यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ) का गठन 1964 में हुआ था. यह भारतीय क्षेत्र के भीतर और बाहर दोनों जगह से काम कर रहा है. यह उन आठ मेईतेई चरमपंथी संगठनों में से एक है, जिन्हें गृह मंत्रालय ने आतंकवाद विरोधी क़ानून, ग़ैर-क़ानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत ग़ैर-क़ानूनी संगठन घोषित किया है.
नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बीते बुधवार (29 नवंबर) को कहा कि केंद्र और मणिपुर सरकार ने यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ) के साथ एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जो एक प्रतिबंधित मेईतेई चरमपंथी संगठन और मणिपुर घाटी का सबसे पुराना सशस्त्र समूह भी है.
द हिंदू की एक रिपोर्ट के मुताबिक, शाह ने कहा, ‘यूएनएलएफ, मणिपुर का सबसे पुराना घाटी-आधारित सशस्त्र समूह हिंसा छोड़ने और मुख्यधारा में शामिल होने के लिए सहमत हो गया है. मैं लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में उनका स्वागत करता हूं और शांति और प्रगति के पथ पर उनकी यात्रा के लिए शुभकामनाएं देता हूं.’
केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) ने कहा कि यूएनएलएफ का गठन 1964 में हुआ था और यह भारतीय क्षेत्र के भीतर और बाहर दोनों जगह काम कर रहा है.
यह उन आठ मेईतेई चरमपंथी संगठनों में से एक है, जिन्हें गृह मंत्रालय ने आतंकवाद विरोधी कानून, गैर-कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम-1967 के तहत गैर-कानूनी संगठन घोषित किया है. पिछले हफ्ते, मणिपुर को भारत से अलग करने की मांग करने वाले इन समूहों के खिलाफ प्रतिबंध अगले पांच साल के लिए बढ़ा दिया गया था.
शाह ने बुधवार को सोशल साइट एक्स पर लिखा, ‘भारत सरकार और मणिपुर सरकार द्वारा यूएनएलएफ के साथ आज हस्ताक्षरित शांति समझौता छह दशक लंबे सशस्त्र आंदोलन के अंत का प्रतीक है. यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के सर्व-समावेशी विकास के दृष्टिकोण को साकार करने और पूर्वोत्तर भारत में युवाओं को बेहतर भविष्य प्रदान करने की दिशा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है.’
The peace agreement signed today with the UNLF by the Government of India and the Government of Manipur marks the end of a six-decade-long armed movement.
It is a landmark achievement in realising PM @narendramodi Ji’s vision of all-inclusive development and providing a better… pic.twitter.com/P2TUyfNqq1
— Amit Shah (@AmitShah) November 29, 2023
बहरहाल, गृह मंत्रालय ने आत्मसमर्पण करने वाले उग्रवादियों का विवरण साझा नहीं किया है, लेकिन द हिंदू का कहना है कि के. पाम्बेई के नेतृत्व वाले यूएनएलएफ के एक गुट के 65 कैडर शांति समझौते में शामिल हुए हैं. कहा जाता है कि पाम्बेई गुट के 65 कैडर मणिपुर में जारी जातीय हिंसा के दौरान राज्य में प्रवेश कर चुके हैं.
आरके अचौ सिंह उर्फ कोइरेंग के नेतृत्व वाला यूएनएलएफ का दूसरा गुट अभी भी समझौते से बाहर है और कहा जाता है कि वह म्यांमार से संचालित हो रहा है. कहा जाता है कि यूएनएलएफ के कोइरेंग गुट में लगभग 300 कैडर हैं.
द हिंदू की रिपोर्ट में बताया गया है कि यह घटनाक्रम 22 नवंबर को मणिपुर सीमा के करीब म्यांमार के थानान में यूएनएलएफ शिविर को विद्रोही बलों द्वारा नष्ट कर दिए जाने के कुछ दिनों बाद हुआ है. यूएनएलएफ अपनी 59वीं वर्षगांठ मनाने की तैयारी कर रहा था जब शिविर को नष्ट कर दिया गया था. कहा गया था कि म्यांमार के एक जातीय सशस्त्र समूह पीपुल्स डिफेंस फोर्स ने पांच कैडरों को मार डाला था.
वहीं, शाह ने विद्रोही समूह के कैडरों की एक वीडियो क्लिप और तस्वीरें भी साझा कीं, जो एक खुले मैदान में अपने हथियार आत्मसमर्पित करने के लिए कतार में खड़े थे. एक सूत्र ने कहा कि कैडर थौबल जिले के इगोरोक में डेरा डाले हुए थे.
फोटो से पता चलता है कि बुधवार को आत्मसमर्पण करने वाले 250 से अधिक कैडर थे.
द हिंदू ने सूत्र के हवाले से कहा है कि वर्तमान में जारी हिंसा के दौरान कुछ स्थानीय लोग भी समूह में शामिल हो गए थे, यही वजह है कि आत्मसमर्पण के समय तक उनकी संख्या बढ़ गई थी.
गृह मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘हालांकि भारत सरकार की संघर्ष समाधान पहल के हिस्से के रूप में उत्तर-पूर्व के कई जातीय सशस्त्र समूहों के साथ राजनीतिक समझौतों को अंतिम रूप दिया गया है, लेकिन यह पहली बार है कि घाटी का मणिपुरी सशस्त्र समूह हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में लौटने और भारत के संविधान एवं देश के कानूनों का सम्मान करने के लिए सहमत हुआ है. समझौता न केवल यूएनएलएफ और सुरक्षा बलों के बीच शत्रुता को समाप्त करेगा जिसने पिछली आधी शताब्दी से अधिक समय में दोनों पक्षों की ओर से कई जिंदगियां छीनी हैं, बल्कि समुदाय की दीर्घकालिक चिंताओं को दूर करने का अवसर भी प्रदान करेगा.’
मंत्रालय ने कहा कि ऐसी उम्मीद है कि यूएनएलएफ की मुख्यधारा में वापसी से घाटी के अन्य सशस्त्र समूहों को भी शांति प्रक्रिया में शामिल होने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा. साथ ही कहा कि इसके कार्यान्वयन की निगरानी के लिए एक शांति निगरानी समिति का गठन किया जाएगा.
समझौते पर नई दिल्ली में गृह मंत्रालय, मणिपुर सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों और यूएनएलएफ के प्रतिनिधियों द्वारा हस्ताक्षर किए गए.