द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
रक्षा पीआरओ द्वारा मंगलवार को जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि ‘आईएनएस हमला’ में अग्निवीर प्रशिक्षण ले रही 20 वर्षीय महिला की कथित आत्महत्या की घटना की जांच के आदेश दिए गए हैं. एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पीआरओ ने कहा, ‘अग्निवीर लॉजिस्टिक्स (एफ एंड ए) की 20 वर्षीय अपर्णा वी. नायर की अप्राकृतिक मौत की दुर्भाग्यपूर्ण घटना 27 नवंबर को मुंबई स्थित बेस आईएनएस हमला में हुई. घटना की जांच के लिए भारतीय नौसेना द्वारा जांच के आदेश दिए गए हैं.’ इससे पहले मुंबई पुलिस ने कहा, ‘एक 20 वर्षीय युवती, जो नौसेना में अग्निवीर के लिए प्रशिक्षण ले रही थी, ने कथित तौर पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है. एक अधिकारी के अनुसार, मालवणी पुलिस ने एडीआर दर्ज की है और आगे की कार्रवाई कर रही है.’ अग्निपथ योजना की घोषणा जून 2022 में की गई थी, जिसमें साढ़े 17 से 23 साल के बीच के युवाओं को केवल चार वर्ष के लिए सेना में भर्ती करने का प्रावधान है. चार साल बाद इनमें से केवल 25 प्रतिशत युवाओं की सेवा नियमित करने की बात कही गई थी. इसके तहत भर्ती होने वाले जवानों को अग्निवीर नाम दिया गया है. इससे पहले जम्मू कश्मीर में बीते 11 अक्टूबर को अग्निवीर योजना के तहत भर्ती जवान अमृतपाल सिंह ने कथित तौर पर खुद को गोली मारकर अपनी जान दे दी थी. उनके अंतिम संस्कार के दौरान सेना द्वारा ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ नहीं दिए जाने पर विपक्षी दलों ने सरकार की आलोचना भी की थी.
मणिपुर जातीय हिंसा में मारे गए लोगों से संबंधित कम से कम 38 परिवारों ने सरकार के 10 लाख रुपये के मुआवजे को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है. बीते 21 अक्टूबर को सौंपी गई समिति की 14वीं रिपोर्ट में यह भी पता चला है कि समिति ने अदालत से ‘सिविल सोसाइटी संगठनों को अनुग्रह राशि स्वीकार करने में परिजनों के साथ हस्तक्षेप करने और/या बाधा डालने से रोकने’ के लिए एक और निर्देश मांगा है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इस मामले की सुनवाई 4 दिसंबर को भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा फिर से की जाएगी. समिति ने सुप्रीम कोर्ट को यह भी बताया कि राज्य सरकार के मुताबिक, 7 अक्टूबर तक मौत के 175 मामले सामने आए हैं और 169 मामलों में मृतकों की पहचान कर ली गई है. इनमें से 81 शवों पर पीड़ितों के परिवारों ने दावा किया है, जबकि 88 शवों पर मृतकों के परिवारों ने दावा नहीं किया है. समझा जाता है कि राज्य सरकार ने समिति को बताया है कि शेष 6 शवों की पहचान करने के प्रयास जारी हैं. चिह्नित 169 मामलों में से 73 मामलों में मुआवजा प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के रूप में दिया गया है. शेष 96 मामलों में से 58 मामलों में सत्यापन लंबित है, जबकि 38 परिवारों ने सहायता प्राप्त करने के लिए ‘अनिच्छा व्यक्त की है’. समिति ने कहा है कि इनकार ‘आईटीएलएफ, जेपीओ, केआईएम आदि जैसे सिविल सोसाइटी संगठनों (सीएसओ) के दबाव के कारण है.’
जम्मू कश्मीर प्रशासन ने मंगलवार को वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी (एसपीओ) ऐजाज-उल-हसन को राजौरी जिले के दरहाल पुलिस स्टेशन में दर्ज हत्या के एक मामले में कोटरंका के एक मौलवी मुश्ताक अहमद का नाम शामिल न किए जाने के लिए उससे दो लाख रुपये की रिश्वत मांगने और स्वीकार करने के आरोप में सेवा से बर्खास्त कर दिया है. द प्रिंट की रिपोर्ट के अनुसार, गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव राज कुमार गोयल ने एसपीओ ऐजाज-उल-हसन को बर्खास्त करने का आदेश जारी किया. ऐजाज थानामंडी में न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में तैनात थे. आरोप है कि उन्होंने सहायक सब-इंस्पेक्टर (एएसआई) मोहम्मद शबीर और रीडर (मामले की जांच से जुड़े) के साथ मिलकर मौलवी को 2014 में दर्ज हत्या के एक मामले में आरोपी नहीं बनने में मदद की थी.
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (28 नवंबर) को भारत में पाकिस्तानी कलाकारों के आने पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया. लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ एक सिनेकर्मी फैज अनवर कुरैशी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी, जिसने उनकी याचिका खारिज कर दी थी. याचिकाकर्ता ने पाकिस्तानी कलाकारों पर प्रतिबंध लगाने और उन्हें वीजा देने पर रोक लगाने के लिए उचित अधिसूचना जारी करने के लिए सूचना और प्रसारण मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय को निर्देश देने की मांग की थी. सुनवाई के दौरान जस्टिस खन्ना ने कहा, ‘माफ करें, ऐसा न करें. यह आपके लिए एक अच्छा सबक है. इतनी संकीर्ण मानसिकता वाले न बनें.’ याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी गई कि अगर ऐसी राहत नहीं दी गई तो इससे भारतीय कलाकारों और सिनेकर्मियों आदि के साथ भेदभाव होगा, क्योंकि भारतीय सिने उद्योग में काम करने का जो अनुकूल माहौल पाकिस्तानी कलाकारों को उपलब्ध कराया जाता है, वह पाकिस्तान में भारतीय कलाकारों को उपलब्ध नहीं कराया जाता है.
अडानी समूह ने बीते सोमवार (27 नवंबर) को कहा कि उत्तराखंड की सिल्कयारा सुरंग के निर्माण में उनकी कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष भागीदारी नहीं है. इस निर्माणाधीन सुरंग के ढहने के बाद पिछले दो सप्ताह से अधिक समय से 41 श्रमिक अंदर फंसे हुए हैं. द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, एक बयान में अडानी समूह के प्रवक्ता ने कहा कि समूह के पास सुरंग के निर्माण में शामिल कंपनी में कोई हिस्सेदारी नहीं है. इसमें कहा गया है, ‘हम स्पष्ट करते हैं कि अडानी समूह या उसकी किसी सहायक कंपनी की सुरंग के निर्माण में किसी भी प्रकार की प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष भागीदारी नहीं है. हम यह भी स्पष्ट करते हैं कि सुरंग के निर्माण में शामिल कंपनी में हमारा कोई शेयर नहीं है.’ बीते 12 नवंबर को भूस्खलन के कारण निर्माणाधीन सुरंग का एक हिस्सा ढह जाने के बाद से 41 श्रमिक सिल्क्यारा-बारकोट सुरंग के अंदर फंसे हुए हैं. उन्हें बचाने के प्रयास लगातार जारी हैं. इन श्रमिकों के मंगलवार देर रात तक सुरक्षित बाहर निकलने की संभावना है.