गुजरात: 2016 दंगा मामले में कांग्रेस विधायक जिग्नेश मेवाणी और छह अन्य बरी

कांग्रेस विधायक जिग्नेश मेवाणी और छह अन्य को सितंबर 2016 में अहमदाबाद नगर निगम के सफाई कर्मचारियों के समर्थन में एक विरोध प्रदर्शन आयोजित करने के लिए हिरासत में लिया गया था. इसे लेकर उन पर पुलिस वाहन को नुकसान पहुंचाने, नारे लगाने और दंगा करने के आरोप लगाए गए थे.

जिग्नेश मेवाणी. (फोटो साभार: फेसबुक/@jigneshmevaniofficial)

कांग्रेस विधायक जिग्नेश मेवाणी और छह अन्य को सितंबर 2016 में अहमदाबाद नगर निगम के सफाई कर्मचारियों के समर्थन में एक विरोध प्रदर्शन आयोजित करने के लिए हिरासत में लिया गया था. इसे लेकर उन पर पुलिस वाहन को नुकसान पहुंचाने, नारे लगाने और दंगा करने के आरोप लगाए गए थे.

जिग्नेश मेवाणी. (फोटो साभार: फेसबुक/@jigneshmevaniofficial)

नई दिल्ली: गुजरात की एक अदालत ने मंगलवार को कांग्रेस विधायक और दलित नेता जिग्नेश मेवाणी और छह अन्य को उनके खिलाफ गैर-कानूनी जमावड़े और दंगा के 2016 के एक मामले में बरी कर दिया.

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, अतिरिक्त मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट पीएन गोस्वामी की अदालत ने मेवाणी, मनाभाई पटेलिया, रमेश बारिया, मुकेश पटेल, दशरथ पागी, मीश नरसिह और दर्शन पथड़िया को बरी कर दिया, जिन पर गैरकानूनी सभा, दंगा करने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप में मामला दर्ज किया गया था.

उन पर सितंबर 2016 में अहमदाबाद नगर निगम के सफाई कर्मचारियों के समर्थन में शहर के आयकर चौराहे पर एक विरोध प्रदर्शन आयोजित करने के लिए हिरासत में लिए जाने के बाद स्टेडियम में ले जाते समय पुलिस वाहन को नुकसान पहुंचाने, नारे लगाने और दंगा करने का आरोप लगाया गया था.

मेवाणी और अन्य के खिलाफ नवरंगपुरा थाने में आईपीसी की धारा 143 (गैरकानूनी सभा), 146 (दंगा), 147, 294 (सार्वजनिक स्थान पर आपत्तिजनक कृत्य), 332 (जानबूझकर चोट पहुंचाना), 341 (गलत बयानबाजी) और सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी.

अभियोजन पक्ष के अनुसार, बिना पूर्व अनुमति के विरोध प्रदर्शन आयोजित करने के लिए आयकर चौराहे से पुलिस स्टेडियम में हिरासत में ले जाते समय उन्होंने पुलिस वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया था और एक पुलिस चालक की पिटाई की थी.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मेवाणी का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील परेश वाघेला और रितु मकवाना ने कहा कि सातों को अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट पीएन गोस्वामी की अदालत ने इस आधार पर बरी कर दिया कि अभियोजन पक्ष अपना मामला साबित करने में विफल रहा इसलिए संदेह का लाभ दिया गया. मकवाना ने कहा कि अभियोजन पक्ष के 30 गवाहों से पूछताछ की गई.

मालूम हो कि इससे पहले पिछले साल अक्टूबर में अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट गोस्वामी ने मेवाणी और 18 अन्य को 2016 में अहमदाबाद में विजय चार रास्ता के पास विरोध प्रदर्शन करने के लिए छह महीने जेल की सजा सुनाई थी, जिसमें लॉ भवन का नाम बदलकर अंबेडकर भवन करने की मांग की गई थी. इस संबंध में गुजरात विश्वविद्यालय थाने में एक एफआईआर दर्ज की गई थी.

अदालत ने 19 लोगों को गुजरात पुलिस अधिनियम की धारा 110 और 117 (सार्वजनिक रूप से अभद्र व्यवहार करना और इसके लिए सजा) के तहत दोषी ठहराया था, जबकि 100 रुपये का जुर्माना लगाया था, साथ ही आईपीसी की धारा 143 और 149 (गैरकानूनी सभा) के तहत भी दोषी ठहराया था. साथ ही 100 रुपये का जुर्माना भी लगाया था.

मेवाणी ने कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में वडगाम सीट से दिसंबर 2022 का विधानसभा चुनाव जीता और वह पार्टी की राज्य इकाई के कार्यकारी अध्यक्ष हैं.

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