बीते 27 नवंबर को राष्ट्रीय पात्रता सह-प्रवेश परीक्षा (एनईईटी) की तैयारी कर रहे पश्चिम बंगाल के 20 वर्षीय छात्र ने कोटा में अपने किराये के आवास पर आत्महत्या कर ली. अधिकारियों को यह सूचित करने में विफल रहने पर कि छात्र ‘गंभीर रूप से तनाव’ में था और काउंसलिंग से गुज़र रहा था, ज़िला प्रशासन ने कोचिंग संस्थान को नोटिस भेजकर स्पष्टीकरण मांगा है.
नई दिल्ली: राजस्थान में कोटा जिला प्रशासन ने एक कोचिंग संस्थान की खिंचाई की है और उसके अधिकारियों को यह सूचित करने में विफल रहने पर तीन दिनों में स्पष्टीकरण मांगा है कि 20 वर्षीय राष्ट्रीय पात्रता सह-प्रवेश परीक्षा (एनईईटी) अभ्यर्थी, जिसने बीते सोमवार (27 नवंबर) को आत्महत्या कर ली गई थी, ‘गंभीर रूप से तनाव’ में था और संस्थान द्वारा प्रदान की जा रही काउंसलिंग से गुजर रहा था.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, बीते मंगलवार (28 नवंबर) की शाम को मोशन कोचिंग इंस्टिट्यूट को एक नोटिस में कोटा कलेक्टर महावीर प्रसाद मीणा ने कहा कि इंस्टिट्यूट ने राजस्थान सरकार के हालिया आदेश का उल्लंघन किया है, जिसमें कोचिंग संस्थान को गंभीर अवसाद से पीड़ित छात्रों के बारे में प्रशासन को सूचित करने का निर्देश दिया गया था, ताकि अधिकारियों को उचित उपाय करने और बढ़ती आत्महत्याओं को नियंत्रित करने का मौका मिल सके, जो इस वर्ष चिंता का कारण हैं.
पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, इस वर्ष विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे 26 छात्रों की आत्महत्या से मृत्यु हो गई, जो 2015 के बाद से सबसे अधिक है.
कोचिंग संस्थान को दिए गए नोटिस में जिला कलेक्टर ने कहा, ‘हमने पाया कि संस्थान को पता था कि छात्र 12 नवंबर को अपने काउंसलिंग सत्र से पहले ही गंभीर रूप से तनाव में था. जिला प्रशासन सरकारी अस्पताल के पेशेवर मनोचिकित्सक द्वारा किसी भी उन्नत उपचार या थेरेपी सत्र की व्यवस्था नहीं कर सका, क्योंकि आपने (कोचिंग संस्थान) हमें छात्र की स्थिति के बारे में सूचित नहीं किया था.’
इसमें कहा गया है, ‘हमने पाया कि छात्र अपने गंभीर तनाव के मुद्दे के कारण लंबे समय से आपके संस्थान में काउंसलिंग सत्र में भाग ले रहा था. फिर भी प्रशासन उसके माता-पिता से परामर्श नहीं कर सका, क्योंकि आपने हमें रिपोर्ट नहीं किया.’
जिला कलेक्टर ने आरोप लगाया कि कोचिंग संस्थान ने ‘छात्रों का मनोबल बढ़ाने में घोर लापरवाही बरती और सरकारी आदेशों का पालन भी नहीं किया’. उन्होंने कहा, ‘इसलिए संस्थान तीन दिनों के भीतर मामले पर अपना स्पष्टीकरण प्रस्तुत करें.’
हिंदुस्तान टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि उसने टिप्पणी के लिए कोचिंग संस्थान से संपर्क किया, लेकिन तुरंत कोई टिप्पणी नहीं मिल सकी.
रिपोर्ट के अनुसार, बीते सोमवार को स्नातक चिकित्सा पाठ्यक्रमों में प्रवेश की तैयारी कर रहे पश्चिम बंगाल के छात्र ने कोटा के दादाबाड़ी क्षेत्र के वक्फ नगर में अपने किराये के आवास पर आत्महत्या कर ली थी. यहां वह पिछले साल जुलाई से रह रहा था. पुलिस ने बताया कि मौके से कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ है.
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि जांच से पता चला है कि छात्र के माता-पिता को कोचिंग संस्थान में उसकी काउंसलिंग के बारे में सूचित नहीं किया गया था.
अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘मृतक के माता-पिता से बात करने के बाद पुलिस को पता चला कि उन्हें उसकी काउंसलिंग के बारे में भी सूचित नहीं किया गया था, जो एक महीने से अधिक समय से चल रही थी. दिशानिर्देशों के बावजूद कोचिंग संस्थान ने जिला प्रशासन को सूचित नहीं किया था कि छात्र पिछले एक महीने में मुश्किल से कक्षाओं में उपस्थित हुआ है.’
पुलिस आंकड़ों के मुताबिक, कोटा में 2022 में 15, 2019 में 18, 2018 में 20, 2017 में 7, 2016 में 17 और 2015 में 18 छात्रों की मौत आत्महत्या से हुई है. 2020 और 2021 में छात्रों की आत्महत्या का कोई मामला सामने नहीं आया था.
रिपोर्ट के अनुसार, आत्महत्या के मामलों में तेजी से वृद्धि को ध्यान में रखते हुए राजस्थान सरकार ने बीते 28 सितंबर को मौतों को रोकने के लिए कई उपायों की घोषणा की थी.
सरकार द्वारा जारी दिशानिर्देशों में शिक्षकों, संस्थान प्रबंधकों, अन्य कर्मचारियों और हॉस्टल के वार्डन और पेइंग गेस्ट आवास के लिए अनिवार्य प्रशिक्षण की भी सिफारिश की गई है, ताकि वे छात्रों के व्यवहार में बदलाव का आकलन कर निवारक उपाय कर सकें.
सरकार ने किसी भी नियम का उल्लंघन करने पर कोचिंग संस्थानों के फैकल्टी सदस्यों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की चेतावनी भी दी थी.
हालांकि दिशानिर्देशों में कानूनी कार्रवाइयों का कोई विवरण नहीं दिया गया है, लेकिन इसमें कहा गया है, ‘ऐसा उल्लंघन जो छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है, उसे एक आपराधिक कृत्य माना जाएगा और जिला प्रशासन इसके खिलाफ आवश्यक कानूनी कार्रवाई करेगा.’
बीते 20 अक्टूबर और 8 नवंबर को जिला कलेक्टर ने कोटा में कोचिंग संस्थानों के मालिकों और निदेशकों के साथ बैठक कर उन्हें गंभीर अवसाद से पीड़ित छात्रों के बारे में प्रशासन को सूचित करने का निर्देश दिया था.
उन्होंने कहा था कि इससे अधिकारियों को मामले की देखभाल करने और छात्र को सरकारी अस्पताल में किसी मनोचिकित्सक के पास भेजने की अनुमति मिल जाएगी.
बीते 18 अगस्त को जिला प्रशासन ने सभी छात्रावासों और पेइंग गेस्ट (पीजी) आवासों को ‘छात्रों को मानसिक सहायता और सुरक्षा प्रदान करने के लिए’ कमरों में स्प्रिंग-लोडेड पंखे लगाने का आदेश दिया था.