सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला एवं जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि शवों को अनिश्चितकाल तक मुर्दाघर में नहीं रखा जा सकता. अदालत में दी गई दलीलों के अनुसार, 88 पहचाने गए शव मुर्दाघर में हैं, जिन पर उनके परिजनों ने दावा नहीं किया है. छह शवों की कथित तौर पर पहचान नहीं हुई है.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (28 नवंबर) को मणिपुर सरकार को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया है कि राज्य में जातीय हिंसा के दौरान मारे गए लोगों और जिनके शव लावारिस व अज्ञात हैं, उनके सम्मानजनक और शालीन तरीके से अंतिम संस्कारकिए जाएं.
बार एंड बेंच के मुताबिक, न्यायालय ने राज्यों के लिए निम्नलिखित निर्देश जारी किए;
- जिन शवों की पहचान की गई है और जिन पर दावा किया गया है, उनके सभी निकटतम संबंधियों को किसी भी पक्ष के हस्तक्षेप के बिना चिन्हित किए गए नौ दफन स्थलों में से किसी पर भी अंतिम संस्कार करने की अनुमति दी जाएगी.
- निर्देश को प्रभावी बनाने के लिए राज्य नौ दफन स्थलों के बारे में निकटतम रिश्तेदारों को सूचित करेगा और इसे अगले सोमवार को या उससे पहले पूरा किया जाएगा.
- लावारिस शवों के संबंध में, सरकार परिजनों को एक और संचार जारी करेगा कि वे किसी भी दफन/दाह संस्कार स्थल पर धार्मिक संस्कारों के साथ अंतिम संस्कार करने के लिए स्वतंत्र हैं.
- राज्य को अज्ञात शवों का उचित धार्मिक अनुष्ठानों के साथ अंतिम संस्कार करने की अनुमति है.
- कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक कानून एवं व्यवस्था बनाये रखने के लिए उचित कदम उठाएंगे.
- शव परीक्षण के समय डीएनए सैंपल न लिए जाने की स्थिति में सरकार ऐसे सैंपल लेना सुनिश्चित करेगी.
- सरकार एक सार्वजनित नोटिस जारी कर सकती है कि यदि शवों की पहचान कर ली गई है और किसी ने उन पर दावा नहीं किया है तो सरकार ही धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार अंतिम संस्कार करेगी.
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला एवं जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि यह देखते हुए कि संघर्ष 3 मई को शुरू हुआ था, शवों को अनिश्चितकाल तक मुर्दाघर में नहीं रखा जा सकता है.
अदालत में दी गई दलीलों के अनुसार, 88 पहचाने गए शव मुर्दाघर में हैं, जिन पर उनके परिजनों ने दावा नहीं किया है. अन्य छह शवों की कथित तौर पर पहचान नहीं हो पाई है.
आदालत के आदेश में कहा गया है, ‘राज्य प्रशासन अगले सोमवार (4 दिसंबर) को या उससे पहले परिजनों को संचार जारी करेगा, जिसमें कहा जाएगा कि उन्हें अगले एक सप्ताह (11 दिसंबर) के भीतर निर्धारित नौ स्थलों में से किसी पर भी अपेक्षित धार्मिक अनुष्ठान के साथ अंतिम संस्कार करने की अनुमति है.’