोने के आभूषण खरीदने के बहाने फर्जी संस्थाओं या प्रवेश प्रदाताओं (Entry Providers) को धन हस्तांतरित करके जनता को धोखा दिया है.
ईडी ने गुरुवार को कहा, ‘तलाशी अभियान से यह भी पता चला कि प्रणव ज्वेलर्स के बही खातों में आपूर्तिकर्ता पार्टियां प्रवेश प्रदाता थीं, जिन्होंने जांच के दौरान स्वीकार किया कि उन्होंने इस फर्म को 100 करोड़ रुपये से अधिक की राशि के लिए समायोजन/आवास प्रविष्टियां प्रदान की थीं और बैंक भुगतान के बदले आरोपी व्यक्तियों को नकद देने की बात भी कबूल की है.’