अरुणाचल सरकार ने ‘धोखाधड़ी’ के आरोप में शिक्षा विभाग में नियुक्त 256 लोगों को बर्ख़ास्त किया

इन 256 लोगों को अरुणाचल प्रदेश की भाजपा सरकार द्वारा 2018 और इस साल की शुरुआत के बीच शिक्षा विभाग में विभिन्न पदों पर नियुक्त किया गया था. सबसे अधिक 101 कर्मचारियों को सियांग ज़िले में बर्ख़ास्त किया गया है. इसके बाद चांगलांग ज़िले में 72 और अंजाव ज़िले में 26 कर्मचारियों को बर्ख़ास्त किया गया है.

मुख्यमंत्री पेमा खांडू. (फोटो साभार: फेसबुक/PemaKhanduBJP)

इन 256 लोगों को अरुणाचल प्रदेश की भाजपा सरकार द्वारा 2018 और इस साल की शुरुआत के बीच शिक्षा विभाग में विभिन्न पदों पर नियुक्त किया गया था. सबसे अधिक 101 कर्मचारियों को सियांग ज़िले में बर्ख़ास्त किया गया है. इसके बाद चांगलांग ज़िले में 72 और अंजाव ज़िले में 26 कर्मचारियों को बर्ख़ास्त किया गया है.

मुख्यमंत्री पेमा खांडू. (फोटो साभार: फेसबुक/PemaKhanduBJP)

नई दिल्ली: विपक्षी दलों द्वारा अरुणाचल प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार पर शिक्षा विभाग में सैकड़ों कर्मचारियों को ‘अवैध रूप से’ नियुक्त करने का आरोप लगाने के कुछ महीनों बाद पेमा खांडू सरकार ने पिछले सप्ताह 256 लोगों की सेवाएं समाप्त कर दी हैं.

राज्य सरकार के अधिकारियों के हवाले से टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में कहा गया है, ‘पिछले पांच वर्षों में नौकरियां पाने के लिए संबंधित विभिन्न जिलों के अधिकारियों को जाली और मनगढ़ंत नियुक्ति आदेश देने के आरोप में बर्खास्त कर दिया गया है.’

समाचार रिपोर्ट में कहा गया है, ‘सबसे अधिक 101 कर्मचारियों को सियांग जिले में बर्खास्त किया गया है. इसके बाद चांगलांग जिले में 72 और अंजाव जिले में 26 कर्मचारियों को बर्खास्त किया गया है.’

इसमें कहा गया है कि उन्हें राज्य सरकार द्वारा 2018 और इस साल की शुरुआत के बीच इन पदों पर नियुक्त किया गया था.

इसे ‘अरुणाचल प्रदेश प्रशासन के इतिहास में किसी भी विभाग द्वारा जारी किए गए सबसे बड़े सामूहिक बर्खास्तगी पत्रों में से एक’ कहते हुए अरुणाचल टाइम्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि उन्हें अरुणाचल प्रदेश कर्मचारी चयन बोर्ड भर्ती नियम, 2018 का उल्लंघन करके नियुक्त किया गया था.

राज्य शिक्षा आयुक्त अमजद काक ने ईटानगर में संवाददाताओं से कहा, ‘हमने विभागीय स्तर पर जांच की, सभी को कारण बताओ नोटिस जारी किया और नोटिस अवधि समाप्त होने के बाद बर्खास्तगी आदेश जारी किए गए.’

यह विवादास्पद मुद्दा सबसे पहले मार्च 2021 में पूर्व कांग्रेस सांसद निनॉन्ग एरिंग ने उठाया था. हालांकि इसके जवाब में मुख्यमंत्री खांडू ने कहा था कि आरोप सही पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी, लेकिन कुछ खास नहीं हुआ.

हालांकि इस मुद्दे ने लोगों का ध्यान खींचा. बीते मई में एक छात्र संगठन ने शिक्षा विभाग पर बिना कोई विज्ञापन जारी किए 28 प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों की नियुक्ति करने का आरोप लगाया, जो कि 2018 के नियमों के अनुसार अनिवार्य था.

छात्र संगठन ने आरोप लगाया कि शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षकों की नियुक्ति से पहले कोई साक्षात्कार भी नहीं लिया गया था.

इसके चलते अरुणाचल प्रदेश युवा कांग्रेस के अध्यक्ष तार जॉनी ने तत्कालीन प्रारंभिक शिक्षा निदेशक के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई.

अरुणाचल टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘दबाव में राज्य सरकार ने जुलाई 2023 में शिक्षा विभाग में मामलों की जांच के लिए सतर्कता विभाग के विशेष जांच सेल (एसआईसी) को मंजूरी दे दी.’

बीते अगस्त में एसआईसी ने इस मामले पर एक मामला दर्ज किया था, जिसके कारण कुछ गिरफ्तारियां हुईं और बाद में 256 ऐसी नियुक्तियों को खत्म कर दिया गया.

इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.